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हाथरस: 41 स्कूलों के नाम पर 24.92 करोड़ की छात्रवृत्ति का घोटाला - हाथरस समाचार

उत्तर प्रदेश के हाथरस में 41 स्कूलों के नाम पर 24.92 करोड़ के गबन का मामला सामने आया है. अल्पसंख्यक विभाग में हुए घोटालों में अब कार्रवाई शुरू हो गई है. डीएम ने इस गबन से संबंधित सभी पत्रावलियों को तलब किया है.

विकास भवन हाथरस
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Published : Sep 6, 2019, 11:48 AM IST

हाथरस: जिले में छात्रवृत्ति के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है. अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के नेशनल खातों के स्टेटमेंट व भौतिक सत्यापन से यह बात सामने आई कि वर्ष 2012-13 में 41 विद्यालयों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि दी गई. हैरानी की बात यह है कि जांच अधिकारियों को प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति वर्ष 2011-12 एवं 2012-13 के भुगतान की कोई भी पत्रावली अथवा अभिलेख कार्यालय अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी में नहीं मिले.

24.92 करोड़ का बड़ा छात्रवृत्ति घोटाला.

क्या है पूरा मामला -
वर्ष 2012-13 में जिले के अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति में प्राप्त धनराशि के वितरण की जांच परियोजना निदेशक द्वारा की गई थी. परियोजना निदेशक ग्राम्य विकास अभिकरण द्वारा एनआईसी से प्राप्त विद्यालय बार डाटा वेस एवं एसबीआई हाथरस के छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति के खाते की समीक्षा की. जांच में पता चला कि तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वीरेंद्र पाल सिंह ने भारत सरकार की प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप प्राप्त करने के लिए विभिन्न संस्थाओं के नाम फर्जी व मनमाने तरीके से फीड कर धनराशि की मांगी थी.

जांच में वीरेंद्र पाल सिंह को 24.92 करोड़ रुपये के दुरुपयोग का दोषी माना गया था. इस आधार पर कार्रवाई की संस्तुति तत्कालीन डीएम ने की थी. अब इस मामले में रविवार को ईओडब्ल्यू कानपुर की टीम ने पूर्व जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वीरेंद्र पाल सिंह की गिरफ्तारी की है.

इसे भी पढ़ें: हाथरस: छात्रवृत्ति घोटाला मामले में पूर्व समाज कल्याण अधिकारी गिरफ्तार

अल्पसंख्यक विभाग से छात्रवृत्ति घोटाले संबंधी पत्रावली मांगी गई है. इन पत्रावलियों का अवलोकन किया जा रहा है. जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.
- प्रवीण कुमार लक्षकार, जिलाधिकारी, हाथरस

हाथरस: जिले में छात्रवृत्ति के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है. अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के नेशनल खातों के स्टेटमेंट व भौतिक सत्यापन से यह बात सामने आई कि वर्ष 2012-13 में 41 विद्यालयों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि दी गई. हैरानी की बात यह है कि जांच अधिकारियों को प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति वर्ष 2011-12 एवं 2012-13 के भुगतान की कोई भी पत्रावली अथवा अभिलेख कार्यालय अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी में नहीं मिले.

24.92 करोड़ का बड़ा छात्रवृत्ति घोटाला.

क्या है पूरा मामला -
वर्ष 2012-13 में जिले के अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति में प्राप्त धनराशि के वितरण की जांच परियोजना निदेशक द्वारा की गई थी. परियोजना निदेशक ग्राम्य विकास अभिकरण द्वारा एनआईसी से प्राप्त विद्यालय बार डाटा वेस एवं एसबीआई हाथरस के छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति के खाते की समीक्षा की. जांच में पता चला कि तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वीरेंद्र पाल सिंह ने भारत सरकार की प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप प्राप्त करने के लिए विभिन्न संस्थाओं के नाम फर्जी व मनमाने तरीके से फीड कर धनराशि की मांगी थी.

जांच में वीरेंद्र पाल सिंह को 24.92 करोड़ रुपये के दुरुपयोग का दोषी माना गया था. इस आधार पर कार्रवाई की संस्तुति तत्कालीन डीएम ने की थी. अब इस मामले में रविवार को ईओडब्ल्यू कानपुर की टीम ने पूर्व जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वीरेंद्र पाल सिंह की गिरफ्तारी की है.

