हाथरसः जिले में आयुष्मान भारत के तहत खोले गए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पुरुष आयुष डॉक्टर उनके साथ एक फार्मासिस्ट सहित कुल तीन कर्मचारियों की तैनाती है. इनकी काबिलियत का अंदाजा इसी से लगता है कि इन्होंने अप्रैल 2022 से लेकर अब तक कई दर्जन प्रसव करा दिए हैं और जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकार से रुपये भी ले लिए. वहीं, ईटीवी भारत की टीम ने जब जांच-पड़ताल की, तो हकीकत कुछ और ही सामने आई. अब अधिकारी इस मामले में जांच कराए जाने की बात कर रहे हैं.
जिले में कुछ ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं के प्रसव की सुविधा उपलब्ध है. कुछ ऐसे भी स्वास्थ्य केंद्र हैं, जहां सिर्फ आंकड़ों में ही प्रसव हो रहे हैं. ईटीवी भारत ने जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कौमरी(खिटौली) की पड़ताल की, तो यहां पर अस्पताल में एक डॉक्टर और एक फार्मेसिस्ट सहित तीन कर्मचारियों की तैनाती है.
पड़ताल में पता चला कि अस्पताल में कभी भी डिलीवरी नहीं हुई है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में यहां डिलीवरी दर्ज है. अस्पताल में प्रसव कक्ष बना हुआ है, उसमें पानी की रखी टंकियां खुद बयां कर रही है कि यहां डिलीवरी कैसे संभव है. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि इस अस्पताल में डिलीवरी नहीं होती है. यहां खाँसी, जुखाम व बुखार की दवा दी जाती है. स्वस्थ केंद्र के कर्मी भी डिलीवरी न होने की पुष्टि कर रहे हैं. फिलहाल जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में जांच कराए जाने की बात कर रहे हैं.
गांव कौमारी के एक ग्रामीण रामखिलाड़ी ने बताया कि 'हमारे गांव के नाम का अस्पताल तो खिटौली में है, जहां पर डिलीवरी नहीं होती हैं. यहां पर तो आमजनता के लिए खांसी, जुकाम, बुखार आदि की दवा दी जाती है. गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए आशा एंबुलेंस से सासनी ले जाती हैं. गांव कौमारी एक शख्स नवीन ने बताया कि गांव कौमारी के नाम का अस्पताल गांव खिटौली में बना हुआ है. अस्पताल बीहड़ में है, वहां एएनएम कैसे रुक सकती'.
वहीं, खिटौली गांव के ग्रामीण शांति स्वरूप ने बताया कि 'यहां डिलीवरी नहीं होती है. उन्होंने बताया कि गाड़ी आती है गांव से गर्भवती महिलाओं को ले जाती है और वापस छोड़ जाती है. प्रसव के लिए महिलाओं को सासनी व हाथरस ले जाया जाता है'. सीएमओ डॉ.मंजीत सिंह ने बताया कि कौमरी अस्पताल का कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं है. फिर भी वह इसकी जांच कराएंगे. उन्होंने बताया कि सभी जगह वेरिफिकेशन कराया जा रहा है, जहां जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी.
जननी सुरक्षा योजना
बता दें कि जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिला को सरकार आर्थिक सहायता दी जाती है, ताकि महिला अपना व शिशु का ख्याल रख सके. इसके लिए गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं को अधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होता है. इस योजना में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है. शहरी क्षेत्र की महिला को 1000 रुपये दिए जाते हैं. वहीं, प्रसव में सहयोग करने पर ग्रमीण क्षेत्र की आशा को 600 रुपये और शहरी क्षेत्र की आशा को 400 रुपये मिलते हैं. यह लाभ सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव होने पर दिया जाता है.
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