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133 सालों के इतिहास में पहली बार नहीं मनाया गया मजदूर दिवस: डॉ. गिरीश

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Published : May 2, 2020, 9:56 AM IST

यूपी के हाथरस में मई दिवस के मौके पर ईटीवी भारत के संवाददाता ने ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के संरक्षक डॉ. गिरीश से बात की. बातचीत में उन्होंने मजदूरों के परिवारों के भोजन की तत्काल व्यवस्था किए जाने और मजदूरों को घर पहुंचाए जाने की मांग की.

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के संरक्षक डॉ .गिरीश
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के संरक्षक डॉ .गिरीश

हाथरस: एक मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है. 1 मई 1887 को मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी. कोरोना के कारण 133 सालों में यह पहला मौका है, जब मजदूर इस दिवस को लोगों ने नहीं मनाया. मजदूरों की विभिन्न मांग उठाने वाले ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के संरक्षक डॉ. गिरीश से ईटीवी भारत ने बातचीत की. बातचीत में उन्होंने 3 मई के बाद मजदूरों को चार घंटे का काम दिए जाने की वकालत की है. उन्होंने कहा है कि इस काम के बदले उन्हें पूरे दिन की मजदूरी दी जाए.

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के संरक्षक डॉ .गिरीश से वार्ता.

1887 में पहली बार मनाया गया था मजदूर दिवस
पहली बार 1887 में मजदूर दिवस मनाए जाने के बाद 133 सालों के इतिहास में पहली बार मजदूर दिवस नहीं मनाया गया. ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इटक) के संरक्षक डॉ. गिरीश ने बताया कि लॉकडाउन ने लोगों के सामने तमाम समस्याएं खड़ी की हैं. मजदूरों के सामने सबसे अधिक समस्याएं हैं. इस लॉकडाउन की वजह से मजदूर रोजी-रोटी से हाथ धो बैठे हैं. वह अपने घरों से दूर प्रवास कर रहे हैं. वह जहां रह रहे हैं, वहां अव्यवस्थाएं ही अव्यवस्थाएं हैं.

मजदूरों को रोजगार दिए जाने की सख्त जरूरत
डॉ. गिरीश ने कहा कि इन मजदूरों को इनके घरों तक पहुंचा कर इन्हें रोजगार दिए जाने की सख्त जरूरत है. उन्होंने मांग की कि मजदूरों के परिवारों के भोजन की तत्काल व्यवस्था की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि समाज को, सरकार को और औद्योगिक प्रतिष्ठानों को मजदूरों को इसलिए बचाना चाहिए क्योंकि न तो इन मजदूरों के बिना उद्योग चलेंगे और न ही उत्पादन होगा. यदि उत्पादन नहीं होगा तो जनजीवन ठप हो जाएगा. इसलिए मई दिवस पर उन्होंने मांग उठाई कि केंद्र से लेकर राज्य सरकारें मजदूरों के जीवन, उनकी आजीविका और उनके स्वास्थ्य के लिए ठोस कदम उठाएं.

हाथरस: एक मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है. 1 मई 1887 को मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी. कोरोना के कारण 133 सालों में यह पहला मौका है, जब मजदूर इस दिवस को लोगों ने नहीं मनाया. मजदूरों की विभिन्न मांग उठाने वाले ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के संरक्षक डॉ. गिरीश से ईटीवी भारत ने बातचीत की. बातचीत में उन्होंने 3 मई के बाद मजदूरों को चार घंटे का काम दिए जाने की वकालत की है. उन्होंने कहा है कि इस काम के बदले उन्हें पूरे दिन की मजदूरी दी जाए.

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के संरक्षक डॉ .गिरीश से वार्ता.

1887 में पहली बार मनाया गया था मजदूर दिवस
पहली बार 1887 में मजदूर दिवस मनाए जाने के बाद 133 सालों के इतिहास में पहली बार मजदूर दिवस नहीं मनाया गया. ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इटक) के संरक्षक डॉ. गिरीश ने बताया कि लॉकडाउन ने लोगों के सामने तमाम समस्याएं खड़ी की हैं. मजदूरों के सामने सबसे अधिक समस्याएं हैं. इस लॉकडाउन की वजह से मजदूर रोजी-रोटी से हाथ धो बैठे हैं. वह अपने घरों से दूर प्रवास कर रहे हैं. वह जहां रह रहे हैं, वहां अव्यवस्थाएं ही अव्यवस्थाएं हैं.

मजदूरों को रोजगार दिए जाने की सख्त जरूरत
डॉ. गिरीश ने कहा कि इन मजदूरों को इनके घरों तक पहुंचा कर इन्हें रोजगार दिए जाने की सख्त जरूरत है. उन्होंने मांग की कि मजदूरों के परिवारों के भोजन की तत्काल व्यवस्था की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि समाज को, सरकार को और औद्योगिक प्रतिष्ठानों को मजदूरों को इसलिए बचाना चाहिए क्योंकि न तो इन मजदूरों के बिना उद्योग चलेंगे और न ही उत्पादन होगा. यदि उत्पादन नहीं होगा तो जनजीवन ठप हो जाएगा. इसलिए मई दिवस पर उन्होंने मांग उठाई कि केंद्र से लेकर राज्य सरकारें मजदूरों के जीवन, उनकी आजीविका और उनके स्वास्थ्य के लिए ठोस कदम उठाएं.

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