हाथरस: जिले में होलिका दहन के लिए लोग गाय के गोबर से गूलरी बना रहे हैं. इसके अलावा कंडे जो हवन पूजा में इस्तेमाल किए जाते है, वह भी तैयार किए जा रहे है. पेड़ की लकड़ी की जगह लोग अंतिम संस्कार के प्रयोग में लाए जाने वाले लकड़ियों का प्रयोग कर रहे हैं. इससे पेड़ों का कटान कम होगा और साथ ही पर्यावरण भी अधिक दूषित होने से बचेगा.
होलिका दहन के लिए तैयारियां हुई पूरी
होली के त्योहार पर होलिका दहन का खास महत्व है. इस त्योहार पर सामूहिक रूप से होलिका दहन के अलावा घर-घर भी होलिका जलाई जाती है. इसके लिए गोबर से बनी गूलरियों का प्रयोग किया जाता है. जिले रवि पहलवान और जयप्रकाश गाय के गोबर से प्रोडक्टस बना रहे हैं. यह लोग गूलरिया के अलावा कंडे और लकड़ी के स्थान पर प्रयोग होने वाले लक्कड़ भी बना रहे हैं. इनके इस्तेमाल से जहां वातावरण दूषित होने से बचता है, वहीं पेड़ों का कटान कम होने से पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा.
गाय के गोबर से प्रोडक्ट बनाने वाली लोग बताते हैं कि गूलरी, कंडे धुआं काम करते हैं. उन्होंने बताया की अंतिम संस्कार के लिए चिता में लकड़ी का इस्तेमाल किया जाएगा. पेड़ कटने से बचें सके इसके लिए वह गाय के गोबर के लक्कड़ बना रहे हैं. इससे पर्यावरण की सुरक्षा तो होगी ही पेड़ों का कटान भी कम होगा. मौसम परिवर्तन के समय अनेक प्रकार की वायरस वातावरण में पैदा हो जाते हैं. जब गाय के गोबर की गूलरियों पर जावित्री, इलायची, कपूर आदि सामग्री डाली जाती हैं, तो वातावरण से सारे वायरस खत्म कर देते हैं.
वह बताते हैं कि इससे निश्चित तौर पर हर प्रकार के वायरस समाप्त होते हैं, चाहे वह वायरस कोरोना का ही क्यों न हो. वैज्ञानिक बताते हैं कि गाय के गोबर से कई प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं. आज के बदलते परिवेश में लगातार पेड़ों की संख्या कम होती चली जा रही है. पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए यह बहुत सस्ता और अच्छा उपाय है.
इसे भी पढ़ें:- काका हाथरसी आज भी करते हैं लोगों के दिल पर राज