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इस गांव की महिलाएं नहीं खातीं दिन का खाना, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान - हरदोई में खुुले में शौच को मजबूर महिलाएं

यूपी के हरदोई जिले के गुरगुज्जा गांव में शौचालय न होने की वजह से यहां की महिलाएं एक पहर का खाना ही नहीं खातीं हैं. इस गांव के अधिकांश ग्रामीणों को आज तक न ही शौचालय मिला है और न ही आवास.

गुरगुज्जा गांव की स्थिति बेहद दयनीय.
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Published : Oct 23, 2019, 3:50 PM IST

हरदोई: जिले में आज भी तमाम गांव ऐसे हैं जो सरकारी कार्यदायी योजनाओं की जमीनी हकीकत से रूबरू करा रहे हैं. एक तरफ सरकार बेघरों को आवास दिलाने व देश को खुले में शौंच मुक्त करने का दावा पेश कर रही हैं, लेकिन जिले में एक ऐसा गांव है, जहां शौचालय न होने के चलते महिलाओं ने एक पहर का भोजन करना ही बंद कर दिया है. जिले के गुरगुज्जा गांव में मौजूद सैकड़ों महिलाएं सिर्फ इसी लिए दिन में खाना नहीं खाती हैं क्योंकि उनके घर शौचालय नहीं है.

देखें रिपोर्ट.
हरदोई गुरगुज्जा गांव की स्थिति बेहद दयनीय है. यहां के अधिकांश लोगों को न ही शौचालय मिले हैं और न ही आवास. बात और भी चौंकाने वाली तब हो जाती है जब जब महिलाओं ने इस समस्या के चलते एक पहर का खाना ही त्याग दिया है. इससे साफ है कि इस गांव की तरफ आज तक किसी भी जिम्मेदार ने ध्यान देना जरूरी नहीं समझा. ग्रामीणों ने कई बार शौचालय के लिए आवेदन किया, लेकिन ग्राम प्रधान आज तक शौचालय मुहैया नहीं करा सके.

ये भी पढ़ें- हरदोई: कुम्हारों को नहीं मिल रहा योजना का लाभ, इस बार भी दिवाली अंधेरे में होने के आसार

दूसरी तरफ इन ग्रामीणों को आवासीय योजनाओं का भी सुख आज तक नहीं मिला. हजारों की आबादी वाले इस गांव में ज्यादातर ग्रामीण कच्चे और टूटे घरों में रहने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं इन ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इनसे आवास के नाम पर ढाई हजार रुपये भी लिए गए थे, लेकिन आज तक उन्हें आवास नहीं मिल सका. गुरगुज्जा गांव में सरकार की योजनाओं का किस तरह मजाक बनाया जा रहा है. ये आप देख और सुन सकते हैं.

इस मामले की शिकायत प्राप्त हुई है. एक टीम गठित कर मौजूद लाभार्थियों को चिन्हित किया जाएगा. ग्रामीणों को सुविधाओं व योजनाओं से लाभवान्वित किया जाएगा.
-गजेंद्र कुमार, सिटी मजिस्ट्रेट

हरदोई: जिले में आज भी तमाम गांव ऐसे हैं जो सरकारी कार्यदायी योजनाओं की जमीनी हकीकत से रूबरू करा रहे हैं. एक तरफ सरकार बेघरों को आवास दिलाने व देश को खुले में शौंच मुक्त करने का दावा पेश कर रही हैं, लेकिन जिले में एक ऐसा गांव है, जहां शौचालय न होने के चलते महिलाओं ने एक पहर का भोजन करना ही बंद कर दिया है. जिले के गुरगुज्जा गांव में मौजूद सैकड़ों महिलाएं सिर्फ इसी लिए दिन में खाना नहीं खाती हैं क्योंकि उनके घर शौचालय नहीं है.

देखें रिपोर्ट.
हरदोई गुरगुज्जा गांव की स्थिति बेहद दयनीय है. यहां के अधिकांश लोगों को न ही शौचालय मिले हैं और न ही आवास. बात और भी चौंकाने वाली तब हो जाती है जब जब महिलाओं ने इस समस्या के चलते एक पहर का खाना ही त्याग दिया है. इससे साफ है कि इस गांव की तरफ आज तक किसी भी जिम्मेदार ने ध्यान देना जरूरी नहीं समझा. ग्रामीणों ने कई बार शौचालय के लिए आवेदन किया, लेकिन ग्राम प्रधान आज तक शौचालय मुहैया नहीं करा सके.

