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जालौन: वैज्ञानिक तकनीक और उन्नत बीज से फलदायी साबित हो रही है किसानों के लिए प्याज की खेती

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Published : Jan 4, 2020, 11:41 PM IST

जालौन के कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को वैज्ञानिक तकनीक और प्याज के उन्नत बीज उपलब्ध कराकर उनकी आय में दोगुनी वृद्धि करा रहे हैं. इससे प्याज की बढ़ी हुई कीमतों का फायदा किसानों को मिल रहा है.

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फलदायी साबित हो रही है किसानों के लिए प्याज की खेती.

जालौन: देश में प्याज की महंगाई को लेकर हाहाकार मचा है. वहीं जनपद के कृषि विज्ञान केंद्र, किसानों को वैज्ञानिक पद्धति के साथ उन्नत बीज उपलब्ध करा उनकी आय में दोगुनी वृद्धि करा रहे हैं. इससे प्याज की बढ़ी हुई कीमतों का फायदा किसानों को मिल रहा है. वैसे तो प्याज रबी की फसल में तैयार किया जाता है, लेकिन उच्च तकनीक और एल-883 हाइब्रिड बीज का इस्तेमाल कर इसे खरीफ की फसल में तैयार किया जा रहा है. इसके चलते किसान मोटा मुनाफा कमाने के लिए तैयार हैं.

फलदायी साबित हो रही है किसानों के लिए प्याज की खेती.

प्याज को माना जाता है नकदी फसल
कृषि विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिक पद पर तैनात डॉ. अमित कनौजिया का कहना है कि प्याज की खेती भारत में लगभग सभी भागों में की जाती है. यह एक नकदी फसल मानी जाती है. इसे ज्यादातर रबी की फसल में ही तैयार किया जाता है. साथ ही उन्होंने बताया कि जिले के रामपुरा ब्लाक के अंतर्गत अकबरपुरा गांव में परशुराम किसान के यहां खरीफ की फसल में तैयार किया गया है.

प्याज मार्केट में आने के लिए पूरी तरह से तैयार
अमित कनौजिया ने बताया कि प्याज मार्केट में आने के लिए पूरी तरह से तैयार है, जिससे प्याज की बढ़ी कीमतों का फायदा किसानों को मिल सकेगा. खरीफ में प्याज की खेती करने के लिए 8 से 10 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से पर्याप्त होता है. वहीं उसके पौधे को तैयार करने के लिए बीज को छोटी-छोटी क्यारियों में बोया जाता है. साथ ही बारिश से बचाने के लिए क्यारियों की ऊंचाई 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंची रखी जाती है. वैज्ञानिक तकनीक और उच्च हाइब्रिड बीज से एक हेक्टेयर में 300 से 350 कुंटल प्याज जनवरी के प्रथम सप्ताह में मार्केट में जाने के लिए तैयार हो जाता है.

इसे भी पढ़ें:- वाराणसी: विश्व हिंदू सेना ने कोटा में बच्चों की मौत पर प्रियंका से पूछा तीखा सवाल

जालौन: देश में प्याज की महंगाई को लेकर हाहाकार मचा है. वहीं जनपद के कृषि विज्ञान केंद्र, किसानों को वैज्ञानिक पद्धति के साथ उन्नत बीज उपलब्ध करा उनकी आय में दोगुनी वृद्धि करा रहे हैं. इससे प्याज की बढ़ी हुई कीमतों का फायदा किसानों को मिल रहा है. वैसे तो प्याज रबी की फसल में तैयार किया जाता है, लेकिन उच्च तकनीक और एल-883 हाइब्रिड बीज का इस्तेमाल कर इसे खरीफ की फसल में तैयार किया जा रहा है. इसके चलते किसान मोटा मुनाफा कमाने के लिए तैयार हैं.

फलदायी साबित हो रही है किसानों के लिए प्याज की खेती.

