जालौन: जिले के सरावन गांव में आठ सौ साल पुराने भूरेश्वर शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग के हर साल बढ़ते आकार को देखने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है. वहीं शिवरात्रि के पावन अवसर पर शिव मंदिर के आसपास महोत्सव जैसा माहौल रहता है. बम भोले और शिव शंकर के जयकारों के साथ पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है. शिवरात्रि के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु बुंदेलखंड के हर कोने से आकर अपनी मुराद नंदी के कान में अपनी बात कह कर भोले बाबा तक पहुंचाते हैं. ऐसी मान्यता है कि भोले बाबा हर किसी की मुराद पूरी करते हैं.
जिले के उरई मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर सरावन गांव में स्थापित भूरेश्वर शिव मंदिर की विशेष मान्यता है. कहते हैं कि इस शिव मंदिर की नींव 1205 विक्रम संवत में रखी गई थी. मंदिर की देखरेख करने वाले संरक्षक संतोष सिंह बताते हैं कि शिवरात्रि के दिन बुंदेलखंड के हर क्षेत्र से हजारों की संख्या में लोग यहां आकर भूरेश्वर शिव मंदिर के शिवलिंग में जल चढ़ाते हैं, क्योंकि इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना 800 साल पहले चावल के दाने के बराबर की गई थी और यह हर साल शिवरात्रि के दिन चावल के दाने के बराबर बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि आज इस शिवलिंग की ऊंचाई और चौड़ाई 3 फुट हो गई है.
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संरक्षक संतोष सिंह ने बताया कि शिवरात्रि के दिन-रात से ही भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं. साथ ही बताया कि प्राचीन समय में घूमने वाली प्रजातियां इस गांव में ठहरी थी और उनके पास एक डब्बी में चावल के आकार का पत्थर था. उस पत्थर को जब यहां रख दिया तो फिर वह उठा नहीं और इस मंदिर में ही स्थापित हो गया. वहीं धीरे-धीरे शिवलिंग का आकार की तरह हर शिवरात्रि पर चावल के दाने के बराबर बढ़ने लगा. उन्होंने बताया कि शिवरात्रि वाले दिन भक्तों का तांता लगने के साथ मंदिर परिसर के आसपास मेले का महोत्सव जैसा रूप देखने को मिलता है.
एसडीएम सालिकराम ने बताया शिवरात्रि के अवसर पर भूरेश्वर शिव मंदिर में विशेष पुलिस प्रशासन बल की यहां तैनाती की जाती है. वहीं हर साल एसडीएम और सीओ मॉनिटरिंग करते हैं, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई दिक्कत ना आए. वहीं भगदड़ और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अलग-अलग रास्ते बनाए गए हैं, ताकि आने वाले भक्तगण आराम से दर्शन कर सकें और भोले बाबा का आशीर्वाद ग्रहण कर सकें.