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जालौन: खत्म होने की कगार पर है उरई का औद्योगिक क्षेत्र

जालौन के औद्योगिक क्षेत्र में अब ज्यादातर प्लॉट खाली पड़े हुए हैं. प्लॉटों पर इकाइयां स्थापित होने की स्थिति में दिखाई नहीं दे रही हैं. प्रोत्साहन और सुविधाएं नहीं मिलने से धीरे-धीरे औद्योगिक इकाइयां बंद होती जा रही हैं.

उरई का औद्योगिक क्षेत्र
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Published : Nov 17, 2019, 9:17 AM IST

Updated : Nov 17, 2019, 10:25 AM IST

जालौनः बुंदेलखंड के जिलों में रोजगार के अवसर प्रदान करने और उसे बेहतर बनाने के उद्देश्य से साल 1984 में औद्योगिक क्षेत्र का विस्तारीकरण किया गया था. छोटे-बड़े मिलाकर लगभग 400 कारखाने वहां संचालित होते थे. बहुत से उद्योगपतियों ने यहां पर निवेश किया था. कुछ सालों तक इस क्षेत्र के औद्योगिकरण होने की वजह से गुलजार रहा, लेकिन कुछ ही सालों बाद औद्योगिक इकाइयों को मिल रही सुविधाएं बंद होने लगी. जिसकी वजह से उरई औद्योगिक क्षेत्र में चल रही इकाइयां बंद होने की कगार पर जाने लगी.

देखें वीडियो.

जिला मुख्यालय में स्थित औद्योगिक क्षेत्र अब उजड़ा सा नजर आने लगा है. जबकि दो दशक पहले तक यह काफी गुलजार हुआ करता था. यहां 200 से अधिक कारखाने संचालित हुआ करते थे, जिससे करीब 4 हजार लोगों को रोजगार मिल जाया करता था. इकाईयां चला रहे यहां के उद्यमियों की मानें तो अब उरई का औद्योगिक क्षेत्र धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है.

535 एकड़ में फैला हुआ है उरई इंडस्ट्रियल एरिया

उरई से कानपुर राजमार्ग पर 535 एकड़ में फैला हुआ उरई इंडस्ट्रियल एरिया वीरान सा होने लगा है. करीब दो दशक पहले यहां पर कई औद्योगिक इकाइयां स्थापित की गई थी, जिसके चलते करीब 4 हजार लोगों को रोजगार मिला था, लेकिन प्रोत्साहन और सुविधाएं है न मिलने से धीरे-धीरे औद्योगिक इकाइयां बंद होती गई.हालात ये है की कुछ ही इकाइयां अब संचालित हो रही हैं. ज्यादातर छोटी और बड़ी कई इकाइयां ठप हो चुके हैं.

उद्यमियों को सबसे बड़ी समस्या यहां पर बिजली की थी. समय पर बिजली ना मिलने की वजह से उत्पादन पर असर पड़ने लगा, तो उद्यमियों ने कुछ वर्षों तक समस्या का सामना करने के बाद अपनी इकाइयों को बंद करना शुरू कर दिया. जिले में इस्पात निर्माण रिफाइंड कपड़े पावर लूम और हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड सहित कई उद्यम स्थापित थे, जो बाद में धीरे-धीरे बंद होते गए. सरकार की तरफ से इनको कोई प्रोत्साहन नहीं मिलने से अब कुछ ही इकाइयां ही संचालित हो रही हैं.

सरकार की तरफ से उद्योग स्थापित करने के लिए योजनाएं तो चलाई जा रही हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन सही ढंग से ना हो पाने की वजह से हम लोगों को वह सुविधाएं नहीं मिल पाती है. जिसकी वजह से यहां पर कोई भी उद्यमी अपना व्यवसाय स्थापित नहीं करना चाहता.
-नवीन सिंह, उद्यमी

