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इस गांव के ग्रामीण मतदान का करेंगे बहिष्कार, कहा- सड़क नहीं तो वोट नहीं - हाथरस की खबरें

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के एक गांव ने आने वाले यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) का किया विरोध. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक गांव की सड़क नहीं बन जाती तब तक वोट नहीं दिया जाएगा. सड़क नहीं तो वोट नहीं.

सड़क नहीं तो वोट नहीं
सड़क नहीं तो वोट नहीं
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Published : Dec 12, 2021, 10:29 PM IST

हाथरस : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) की घोषणा भले ही अभी ना हुई हो, लेकिन हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र के गांव चरड़पुरा के ग्रामीणों ने चुनाव में मतदान नहीं करने का फैसला लिया है. इसके लिए उन्होंने गांव में बैनर भी लगाए हैं. ग्रामीणों का कहना है- सड़क नहीं तो वोट नहीं.


'सड़क ठीक नहीं होगी तो वोट नहीं देंगे'


सिकंदराराऊ तहसील से गांव चरड़पुरा की दूरी करीब 15 किलोमीटर है. सिकंदराराऊ से लोग अपने निजी साधनों से कपासिया-वाजिदपुर मार्ग पर होते हुए जैसे-तैसे गांव के मोड़ तक पहुंच जाते हैं. लेकिन कपासिया-वाजिदपुर रोड से ढाई किलोमीटर दूरी पर स्थित गांव चरड़पुरा तक पहुंचते-पहुंचते इंसान की हड्डी पसली चरमरा जाती है.

सड़क नहीं तो वोट नहीं

गांव के लोग बताते हैं कि सड़क खराब होने की वजह से रोजाना आने-जाने वाले लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. दूसरी तरफ, उस समय और संकट खड़ा हो जाता है, जब कोई बीमार हो जाता है या फिर कोई महिला गर्भवती को अस्पताल तक पहुंचाना होता है. ग्रामीणों का यह भी कहना था कि यदि बिजली भी खराब हो जाती है, तो खराब सड़क की वजह से बिजली ठीक करने कर्मचारी भी कई-कई दिनों तक गांव में नहीं आते हैं.

इसे भी पढे़ं- हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटे सपा में शामिल, अखिलेश यादव ने कहा- अब जीत पक्की

ग्रामीण राम प्रकाश ने बताया कि सड़क बेहद खराब है. सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे भी हैं, इसलिए उन्हें सड़क छोड़कर नीचे चलना पड़ता है. उन्होंने यह भी बताया कि पूरे गांव ने वोट का बहिष्कार भी कर दिया है. सड़क होगी तो वोट देंगे, सड़क नहीं बनेगी तो वोट नहीं देंगे. वहीं, दूसरे ग्रामीणों ने बताया कि बिजली खराब हो जाती है. खंभे गिर जाती हैं. कई-कई दिनों तक लाइट नहीं आती है. यह परेशानी सड़क की वजह से ही है. बिजली ठीक करने वाले यह कहकर कई दिनों तक नहीं आते हैं कि मोटरसाइकिल खराब हो जाएगी.


बता दें, इस गांव में वोटरों की संख्या 400 है. देखने वाली बात यह होगी कि चुनाव आते-आते तक इनका रुख बदलता है या ग्रामीण अपने मतदान के बहिष्कार के फैसले पर अटल रहते हैं. इसके साथ ही इन ग्रामीणों की परेशानियां कब तक दूर होती हैं, इनके गांव की सड़क को शासन-प्रशासन कब तक बनवाती है.

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हाथरस : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) की घोषणा भले ही अभी ना हुई हो, लेकिन हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र के गांव चरड़पुरा के ग्रामीणों ने चुनाव में मतदान नहीं करने का फैसला लिया है. इसके लिए उन्होंने गांव में बैनर भी लगाए हैं. ग्रामीणों का कहना है- सड़क नहीं तो वोट नहीं.


'सड़क ठीक नहीं होगी तो वोट नहीं देंगे'


सिकंदराराऊ तहसील से गांव चरड़पुरा की दूरी करीब 15 किलोमीटर है. सिकंदराराऊ से लोग अपने निजी साधनों से कपासिया-वाजिदपुर मार्ग पर होते हुए जैसे-तैसे गांव के मोड़ तक पहुंच जाते हैं. लेकिन कपासिया-वाजिदपुर रोड से ढाई किलोमीटर दूरी पर स्थित गांव चरड़पुरा तक पहुंचते-पहुंचते इंसान की हड्डी पसली चरमरा जाती है.

सड़क नहीं तो वोट नहीं

गांव के लोग बताते हैं कि सड़क खराब होने की वजह से रोजाना आने-जाने वाले लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. दूसरी तरफ, उस समय और संकट खड़ा हो जाता है, जब कोई बीमार हो जाता है या फिर कोई महिला गर्भवती को अस्पताल तक पहुंचाना होता है. ग्रामीणों का यह भी कहना था कि यदि बिजली भी खराब हो जाती है, तो खराब सड़क की वजह से बिजली ठीक करने कर्मचारी भी कई-कई दिनों तक गांव में नहीं आते हैं.

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ग्रामीण राम प्रकाश ने बताया कि सड़क बेहद खराब है. सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे भी हैं, इसलिए उन्हें सड़क छोड़कर नीचे चलना पड़ता है. उन्होंने यह भी बताया कि पूरे गांव ने वोट का बहिष्कार भी कर दिया है. सड़क होगी तो वोट देंगे, सड़क नहीं बनेगी तो वोट नहीं देंगे. वहीं, दूसरे ग्रामीणों ने बताया कि बिजली खराब हो जाती है. खंभे गिर जाती हैं. कई-कई दिनों तक लाइट नहीं आती है. यह परेशानी सड़क की वजह से ही है. बिजली ठीक करने वाले यह कहकर कई दिनों तक नहीं आते हैं कि मोटरसाइकिल खराब हो जाएगी.


बता दें, इस गांव में वोटरों की संख्या 400 है. देखने वाली बात यह होगी कि चुनाव आते-आते तक इनका रुख बदलता है या ग्रामीण अपने मतदान के बहिष्कार के फैसले पर अटल रहते हैं. इसके साथ ही इन ग्रामीणों की परेशानियां कब तक दूर होती हैं, इनके गांव की सड़क को शासन-प्रशासन कब तक बनवाती है.

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