प्याज को माना जाता है नकदी फसल
कृषि विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिक पद पर तैनात डॉ. अमित कनौजिया का कहना है कि प्याज की खेती भारत में लगभग सभी भागों में की जाती है. यह एक नकदी फसल मानी जाती है. इसे ज्यादातर रबी की फसल में ही तैयार किया जाता है. साथ ही उन्होंने बताया कि जिले के रामपुरा ब्लाक के अंतर्गत अकबरपुरा गांव में परशुराम किसान के यहां खरीफ की फसल में तैयार किया गया है.

प्याज मार्केट में आने के लिए पूरी तरह से तैयार
अमित कनौजिया ने बताया कि प्याज मार्केट में आने के लिए पूरी तरह से तैयार है, जिससे प्याज की बढ़ी कीमतों का फायदा किसानों को मिल सकेगा. खरीफ में प्याज की खेती करने के लिए 8 से 10 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से पर्याप्त होता है. वहीं उसके पौधे को तैयार करने के लिए बीज को छोटी-छोटी क्यारियों में बोया जाता है. साथ ही बारिश से बचाने के लिए क्यारियों की ऊंचाई 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंची रखी जाती है. वैज्ञानिक तकनीक और उच्च हाइब्रिड बीज से एक हेक्टेयर में 300 से 350 कुंटल प्याज जनवरी के प्रथम सप्ताह में मार्केट में जाने के लिए तैयार हो जाता है.

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Intro:देश में प्याज की महंगाई को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र जालौन प्याज की खेती को बढ़ावा देने के लिए नई तकनीकी और उन्नत बीज किसानों को उपलब्ध कराकर प्याज की खेती करा रही है जिससे यहां के लोगों को मुनाफा हो सके


Body:प्याज की बढ़ी हुई कीमतों का फायदा किसानों को मिल सके इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र जालौन किसानों को वैज्ञानिक पद्धति के साथ उन्नत बीज उपलब्ध कराकर प्याज की खेती से किसानों की आय में दुगनी वृद्धि करा रहे हैं वैसे तो प्याज रबी की फसल में तैयार किया जाता है लेकिन उच्च तकनीक और एल 883 हाइब्रिड बीज का इस्तेमाल कर इसे खरीफ की फसल में तैयार कर किसान मोटा मुनाफा कमाने के लिए तैयार है प्याज की उन्नत खेती कृषि विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिक पद पर तैनात डॉ अमित कनौजिया बताते हैं प्याज की खेती भारत में लगभग सभी भागों में की जाती है और यह एक नगदी फसल है इसे ज्यादातर रबी की फसल में तैयार किया जाता है बुंदेलखंड में खरीफ की फसल में प्याज की खेती को बढ़ाने के लिए उच्च तकनीक और हाइब्रिड बीजों के जरिए इसे यहां पर जालौन जिले के रामपुरा ब्लाक के अंतर्गत अकबरपुरा गांव में परशुराम किसान के यहां इस्तेमाल किया गया और प्याज मार्केट में आने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गई है जिससे प्याज की बढ़ी कीमतों का फायदा किसानों को मिल सकेगा स्थान का चुनाव खरीफ की फसल के समय जुलाई-अगस्त में बारिश का मौसम होता है तो जगह का चुनाव करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वहां जलभराव की स्थिति ना हो जलभराव होने से रोग लगने और कंद खराब होने की संभावना अधिक हो जाती है खरीद में प्याज की खेती करने के लिए 8 से 10 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से पर्याप्त होता है पौध तैयार करने के लिए बीज को छोटी-छोटी क्यारियों में बोया जाता है और बारिश से बचाने के लिए क्यारियों की ऊंचाई 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंची रखी जाती है वैज्ञानिक तकनीक और उच्च हाइब्रिड बीज से एक हेक्टेयर में 300 से 350 कुंटल प्याज जनवरी के प्रथम सप्ताह में मार्केट में जाने के लिए तैयार हो जाता है बाइट परशुराम किसान बाइट डॉ अमित कनोजिया वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र


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