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हुनर और हौसले से पाया मुकाम, पहले करते थे मजदूरी अब दे रहे रोजगार

जौनपुर जिले के आरा गांव निवासी अरविंद राजभर कुछ माह पहले लुधियाना की एक कपड़ा फैक्ट्री में मजदूरी करते थे. दिनभर की मेहनत के बाद भी वह रोजाना 400 रुपये कमा पाते थे, लेकिन कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में वह घर आ गए. इसके बाद अपने हौसले और हुनर के बल पर न सिर्फ अरविंद खुद घर बैठे कमा रहे हैं बल्कि आसपास के गांव के 20 अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं.

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Published : Mar 2, 2021, 10:36 PM IST

जौनपुर: हुनर और हौसला हो तो राह में आई सभी बाधाओं को पार कर मुकाम हासिल किया जा सकता है. इस बात की नजीर जौनपुर के आरा गांव के निवासी अरविंद राजभर हैं. 15 साल तक विभिन्न कंपनियों में मजदूरी का काम करने वाले अरविंद राजभर आज अपने ही गांव में लोगों को रोजगार दे रहे हैं.

देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

बता दें कि कुछ महीने पहले तक अरविंद राजभर लुधियाना की एक कंपनी में बतौर मजदूर काम करते थे. उनकी दिहाड़ी 400 रुपये थी. किसी तरह से अरविंद राजभर अपने घर का खर्चा वहन करते थे, लेकिन फिर भी अरविंद को अपने हुनर और हौसले पर पूरा यकीन था. लॉकडाउन में जब काम ठप हो गया तो अरविंद राजभर भी और लोगों की तरह अपने गांव वापस लौट आए, लेकिन यहां उनकी तकदीर ही बदल गई. अपनी तस्वीर संवारने के लिए अरविंद राजभर ने मेहनत की. लॉकडाउन के दौरान उन्होंने मास्क बनाकर उसका वितरण करना शुरू कर दिया. जब यह बात जफराबाद के भाजपा विधायक डॉ. हरेंद्र सिंह को पता चली तो उन्होंने अरविंद राजभर को खूब सराहा. न सिर्फ भाजपा विधायक ने अरविंद राजभर की सराहना की बल्कि उन्होंने इस काम को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें प्रेरित भी किया.

भापजा विधायक ने की अरविंद की मदद
अरविंद राजभर ने लॉकडाउन के बाद वापस दूसरे प्रदेश जाकर काम खोजना मुनासिब न समझा. बल्कि उन्होंने अपने हौसले पर हुनर के दम पर अपने गांव में ही छोटी सी फैक्ट्री स्थापित कर ली. इस फैक्ट्री की स्थापना को लेकर भाजपा विधायक ने उनकी मदद की. 35 वर्षीय अरविंद राजभर के पास 15 साल का अनुभव था. उन्होंने 15 साल तक बतौर मजदूर विभिन्न कंपनियों के लिए काम किया था, लेकिन लॉकडाउन में ही वह मजदूर से मालिक बन बैठे. अब अरविंद राजभर अपने ही गांव के 20 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. अपने हुनर के बल पर न सिर्फ वह अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं बल्कि 20 परिवारों को भी संभाल रहे हैं.

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से लिया ऋण
अरविंद राजभर ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए उद्योग विभाग से संपर्क किया. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से 10 लाख रुपये का ऋण लिया और गांव में ही कारोबार की शुरुआत कर दी. अरविंद बताते हैं कि उन्होंने सिलाई की 15 मशीनें खरीदीं और अन्य संसाधन भी जुटाए. अपने कारोबार के माध्यम से अब वह जैकेट, स्वेटर, लोअर, टीशर्ट और टोपी जैसे सामान तैयार कर रहे हैं. अरविंद बताते हैं कि उनकी रीता इंटरप्राइजेज फैक्ट्री में 20 लोग काम कर रहे हैं. इसमें 15 लोग मशीन का संचालन करते हैं तो वहीं दूसरे लोग अन्य काम करते हैं.

अरविंद कहते हैं कि जब वह अपने हुनर से दूसरों के काम को आगे बढ़ा सकते हैं तो खुद का काम करने में परहेज क्यों करना. इसी सोच से उनको प्रेरणा मिली. इनके काम में जफराबाद के भाजपा विधायक डॉ. हरेंद्र प्रताप सिंह ने भी इन्हें खूब सराहा और इनकी मदद की.

जब गांव में मिला रोजगार तो क्यों जाएं परदेश
ईटीवी भारत ने अरविंद की फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों से बातचीत की तो वह लोग काफी खुश नजर आ रहे थे. उन लोगों का कहना था कि परदेस जाकर किसी तरह से वह लोग अपने घर का खर्चा उठाते थे, लेकिन बाहर काम करके ज्यादा पैसे नहीं बचते थे. बाहर रूम का किराया और भोजन की व्यवस्था करने में काफी धन खर्च हो जाता था. ऐसे में बड़ी मुश्किल से परिवार को थोड़े बहुत पैसे वह लोग भेज पाते थे, लेकिन अब जब अरविंद राजभर ने गांव में ही रोजगार उपलब्ध करा दिया है तो वह लोग अब दूसरे प्रदेश जाकर काम नहीं करना चाहते हैं.

