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हरदोई: जीवनदायिनी सई नदी को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया जल्द होगी शुरू

अपने अस्तित्व की जंग लड़ रही पौराणिक सई नदी को पुनर्जीवित करने की कवायद शुरू हो चुकी है. मनरेगा से कार्य योजना तैयार होने के बाद जल्द ही सई नदी की सफाई का काम शुरू कर दिया जाएगा. सिंचाई के साथ-साथ पशु और पक्षियों के लिए भी कभी वरदान साबित होने वाली यह नदी आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है.

सई नदी.
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Published : May 26, 2019, 7:21 PM IST

हरदोई: कभी ग्रामीण इलाके में जीवनदायिनी साबित होने वाली सई नदी अब नाले में तब्दील हो चुकी है. लिहाजा, पशु-पक्षियों को जीवन देने वाली और किसानों की सिंचाई का साधन सई नदी अपने अस्तित्व की जंग लड़ रही है. ऐसे में सरकार से आए फरमान के बाद जिले में 185 किलोमीटर क्षेत्र में बहने वाली सई नदी के पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

अपने अस्तित्व की जंग लड़ रही है सई नदी.

जल्द सई नदी पर शुरू होगा काम

  • मनरेगा से कार्ययोजना तैयार होने के बाद जल्द ही सई नदी की सफाई का काम शुरू कर दिया जाएगा. साथ ही आसपास के क्षेत्र को ग्रीन बेल्ट के रूप में विकसित किया जाएगा.
  • एक विशेष प्रकार की खेती भी कराई जाएगी, ताकि गर्मी के मौसम में घटते जलस्तर की समस्या को रोका जा सके.
  • प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री के द्वारा नदियों के जीर्णोद्धार के लिए प्रशासन को निर्देश दिया गया था, जिस के क्रम में अब सरकार के निर्देशों का असर दिखाई देने लगा है.

सई नदी का है पौराणिक महत्व

  • सई नदी का वर्णन रामायण में भी मिलता है. इसकी लंबाई 715 किलोमीटर है.
  • हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और इलाहाबाद से बहते हुए यह नदी जौनपुर के राजघाट पर गोमती नदी से मिल जाती है.

क्या है किसानों का कहना...

  • किसानों के मुताबिक, बीते करीब दो दशक से यह नदी नाले के रूप में परिवर्तित हो गई है.
  • कहीं-कहीं तो इसमें पानी ही नहीं है जो थोड़ा बहुत पानी इस नदी में दिखाई देता है, वह किसी नाले के कारण है.
  • बहुत समय पहले इस नदी के जरिए खेतों की सिंचाई हुआ करती थी.
  • पशु और पक्षी इसका पानी पीते थे, लेकिन शासन और प्रशासन की अनदेखी के चलते यह नदी नाले में तब्दील हो गई.


जिले में 185 किलोमीटर लंबाई में बहने वाली सई नदी के पुनर्जीवित करने के लिए मनरेगा से कार्य योजना बन गई है. एक महीने के अंदर सई नदी की सफाई का काम शुरू कर दिया जाएगा. साथ ही इसके आसपास के क्षेत्र को ग्रीन बेल्ट के रूप में विकसित किया जाएगा और वन विभाग से नदियों के किनारों पर वृक्षारोपण का कार्य भी कराया जाएगा. साथ ही विशेष प्रकार की खेती भी कराई जाएगी ताकि वाटर रिचार्ज कराया जा सके, जिसकी वजह से गर्मी के मौसम में लोगों को जल स्तर की समस्या से राहत दिलाई जा सकेगी.

-पुलकित खरे, जिलाधिकारी, हरदोई

सई नदी के पुनर्जीवित होने के बाद जहां नदी में पानी आने से किसान अपने खेतों की सिंचाई कर सकेंगे तो पशु और पक्षियों को भी गर्मी के मौसम में राहत मिल सकेगी और एक बार फिर आम जनमानस और पशु पक्षियों के लिए जीवनदायिनी साबित होगी.