बुंदेलखंड के लिए प्रदेश की योगी सरकार उद्यमियों को प्रोत्साहन और सुविधाएं प्रदान कर रही है. कोई भी व्यक्ति अगर इंडस्ट्री लगाना चाहता है, तो उसे 100% स्टैंप ड्यूटी फ्री रहती है. साथ ही कई योजनाओं के तहत उसको सब्सिडी भी दी जाती है.
-जीसी पाठक, डायरेक्टर उद्योग बंधु

जालौनः बुंदेलखंड के जिलों में रोजगार के अवसर प्रदान करने और उसे बेहतर बनाने के उद्देश्य से साल 1984 में औद्योगिक क्षेत्र का विस्तारीकरण किया गया था. छोटे-बड़े मिलाकर लगभग 400 कारखाने वहां संचालित होते थे. बहुत से उद्योगपतियों ने यहां पर निवेश किया था. कुछ सालों तक इस क्षेत्र के औद्योगिकरण होने की वजह से गुलजार रहा, लेकिन कुछ ही सालों बाद औद्योगिक इकाइयों को मिल रही सुविधाएं बंद होने लगी. जिसकी वजह से उरई औद्योगिक क्षेत्र में चल रही इकाइयां बंद होने की कगार पर जाने लगी.

देखें वीडियो.

जिला मुख्यालय में स्थित औद्योगिक क्षेत्र अब उजड़ा सा नजर आने लगा है. जबकि दो दशक पहले तक यह काफी गुलजार हुआ करता था. यहां 200 से अधिक कारखाने संचालित हुआ करते थे, जिससे करीब 4 हजार लोगों को रोजगार मिल जाया करता था. इकाईयां चला रहे यहां के उद्यमियों की मानें तो अब उरई का औद्योगिक क्षेत्र धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है.

535 एकड़ में फैला हुआ है उरई इंडस्ट्रियल एरिया

उरई से कानपुर राजमार्ग पर 535 एकड़ में फैला हुआ उरई इंडस्ट्रियल एरिया वीरान सा होने लगा है. करीब दो दशक पहले यहां पर कई औद्योगिक इकाइयां स्थापित की गई थी, जिसके चलते करीब 4 हजार लोगों को रोजगार मिला था, लेकिन प्रोत्साहन और सुविधाएं है न मिलने से धीरे-धीरे औद्योगिक इकाइयां बंद होती गई.हालात ये है की कुछ ही इकाइयां अब संचालित हो रही हैं. ज्यादातर छोटी और बड़ी कई इकाइयां ठप हो चुके हैं.

उद्यमियों को सबसे बड़ी समस्या यहां पर बिजली की थी. समय पर बिजली ना मिलने की वजह से उत्पादन पर असर पड़ने लगा, तो उद्यमियों ने कुछ वर्षों तक समस्या का सामना करने के बाद अपनी इकाइयों को बंद करना शुरू कर दिया. जिले में इस्पात निर्माण रिफाइंड कपड़े पावर लूम और हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड सहित कई उद्यम स्थापित थे, जो बाद में धीरे-धीरे बंद होते गए. सरकार की तरफ से इनको कोई प्रोत्साहन नहीं मिलने से अब कुछ ही इकाइयां ही संचालित हो रही हैं.

सरकार की तरफ से उद्योग स्थापित करने के लिए योजनाएं तो चलाई जा रही हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन सही ढंग से ना हो पाने की वजह से हम लोगों को वह सुविधाएं नहीं मिल पाती है. जिसकी वजह से यहां पर कोई भी उद्यमी अपना व्यवसाय स्थापित नहीं करना चाहता.
-नवीन सिंह, उद्यमी

बुंदेलखंड के लिए प्रदेश की योगी सरकार उद्यमियों को प्रोत्साहन और सुविधाएं प्रदान कर रही है. कोई भी व्यक्ति अगर इंडस्ट्री लगाना चाहता है, तो उसे 100% स्टैंप ड्यूटी फ्री रहती है. साथ ही कई योजनाओं के तहत उसको सब्सिडी भी दी जाती है.
-जीसी पाठक, डायरेक्टर उद्योग बंधु

