हाथरस: विदेशों में जाने वाले बासमती की डिमांड कम होने पर सरकार चिंतित है. इसे पुराने ढर्रे पर लाने की कोशिशें शुरू हो चुकी हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान 'पूसा' नई दिल्ली से आई वैज्ञानिकों की टीम ने हाथरस में बासमती चावल की पैदावार करने वाले किसानों से बातचीत कर जानकारी हासिल की. टीम ने बासमती की गुणवत्ता परखने के लिए जिले के कई इलाकों में जाकर खेत की मिट्टी, सिंचाई का पानी व फसल के नमूने लिए.
चावल की पैदावार करने वाले किसानों से की बातचीत
- बासमती चावल की डिमांड विदिशों में काफी अच्छी थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में धीरे-धीरे इसकी मांग में कमी आ रही है.
- बासमती में आई कमियां दूर हो और एक्सपोर्ट फिर से गति पकड़ी इसकी कोशिशें शुरू हो गई हैं.
- इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान 'पूसा' के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.एमसी मीणा और तकनीकी अधिकारी सोनू कुमार ने स्थानीय वैज्ञानिकों के साथ धान की पैदावार करने वाले क्षेत्रों का दौरा किया.
- वैज्ञनिक डॉक्टर एमसी मीणा ने बताया पिछले दिनों भारत सरकार ने देखा है कि बासमती के उत्पादन, उपज और क्वालिटी में कहीं ना कहीं कमी पाई जा रही है.
- विदेशों में इसके ऊपर बहुत सारे प्रश्नचिन्ह लगाए गए हैं कि इसकी क्वालिटी कमजोर होती जा रही है.
- उन्होंने बताया कि हम इसकी जांच कर रहे हैं कि इसकी गुणवत्ता में क्यों कमी आ रही है.