हाथरस: जिले में बुधवार को सीएमओ कार्यालय के सभागार में राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम के तहत एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इसमें आयोडीन के महत्व को समझाने के साथ ही इसकी कमी से होने वाले विकारों के प्रति लोगों को जागरूक किया गया.
गोष्ठी में बताया गया कि आयोडीन एक प्राकृतिक तत्व है. जिस पर हमारे शरीर की महत्वपूर्ण क्रियाएं और थायराइड ग्रंथियां निर्भर है, जो शक्ति का निर्माण करती हैं व हानिकारक कीटाणुओं को मारती हैं. आयोडीन मन को शांति प्रदान करता है तनाव कम करता है और मस्तिष्क को सतर्क रखता है. यह बाल ,नाखून, दांत और त्वचा को उत्तम स्थिति रखने में मदद करता है. आयोडीन की कमी से गर्दन के नीचे थायराइड ग्रंथि की सूजन हो सकती है. इसकी कमी से मंद मानसिक प्रतिक्रियाएं, धमनियों में शक्ति एवं मोटापा हो सकता है. आयोडीन शरीर व मस्तिष्क दोनों के लिए सही वृद्धि, विकास व संचालन के लिए जरूरी है
आयोडीन की कमी के लक्षण
इसकी कमी से कमजोरी होना, वजन बढ़ना, थकान महसूस होना, त्वचा में रूखापन, बाल झड़ना, दम घुटना, नींद अधिक आना महावारी अनियमित होना. ह्रदय गति धीमी होना तथा याददाश्त कमजोर होना आदि लक्षण है.
आयोडीन की कमी से बचाव
शरीर में आयोडीन की कमी ना होने पाए ,इसके लिए आयोडाइज्ड नमक का प्रयोग करें. एक वयस्क के लिए दिन में 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है. अधिक मात्रा में आयोडीन वाले आहार मूली ,सतावर ,गाजर, टमाटर, पालक ,आलू ,मटर, सलाद ,प्याज, केला, स्ट्रॉबेरी ,समुद्र से प्राप्त होने वाले आहार ,अंडे की जर्दी, दूध ,पनीर और कॉड लिवर ऑयल आदि है.
सीएमओ डॉक्टर बृजेश राठौर ने बताया कि गोष्ठी कर हम आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों पर चर्चा कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि आयोडीन की कमी से मुख्य रूप से घेंघा नामक रोग होता है. इससे बचाव के तरीके पर चर्चा कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि नमक वही खाए, जिसमें आयोडीन हो. नमक को बंद डिब्बे में रखें.