Intro:जिले के मुख्यालय में स्थित औद्योगिक क्षेत्र अब उजड़ा सा नजर आने लगा है जबकि दो दशक पहले तक यह काफी गुलजार हुआ करता था यहां 200 से अधिक कारखाने संचालित हुआ करते थे जिससे करीब 4000 लोगों को रोजगार मिल जाया करता था औद्योगिक क्षेत्र में ज्यादातर प्लॉट खाली पड़े हुए हैं और आवंटित हो चुके हैं प्लाटों में इकाइयां स्थापित होने की स्थिति दिखाई नहीं दे रही है इकाइयों चला रहे यहां के उद्यमियों की माने तो अब उरई का औद्योगिक क्षेत्र धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है



Body:उरई से कानपुर राजमार्ग पर 535 एकड़ में फैला हुआ उरई इंडस्ट्रियल एरिया वीरान सा होने लगा है करीब दो दशक पहले यहां पर कई औद्योगिक इकाइयां स्थापित की गई जिसके चलते करीब 4000 लोगों को रोजगार भी मिलने लगा लेकिन प्रोत्साहन और सुविधाएं है ना मिलने से धीरे-धीरे औद्योगिक इकाइयां बंद होती गई अब जो हालात हैं उनमें कुछ इकाइयां हैं जो संचालित हैं ज्यादातर छोटी और बड़ी कई इकाइयां ठप हो चुके हैं बुंदेलखंड के जिलों में रोजगार के अवसर प्रदान करने और उसे बेहतर बनाने के उद्देश्य से साल 1984 में औद्योगिक क्षेत्र का विस्तारीकरण किया गया छोटे बड़े मिलाकर लगभग 4 सैकड़ा कारखाने वह मिले संचालित थी बहुत से उद्योगपतियों ने यहां पर निवेश किया था कुछ सालों तक तो यह क्षेत्र औद्योगिकरण होने की वजह से गुलजार रहा जिले के तमाम लोगों को रोजगार के साधन मिले लेकिन कुछ ही सालों बाद औद्योगिक इकाइयों पर ग्रहण लगना शुरू हो गया धीरे धीरे औद्योगिक इकाइयों को मिल रही सुविधाएं बंद होने लगी जिसकी वजह से उरई औद्योगिक क्षेत्र में चल रही इकाइयां बंदी की कगार पर जाने लगी उद्यमियों को सबसे बड़ी समस्या यहां पर बिजली की थी समय पर बिजली ना मिलने की वजह से उत्पादन पर असर पड़ने लगा तो उद्यमियों ने कुछ वर्षों तक समस्या का सामना करने के बाद अपनी इकाइयों को बंद करना शुरू कर दिया जिले में इस्पात निर्माण रिफाइंड कपड़े पावर लूम और हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड सहित कई उद्यम स्थापित थे जो बाद में धीरे-धीरे बंद होते गए सरकार की तरफ से इनको कोई प्रोत्साहन नहीं मिलने से अब कुछ ही इकाइयां संचालित हैं उधमी नवीन परिहार बताते हैं कि सरकार की तरफ से उद्योग स्थापित करने के लिए योजनाएं तो चलाई जा रही हैं लेकिन उनका क्रियान्वयन सही ढंग से ना हो पाने की वजह से हम लोगों को वह सुविधाएं नहीं मिल पाती जिसकी वजह से यहां पर कोई भी उद्यमी अपना व्यवसाय स्थापित नहीं करना चाहता उद्योग बंधु के डायरेक्टर जीसी पाठक बताते हैं बुंदेलखंड के लिए प्रदेश की योगी सरकार उधमीयों को प्रोत्साहन और सुविधाएं प्रदान कर रही है कोई भी व्यक्ति अगर इंडस्ट्री लगाना चाहता है तो उसे 100% स्टैंप ड्यूटी फ्री रहती है साथ ही कई योजनाओं के तहत उसको सब्सिडी भी दी जाती है


बाइट जीसी पाठक डायरेक्टर उद्योग बंधु

बाइट नवीन सिंह उद्यमी


Conclusion:
Last Updated : Nov 17, 2019, 10:25 AM IST
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