मजदूरों ने की सरकार की सराहना
फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि अब वह अपने परिवार के साथ भी समय व्यतीत कर लेते हैं. इसके साथ ही उनके काफी ज्यादा खर्चे भी नहीं होते. फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर सरकार को भी खूब दुआएं दे रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार ने जिस तरीके से उनकी मदद की है, उससे उनकी आर्थिक हालात में काफी सुधार आएगा.

जौनपुर: हुनर और हौसला हो तो राह में आई सभी बाधाओं को पार कर मुकाम हासिल किया जा सकता है. इस बात की नजीर जौनपुर के आरा गांव के निवासी अरविंद राजभर हैं. 15 साल तक विभिन्न कंपनियों में मजदूरी का काम करने वाले अरविंद राजभर आज अपने ही गांव में लोगों को रोजगार दे रहे हैं.

देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

बता दें कि कुछ महीने पहले तक अरविंद राजभर लुधियाना की एक कंपनी में बतौर मजदूर काम करते थे. उनकी दिहाड़ी 400 रुपये थी. किसी तरह से अरविंद राजभर अपने घर का खर्चा वहन करते थे, लेकिन फिर भी अरविंद को अपने हुनर और हौसले पर पूरा यकीन था. लॉकडाउन में जब काम ठप हो गया तो अरविंद राजभर भी और लोगों की तरह अपने गांव वापस लौट आए, लेकिन यहां उनकी तकदीर ही बदल गई. अपनी तस्वीर संवारने के लिए अरविंद राजभर ने मेहनत की. लॉकडाउन के दौरान उन्होंने मास्क बनाकर उसका वितरण करना शुरू कर दिया. जब यह बात जफराबाद के भाजपा विधायक डॉ. हरेंद्र सिंह को पता चली तो उन्होंने अरविंद राजभर को खूब सराहा. न सिर्फ भाजपा विधायक ने अरविंद राजभर की सराहना की बल्कि उन्होंने इस काम को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें प्रेरित भी किया.

भापजा विधायक ने की अरविंद की मदद
अरविंद राजभर ने लॉकडाउन के बाद वापस दूसरे प्रदेश जाकर काम खोजना मुनासिब न समझा. बल्कि उन्होंने अपने हौसले पर हुनर के दम पर अपने गांव में ही छोटी सी फैक्ट्री स्थापित कर ली. इस फैक्ट्री की स्थापना को लेकर भाजपा विधायक ने उनकी मदद की. 35 वर्षीय अरविंद राजभर के पास 15 साल का अनुभव था. उन्होंने 15 साल तक बतौर मजदूर विभिन्न कंपनियों के लिए काम किया था, लेकिन लॉकडाउन में ही वह मजदूर से मालिक बन बैठे. अब अरविंद राजभर अपने ही गांव के 20 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. अपने हुनर के बल पर न सिर्फ वह अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं बल्कि 20 परिवारों को भी संभाल रहे हैं.

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से लिया ऋण
अरविंद राजभर ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए उद्योग विभाग से संपर्क किया. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से 10 लाख रुपये का ऋण लिया और गांव में ही कारोबार की शुरुआत कर दी. अरविंद बताते हैं कि उन्होंने सिलाई की 15 मशीनें खरीदीं और अन्य संसाधन भी जुटाए. अपने कारोबार के माध्यम से अब वह जैकेट, स्वेटर, लोअर, टीशर्ट और टोपी जैसे सामान तैयार कर रहे हैं. अरविंद बताते हैं कि उनकी रीता इंटरप्राइजेज फैक्ट्री में 20 लोग काम कर रहे हैं. इसमें 15 लोग मशीन का संचालन करते हैं तो वहीं दूसरे लोग अन्य काम करते हैं.

अरविंद कहते हैं कि जब वह अपने हुनर से दूसरों के काम को आगे बढ़ा सकते हैं तो खुद का काम करने में परहेज क्यों करना. इसी सोच से उनको प्रेरणा मिली. इनके काम में जफराबाद के भाजपा विधायक डॉ. हरेंद्र प्रताप सिंह ने भी इन्हें खूब सराहा और इनकी मदद की.

जब गांव में मिला रोजगार तो क्यों जाएं परदेश
ईटीवी भारत ने अरविंद की फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों से बातचीत की तो वह लोग काफी खुश नजर आ रहे थे. उन लोगों का कहना था कि परदेस जाकर किसी तरह से वह लोग अपने घर का खर्चा उठाते थे, लेकिन बाहर काम करके ज्यादा पैसे नहीं बचते थे. बाहर रूम का किराया और भोजन की व्यवस्था करने में काफी धन खर्च हो जाता था. ऐसे में बड़ी मुश्किल से परिवार को थोड़े बहुत पैसे वह लोग भेज पाते थे, लेकिन अब जब अरविंद राजभर ने गांव में ही रोजगार उपलब्ध करा दिया है तो वह लोग अब दूसरे प्रदेश जाकर काम नहीं करना चाहते हैं.

मजदूरों ने की सरकार की सराहना
फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि अब वह अपने परिवार के साथ भी समय व्यतीत कर लेते हैं. इसके साथ ही उनके काफी ज्यादा खर्चे भी नहीं होते. फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर सरकार को भी खूब दुआएं दे रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार ने जिस तरीके से उनकी मदद की है, उससे उनकी आर्थिक हालात में काफी सुधार आएगा.

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