लखनऊ: हाथरस मामले में बुधवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष सुनवाई नहीं हो सकी. जिस पीठ के समक्ष उक्त मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था, उसमें से एक न्यायमूर्ति सोमवार को उपलब्ध नहीं थे. अब इस मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होगी.
हाईकोर्ट ने हाथरस मामले में स्वतः संज्ञान लिया था. हाईकोर्ट ने मामले को ‘गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार के अधिकार’ टाइटिल से दर्ज करते हुए सुनवाई शुरू की थी. न्यायालय ने इस घटना की पीड़िता के शरीर के अंतिम संस्कार के तरीके को लेकर चिंता जताई थी.
पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एसवी राजू ने न्यायालय को बताया था कि पीड़िता के परिवार के किसी सदस्य को नौकरी अथवा मकान जैसी कोई मांग सरकार ने स्वीकार नहीं की है. इस पर पीड़िता के परिवार की अधिवक्ता का कहना था कि उन्हें तत्कालीन जिलाधिकारी हाथरस ने लिखित आश्वासन दिया था. इस पर सरकार की ओर लिखित आश्वासन के बावत पुनः निर्देश प्राप्त कर कोर्ट को अवगत कराने के लिए समय देने का अनुरोध किया गया था. इस पर न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ ने उन्हें अगली सुनवाई तक इस सम्बंध में स्पष्ट निर्देश प्राप्त करने का आदेश दिया था.
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न्यायालय के आदेश पर 16 जनवरी को एमिकस क्यूरी नियुक्त वरिष्ठ वकील जेएन माथुर, राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता वीके शाही, गृह सचिव तरुण गाबा, मीडिया द्वारा उपलब्ध कराए गए वीडियो-ऑडियो क्लीपिंग्स को देखा था. क्लीपिंग्स को देखते समय हाथरस के तत्कालीन जिलाधिकारी प्रवीण कुमार, एसपी विक्रांत, पीड़िता के भाई-भाभी और उनकी वकील सीमा कुशवाहा भी मौजूद थे. पीठ के जज न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह भी इस दौरान उपस्थित थे. इस बार होने वाली सुनवाई में इस बिंदु पर भी बहस होने की उम्मीद है.