हरदोई: कभी ग्रामीण इलाके में जीवनदायिनी साबित होने वाली सई नदी अब नाले में तब्दील हो चुकी है. लिहाजा, पशु-पक्षियों को जीवन देने वाली और किसानों की सिंचाई का साधन सई नदी अपने अस्तित्व की जंग लड़ रही है. ऐसे में सरकार से आए फरमान के बाद जिले में 185 किलोमीटर क्षेत्र में बहने वाली सई नदी के पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

अपने अस्तित्व की जंग लड़ रही है सई नदी.

जल्द सई नदी पर शुरू होगा काम

  • मनरेगा से कार्ययोजना तैयार होने के बाद जल्द ही सई नदी की सफाई का काम शुरू कर दिया जाएगा. साथ ही आसपास के क्षेत्र को ग्रीन बेल्ट के रूप में विकसित किया जाएगा.
  • एक विशेष प्रकार की खेती भी कराई जाएगी, ताकि गर्मी के मौसम में घटते जलस्तर की समस्या को रोका जा सके.
  • प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री के द्वारा नदियों के जीर्णोद्धार के लिए प्रशासन को निर्देश दिया गया था, जिस के क्रम में अब सरकार के निर्देशों का असर दिखाई देने लगा है.

सई नदी का है पौराणिक महत्व

  • सई नदी का वर्णन रामायण में भी मिलता है. इसकी लंबाई 715 किलोमीटर है.
  • हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और इलाहाबाद से बहते हुए यह नदी जौनपुर के राजघाट पर गोमती नदी से मिल जाती है.

क्या है किसानों का कहना...

  • किसानों के मुताबिक, बीते करीब दो दशक से यह नदी नाले के रूप में परिवर्तित हो गई है.
  • कहीं-कहीं तो इसमें पानी ही नहीं है जो थोड़ा बहुत पानी इस नदी में दिखाई देता है, वह किसी नाले के कारण है.
  • बहुत समय पहले इस नदी के जरिए खेतों की सिंचाई हुआ करती थी.
  • पशु और पक्षी इसका पानी पीते थे, लेकिन शासन और प्रशासन की अनदेखी के चलते यह नदी नाले में तब्दील हो गई.


जिले में 185 किलोमीटर लंबाई में बहने वाली सई नदी के पुनर्जीवित करने के लिए मनरेगा से कार्य योजना बन गई है. एक महीने के अंदर सई नदी की सफाई का काम शुरू कर दिया जाएगा. साथ ही इसके आसपास के क्षेत्र को ग्रीन बेल्ट के रूप में विकसित किया जाएगा और वन विभाग से नदियों के किनारों पर वृक्षारोपण का कार्य भी कराया जाएगा. साथ ही विशेष प्रकार की खेती भी कराई जाएगी ताकि वाटर रिचार्ज कराया जा सके, जिसकी वजह से गर्मी के मौसम में लोगों को जल स्तर की समस्या से राहत दिलाई जा सकेगी.

-पुलकित खरे, जिलाधिकारी, हरदोई

सई नदी के पुनर्जीवित होने के बाद जहां नदी में पानी आने से किसान अपने खेतों की सिंचाई कर सकेंगे तो पशु और पक्षियों को भी गर्मी के मौसम में राहत मिल सकेगी और एक बार फिर आम जनमानस और पशु पक्षियों के लिए जीवनदायिनी साबित होगी.

