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बासमती का हाल जानने किसानों के घर पहुंचे 'पूसा' के वैज्ञानिक - Basmati rice yield in hathras

उत्तर प्रदेश के हाथरस में भारतीय कृषि अनुसंधान 'पूसा' की टीम ने बासमती चावल की पैदावार करने वाले किसानों से बातचीत की. टीम ने बासमती की गुणवत्ता परखने के लिए जिले के कई इलाकों में जाकर खेत की मिट्टी, सिंचाई का पानी व फसल के नमूने लिए.

बासमती का हाल जानने पहुंचे पूसा के वैज्ञानिक.
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Published : Oct 17, 2019, 10:38 PM IST

हाथरस: विदेशों में जाने वाले बासमती की डिमांड कम होने पर सरकार चिंतित है. इसे पुराने ढर्रे पर लाने की कोशिशें शुरू हो चुकी हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान 'पूसा' नई दिल्ली से आई वैज्ञानिकों की टीम ने हाथरस में बासमती चावल की पैदावार करने वाले किसानों से बातचीत कर जानकारी हासिल की. टीम ने बासमती की गुणवत्ता परखने के लिए जिले के कई इलाकों में जाकर खेत की मिट्टी, सिंचाई का पानी व फसल के नमूने लिए.

बासमती का हाल जानने पहुंचे पूसा के वैज्ञानिक.

चावल की पैदावार करने वाले किसानों से की बातचीत

  • बासमती चावल की डिमांड विदिशों में काफी अच्छी थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में धीरे-धीरे इसकी मांग में कमी आ रही है.
  • बासमती में आई कमियां दूर हो और एक्सपोर्ट फिर से गति पकड़ी इसकी कोशिशें शुरू हो गई हैं.
  • इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान 'पूसा' के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.एमसी मीणा और तकनीकी अधिकारी सोनू कुमार ने स्थानीय वैज्ञानिकों के साथ धान की पैदावार करने वाले क्षेत्रों का दौरा किया.
  • वैज्ञनिक डॉक्टर एमसी मीणा ने बताया पिछले दिनों भारत सरकार ने देखा है कि बासमती के उत्पादन, उपज और क्वालिटी में कहीं ना कहीं कमी पाई जा रही है.
  • विदेशों में इसके ऊपर बहुत सारे प्रश्नचिन्ह लगाए गए हैं कि इसकी क्वालिटी कमजोर होती जा रही है.
  • उन्होंने बताया कि हम इसकी जांच कर रहे हैं कि इसकी गुणवत्ता में क्यों कमी आ रही है.

हाथरस: विदेशों में जाने वाले बासमती की डिमांड कम होने पर सरकार चिंतित है. इसे पुराने ढर्रे पर लाने की कोशिशें शुरू हो चुकी हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान 'पूसा' नई दिल्ली से आई वैज्ञानिकों की टीम ने हाथरस में बासमती चावल की पैदावार करने वाले किसानों से बातचीत कर जानकारी हासिल की. टीम ने बासमती की गुणवत्ता परखने के लिए जिले के कई इलाकों में जाकर खेत की मिट्टी, सिंचाई का पानी व फसल के नमूने लिए.

बासमती का हाल जानने पहुंचे पूसा के वैज्ञानिक.

चावल की पैदावार करने वाले किसानों से की बातचीत

  • बासमती चावल की डिमांड विदिशों में काफी अच्छी थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में धीरे-धीरे इसकी मांग में कमी आ रही है.
  • बासमती में आई कमियां दूर हो और एक्सपोर्ट फिर से गति पकड़ी इसकी कोशिशें शुरू हो गई हैं.
  • इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान 'पूसा' के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.एमसी मीणा और तकनीकी अधिकारी सोनू कुमार ने स्थानीय वैज्ञानिकों के साथ धान की पैदावार करने वाले क्षेत्रों का दौरा किया.
  • वैज्ञनिक डॉक्टर एमसी मीणा ने बताया पिछले दिनों भारत सरकार ने देखा है कि बासमती के उत्पादन, उपज और क्वालिटी में कहीं ना कहीं कमी पाई जा रही है.
  • विदेशों में इसके ऊपर बहुत सारे प्रश्नचिन्ह लगाए गए हैं कि इसकी क्वालिटी कमजोर होती जा रही है.
  • उन्होंने बताया कि हम इसकी जांच कर रहे हैं कि इसकी गुणवत्ता में क्यों कमी आ रही है.
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एंकर- विदेशों में जाने वाले बासमती की डिमांड कम होने पर सरकार चिंतित है। इसे पुराने ढर्रे पर लाने की कोशिशें शुरू हो चुकी है। भारतीय कृषि अनुसंधान 'पूसा' नई दिल्ली से आई वैज्ञानिकों की टीम ने हाथरस में बासमती चावल की पैदावार करने वाले किसानों से बातचीत कर जानकारी हासिल की।टीम ने बासमती की गुणवत्ता परखने के लिए जिले के कई इलाकों में जाकर खेत की मिट्टी, सिंचाई का पानी व फसल के नमूने लिए।


Body:वीओ1- हमारे देश के बासमती चावल की डिमांड विदिशा में काफी अच्छी थी।लेकिन पिछले कुछ सालों में धीरे-धीरे इसकी मांग में कमी आ रही है।एक्सपोर्ट में आई गिरावट को सरकार ने गंभीरता से लिया है।बासमती में आई कमियां दूर हो और एक्सपोर्ट फिर से गति पकड़ी इसकी कोशिशें शुरू हो गई हैं। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान 'पूसा' नई दिल्ली से आए वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.एमसी मीणा व तकनीकी अधिकारी सोनू कुमार ने स्थानीय वैज्ञानिकों के साथ जिले में धान की पैदावार करने वाले क्षेत्रों का दौरा किया। वैज्ञनिक डॉक्टर एमसी मीणा ने बताया पिछले दिनों भारत सरकार ने देखा है कि बासमती के उत्पादन, उपज और क्वालिटी में कहीं ना कहीं कमी पाई जा रही है ।विदेशों में इसके ऊपर बहुत सारे प्रश्नचिन्ह लगाए गए हैं कि इसकी क्वालिटी कमजोर होती जा रही है। हम इसकी जांच कर रहे हैं कि इसकी गुणवत्ता में क्यों कमी आ रही है। वहीं किसान रामबाबू शर्मा ने बताया कि दिल्ली से आए वैज्ञानिकों ने उनकी खेत की मिट्टी ,पानी और फसल के नमूने लिए हैं।उन्होंने यह भी बताया कि टीम के सदस्यों ने उनसे जाना कि वह कौन सा बीजओर खाद अपनी फसल में लगाते हैं।
बाईट1- डॉ.एमसी मीणा -पूसा के वरिष्ठ वैज्ञानिक
बाईट2- रामबाबू शर्मा -किसान


Conclusion:वीओ2- किसानों की फसल ,मिट्टी और पानी के नमूनों के अलावा उनसे की गई जानकारी के आधार पर उन्हें तकनीकी रूप से अच्छा उत्पादन करने के टिप्स दिए जाएंगे। उम्मीद है कि इन टिप्स को अपनाने की के बाद किसानों की फसल अच्छी होगी। और उन्हें उनकी फसल का की अच्छी कीमत मिलेगी और साथ ही हमारे देश के बासमती का एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा।

अतुल नारायण
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