ये भी पढ़ें- हरदोई: कुम्हारों को नहीं मिल रहा योजना का लाभ, इस बार भी दिवाली अंधेरे में होने के आसार

दूसरी तरफ इन ग्रामीणों को आवासीय योजनाओं का भी सुख आज तक नहीं मिला. हजारों की आबादी वाले इस गांव में ज्यादातर ग्रामीण कच्चे और टूटे घरों में रहने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं इन ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इनसे आवास के नाम पर ढाई हजार रुपये भी लिए गए थे, लेकिन आज तक उन्हें आवास नहीं मिल सका. गुरगुज्जा गांव में सरकार की योजनाओं का किस तरह मजाक बनाया जा रहा है. ये आप देख और सुन सकते हैं.

इस मामले की शिकायत प्राप्त हुई है. एक टीम गठित कर मौजूद लाभार्थियों को चिन्हित किया जाएगा. ग्रामीणों को सुविधाओं व योजनाओं से लाभवान्वित किया जाएगा.
-गजेंद्र कुमार, सिटी मजिस्ट्रेट

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई। 9919941250

एंकर----हरदोई जिले में आज भी तमाम गांव ऐसे हैं जो सरकार की कार्यदायी योजनाओं की जमीनी हकीकत से रूबरू करा रहे हैं।एक तरफ सरकार बेघरों को आवास दिलाने व देश को खुले में शौंच मुक्त करने का दावा पेश कर रही है।तो जिले में एक ऐसा गांव मौजूद है जहां शौंचालय न होने के चलते महिलाओं ने एक पहर का भोजन ग्रहण करना ही बंद कर दिया है।जिले के गुरगुज्ज़ा गांव में मौजूद सैकड़ों महिलाएं सिर्फ इसी लिए दिन में खाना नहीं खाती हैं क्योंकि उनके घर शौंचालय नहीं है।वहीं आवासीय योजनाओं के सुख से भी यहां के ग्रामीण आज वंचित हैं और आवास के नाम पर उनसे लिए गए पैसों का ब्याज भर कर ही रह गए।


Body:वीओ--1--जिले की हरदोई देहात ग्राम सभा के गुरगुज्ज़ा गांव की स्थिति बेहद दयनीय है।यहां के अधिकांश लोगों को न ही शौंचालय मिले हैं और न ही आवास।बात और भी चौकाने वाली तब हो जाती है जब जब महिलाओं ने इस समस्या के चलते एक पहर का खाना ही त्याग दिया हो।ये तस्वीरें उसी गांव की हैं जहां की सैकड़ों महिलाएं सिर्फ इसी लिए दिन का खाना नहीं खाती हैं कि उन्हें खुले में शौंच के लिए न जाना पड़े।इससे साफ है कि इस गांव की तरफ आज तक किसी भी जिम्मेदार ने ध्यान देना जरूरी नहीं समझा।ग्रामीणों के अनुसार उन्होंने कई मर्तबा आवेदन भी किया लेकिन प्रधान खिलाफ होने के कारण इन्हें आज तक शौंचालय नहीं मुहैया कराए जा सके।

बाईट--1--रेखा--ग्रामीण महिला
बाईट--2--राजश्री--ग्रामीण महिला

वीओ--2--वहीं दूसरी तरफ इन ग्रामीणों को आवासीय योजनाओं का भी सुख आज तक नहीं मिला।हज़ारों की आबादी वाले इस गांव में कुछ एक को छोड़ बाकी सब आज भी कच्चे और टूटे घरों में रहने को मजबूर हैं।इतना ही नहीं इन ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इनसे आवास के नाम पर ढाई हजार रुपये भी लिए गए थे।जो ग्रामीणों ने आवास की लालसा में ब्याज पर लेकर दिए थे।ग्रामीणों ने बताया कि उन पैसों को 4 वर्ष बाद लौटाल दिया गया।जिसका 16 सौ रुपये के आस पास ब्याज उन्हें अपनी जेम से भरना पड़ा।लेकिन आज तक उन्हें आवास नहीं मिल सका।ऐसे में सरकार की इन योजनाओ का किस तरह मजाक बनाया जा रहा है ये आप देख और सुन सकते हैं।

विसुअल विद वॉइस ओवर

बाईट--3--रामसुर--ग्रामीण वृद्ध

वीओ--3--वहीं सिटी मजिस्ट्रेट ने मामले की जानकारी से अवगत कराया।कहा कि हालही में इस मामले की शिकायत उन्हें प्राप्त हुई है।एक टीम गठित कर यहां मौजूद लाभार्थियों को चिन्हित किया जाएगा और सुविधाओं व योजनाओं से लाभनवोट किया जाएगा।

बाईट--गजेंद्र कुमार--सिटी मजिस्ट्रेट

पीटूसी



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