Intro:आशीष द्विवेदी
हरदोई up
9918740777,8115353000

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up hri sai nadi hogi punarjivit byte dm UP10014

स्लग--ग्रामीण इलाके में जीवनदायिनी सई नदी को पुनर्जीवित करने की कवायद शुरू जल्द शुरू होगा काम

एंकर--अपने अस्तित्व की जंग लड़ रही पौराणिक सही नदी को पुनर्जीवित करने की कवायद शुरू हो चुकी है पुराणों में वर्णित कभी ग्रामीण इलाके में जीवनदायिनी साबित होने वाली आज की सही नदी की हालत नदी से नाले में तब्दील हो चुकी है लिहाजा पशु पक्षियों को जीवन देने वाली और किसानों की सिंचाई का साधन सई नदी अपने अस्तित्व की जंग लड़ रही है ऐसे में सरकार से आए फरमान के बाद हरदोई जिले में 185 किलोमीटर क्षेत्र में बहने वाली सई नदी के पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है मनरेगा से कार्ययोजना तैयार होने के बाद जल्द ही सई नदी की सफाई का काम शुरू कर दिया जाएगा साथ ही आसपास के क्षेत्र को ग्रीन बेल्ट के रूप में विकसित किया जाएगा साथ ही एक विशेष प्रकार की खेती भी कराई जाएगी ताकि गर्मी के मौसम में घटते जलस्तर की समस्या को रोका जा सके और आसपास के लोगों को जल स्तर की समस्या से राहत दिलाई जा सके।


Body:vo- उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री के द्वारा नदियों के जीर्णोद्धार के लिए प्रशासन को निर्देश दिया गया था जिस के क्रम में अब सरकार के निर्देशों का असर दिखाई देने लगा है। तस्वीरों में हरदोई के बेजुबान झील से निकलने वाली यह सही नदी है जिसका वर्णन रामायण में भी मिलता है इसकी लंबाई 715 किलोमीटर है हरदोई उन्नाव रायबरेली प्रतापगढ़ और जौनपुर जनपद से होती हुई यह नदी इलाहाबाद में बहती है यह नदी जौनपुर के राजघाट पर गोमती नदी से मिल जाती है हरदोई जिले में ही 185 किलोमीटर इलाके में या नदी बहती है लेकिन बीते करीब दो दशक से किसानों के मुताबिक या नदी नाले के रूप में परिवर्तित हो गई कहीं-कहीं तो इसमें पानी ही नहीं है जो थोड़ा बहुत पानी इस नदी में दिखाई देता है वह किसी नाले के कारण है बहुत समय पहले इस नदी के जरिए खेतों की सिंचाई हुआ करती थी पशु और पक्षी इसका पानी पीते थे लेकिन शासन और प्रशासन की अनदेखी के चलते यह नदी नाले में तब्दील हो गई और सिंचाई के साथ-साथ पशु और पक्षियों के लिए भी कभी वरदान साबित होने वाली है यह नदी अपनी बदहाली पर आंसू बहाने लगी।
बाइट-- पुलकित खरे जिलाधिकारी हरदोई
पीटीसी-- आशीष द्विवेदी हरदोई


Conclusion:voc-जिले में 185 किलोमीटर लंबाई में बहने वाली इस नदी के पुनर्जीवित करने के लिए मनरेगा से कार्य योजना बन गई है और प्रशासन का दावा है कि 1 महीने के अंदर सई नदी की सफाई का काम शुरू कर दिया जाएगा साथ ही इसके आसपास के क्षेत्र को ग्रीन बेल्ट के रूप में विकसित किया जाएगा और वन विभाग से नदियों के किनारों पर वृक्षारोपण का कार्य भी कराया जाएगा साथ ही विशेष प्रकार की खेती भी कराई जाएगी ताकि वाटर रिचार्ज कराया जा सके जिसकी वजह से गर्मी के मौसम में लोगों को जल स्तर की समस्या से राहत दिलाई जा सकेगी। सई नदी के पुनर्जीवित होने के बाद जहां नदी में पानी आने से किसान अपने खेतों की सिंचाई कर सकेंगे तो पशु पक्षियों को भी गर्मी के मौसम में राहत मिल सकेगी और एक बार फिर आम जनमानस और पशु पक्षियों के लिए जीवनदायिनी साबित होगी।
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