इसे भी पढ़ें: हाथरस: छात्रवृत्ति घोटाला मामले में पूर्व समाज कल्याण अधिकारी गिरफ्तार

अल्पसंख्यक विभाग से छात्रवृत्ति घोटाले संबंधी पत्रावली मांगी गई है. इन पत्रावलियों का अवलोकन किया जा रहा है. जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.
- प्रवीण कुमार लक्षकार, जिलाधिकारी, हाथरस

Intro:up_hat_01_24.92_crore_scholarship_scam_in_the_name_of_41_schools_in_hathras_pkg_7205410

एंकर- हाथरस में 41 स्कूलों के नाम पर लगभग ₹250000000 का घोटाला सामने आया है आपको बता दें की हाथरस के तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने जिले के अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का 24.92 करोड़ रूपया जिले के 41 मदरसा संचालकों के साथ मिलकर हड़प लिया वही जब इस मामले में जांच की गई तो धरातल पर जिले में कोई भी मदरसा संचालित नहीं पाया गया फिलहाल इस मामले से शिक्षा विभाग में खलबली मची हुई है


Body:वीओ-बता दें कि हाथरस में वर्ष 2013 में जिले के अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति शुल्क प्रतिपूर्ति तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी द्वारा दी गई थी इसमें कुछ स्कूल संचालकों ने अधिकारियों से शिकायत की ।शिकायत के बाद परियोजना निदेशक ग्राम्य विकास अभिकरण के अधिकारी ने मामले की जांच की और एनआईसी द्वारा प्राप्त विद्यालय वार डेटाबेस एवं एसबीआई हाथरस के छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति के खाते की समीक्षा की थी जिसमें पाया गया कि तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वीरेंद्र पाल सिंह द्वारा भारत सरकार की प्री मैट्रिक स्कालरशिप प्राप्त करने के लिए जिले की 41 संस्थाओं के नाम पर फर्जी व मनमाने तरीके से फीड कर धनराशि की मांग की गई थी वही धरातल पर न हीं संस्थाओं में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं का भौतिक सत्यापन किया गया। तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वीरेंद्र पाल सिंह को 24.92 करोड़ रुपए के दुरुपयोग का दोषी भी माना गया था इस आधार पर कार्यवाही की संतति तत्कालीन डीएम ने भी की थी अब इस मामले में ईओडब्ल्यू कानपुर की टीम ने पूर्व जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वीरेंद्र पाल की गिरफ्तारी 4 दिन पूर्व की है इस गिरफ्तारी से हाथरस के शिक्षा विभाग में खलबली मच गई है वही इस मामले में फरार आरोपियों पर जल्द ही शिकंजा कसे जाने की तैयारी की जा रही है मामले के तूल पकड़ने के बाद जिला अधिकारी प्रवीण कुमार लक्ष्यकार ने छात्रवृत्ति घोटाले संबंधी पत्रावलीओं को तलब किया है उन्होंने संबंधित विभागीय अधिकारियों को एन पत्रावलीओं के बारीकी से अवलोकन करने के निर्देश दिए हैं।

जब इस मामले में जिला अधिकारी हाथरस प्रवीण कुमार लक्षकार से बात की गई तो उनका कहना है कि वर्ष 2013- 14 में जिला कृषि अधिकारी थे उनके पास जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी का भी चार्ज था 41 मदरसे ऐसे थे जिनको के फर्जी तरीके से स्कॉलरशिप वितरण दिखाया गया उस टाइम में मंडलीय अधिकारी थे अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और पीडी डी आर डी ने इस मामले की जांच की थी जांच में यह निष्कर्ष था कि जो मौके पर 41 मदरसे हैं वह संचालित नहीं है जांच में उन्होंने यहां तक लिखा है कि इनके नाम और जन्म तिथि यह भी काल्पनिक है इस मामले में मुरसान थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई थी और पुलिस अभी कार्यवाही कर रही है पुलिस ने अभी इसको रेस्ट कर लिया है और आगे की कार्यवाही कर रही है।



बाइट- प्रवीण कुमार लक्षकार -जिलाधिकारी हाथरस।


Conclusion:हाथरस में अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के नाम पर लगभग ₹250000000 का तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने 41 मदरसा संचालकों के साथ मिलकर गबन कर लिया इस मामले से शिक्षा विभाग में खलबली मची हुई है।
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