जालौनः जिले में बह रही पहुज, सिंधु और यमुना नदी ने अपना विकराल रूप धारण कर लिया है. इसके चलते गांव के लोगों की जिंदगी बेपटरी हो गई है. फसलों का नुकसान तो हुआ ही साथ में अब उनकी जान पर बन आई है. बाढ़ के पानी ने गांव में प्रवेश किया तो सड़के नदियों में तब्दील हो गईं. अब तो लोगों के घर में पानी घुस गया है, जिससे उनकी मुसीबतें और बढ़ गई हैं.
वहीं, माधौगढ़ तहसील के रामपुरा ब्लॉक में प्रभावित बाढ़ क्षेत्र में डीएम चांदनी सिंह और एसपी रवि कुमार अपनी टीम के साथ लगातार गांव का दौरा करने के साथ लोगों के लिए राहत सामग्री का प्रबंध करने में जुट गए हैं.
बता दें कि देश के कई राज्यों में नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं हैं. वहीं, डैम (DAM) से जल छोड़ने के बाद जालौन में भी नदियों का जलस्तर बढ़ गया है. जालौन से होकर निकलने वाली यमुना, बेतवा, पहुज और सिंधु नदी का जलस्तर बढ़ गया है. यमुना नदी अपने खतरे के निशान से 4 मीटर ऊपर बह रही है. यमुना नदी के तलहटी में बसे 45 से अधिक गांवों को प्रभावित किया है.
फिलहाल बाढ़ के खतरे को देखते हुए गांव में रह रहे ढाई हजार लोग परेशान है. अधिक पानी बढ़ जाने पर लोगों को बाढ़ चौकी या अस्थाई राहत केंद्रों में शिफ्ट कराने के लिए तैयारियां पूरी कर ली है. जिला प्रशासन की तरफ से पीने का पानी, दवाइयां और अन्य राहत सामग्री की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. वहीं, जिले में और भी कई ऐसे गांव हैं, जहां अभी तक लोगों को कोई सुविधा नहीं मिल सकी है.
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डीएम चांदनी सिंह ने निनावली जागीर, देवकली, हीरापुर देवारा जाकर लोगों से मुलाकात करने के साथ राहत सामग्री की व्यवस्था कराई. इसके साथ ही जिलाधिकारी ने क्लोरीन टेबलेट पहुंचाई हैं और यह संदेश दिया है कि अब हैंडपंप का पानी दूषित हो गया है. क्लोरीन टेबलेट डालने के बाद ही पानी का उपयोग करें.
प्रशासन द्वारा बाढ़ पीड़ितों के लिए दवाइयां पहुंचाई जा रही हैं. साथ ही राजस्व की टीमों को 24 घंटे बाढ़ प्रभावित गांव में तैनात किया गया है, जो किसी भी परिस्थिति में गांव के लोगों के लिए हमेशा मदद के लिए तैयार रहेंगे. साथ ही 24 घंटे मेडिकल टीम को सचल दल के तौर पर काम करने के लिए निर्देशित किया है.
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