जालौन: देश में प्याज की महंगाई को लेकर हाहाकार मचा है. वहीं जनपद के कृषि विज्ञान केंद्र, किसानों को वैज्ञानिक पद्धति के साथ उन्नत बीज उपलब्ध करा उनकी आय में दोगुनी वृद्धि करा रहे हैं. इससे प्याज की बढ़ी हुई कीमतों का फायदा किसानों को मिल रहा है. वैसे तो प्याज रबी की फसल में तैयार किया जाता है, लेकिन उच्च तकनीक और एल-883 हाइब्रिड बीज का इस्तेमाल कर इसे खरीफ की फसल में तैयार किया जा रहा है. इसके चलते किसान मोटा मुनाफा कमाने के लिए तैयार हैं.
प्याज को माना जाता है नकदी फसल
कृषि विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिक पद पर तैनात डॉ. अमित कनौजिया का कहना है कि प्याज की खेती भारत में लगभग सभी भागों में की जाती है. यह एक नकदी फसल मानी जाती है. इसे ज्यादातर रबी की फसल में ही तैयार किया जाता है. साथ ही उन्होंने बताया कि जिले के रामपुरा ब्लाक के अंतर्गत अकबरपुरा गांव में परशुराम किसान के यहां खरीफ की फसल में तैयार किया गया है.
प्याज मार्केट में आने के लिए पूरी तरह से तैयार
अमित कनौजिया ने बताया कि प्याज मार्केट में आने के लिए पूरी तरह से तैयार है, जिससे प्याज की बढ़ी कीमतों का फायदा किसानों को मिल सकेगा. खरीफ में प्याज की खेती करने के लिए 8 से 10 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से पर्याप्त होता है. वहीं उसके पौधे को तैयार करने के लिए बीज को छोटी-छोटी क्यारियों में बोया जाता है. साथ ही बारिश से बचाने के लिए क्यारियों की ऊंचाई 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंची रखी जाती है. वैज्ञानिक तकनीक और उच्च हाइब्रिड बीज से एक हेक्टेयर में 300 से 350 कुंटल प्याज जनवरी के प्रथम सप्ताह में मार्केट में जाने के लिए तैयार हो जाता है.
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