हरदोई: साल 1886 में महारानी विक्टोरिया के शासनकाल की जयंती मनाने के लिए जिले में हरदोई में एक दरबार का आयोजन किया गया था. इसी क्रम में जयंती की यादगार में 5 फरवरी 1888 में इस विक्टोरिया हॉल का भी निर्माण जिले के तालुकेदारों और राजाओं ने चंदा इकठ्ठा कर करवाया था.
आज भी सैकड़ों वर्षों पुराना ये विक्टोरिया हॉल मजबूती की मिसाल कायम किये हुए है. यहां तमाम रेयर और एंटीक धरोहरें मौजूद हैं. अब यहां हरदोई क्लब संचालित किया जाता है, जिसमें जिले के बड़े अधिकारी और संभ्रांत लोग एकत्र होकर यहां रखी खेल की चीजों का लुफ्त उठाते हैं.
यहां रखी सैकड़ों वर्षों पुरानी वेटलिफ्टिंग घड़ी और पंचरत्नीय घंटा मौजूद है. कई रहस्य भी इस विक्टोरिया हॉल में दबे हुए हैं, जिनके बारे में न ही तो कोई बात करता है और न ही उन्हें जानना चाहता है. हालांकि देश में दूसरी ऐतिहासिक इस इमारत को देखने के लिए देश विदेश से लोग आज भी यहां आते हैं और इसके इतिहास से रूबरू होते हैं.
इमारत में लगी है बेशकीमती घड़ी
इस इमारत में लगी घड़ी 1888 के आस पास की है. ये घड़ी लंदन की एक मशहूर कंपनी द्वारा तैयार की गई थी. यहां के लोग दावा करते हैं कि ऐसी घड़ियां अब भारत मे नहीं हैं. एक मात्र इस घड़ी को संजोकर हरदोई में रखा गया है. इसमें लगा ये घंटा भी पंचरत्नीय है. इसकी कीमत करीब 50 लाख रुपये है. वहीं यहां रखी बिलियर्ड टेबल भी पूरे देश में एक ही होने का दावा यहां के केयर टेकर सुरेश ने किया है. इस एंटीक टेबल का लुफ्त इस दौरान जिले के रसूखदार उठा रहे हैं.
इस इमारत की बनावट और मजबूती की बात करें, तो आज सैकड़ों वर्ष बीत जाने के बाद भी इसमें एक दरार तक नहीं आई है. यहां आज भी तमाम एंटीक चीजें मौजूद हैं, जिसमें बिलियर्ड टेबल, घड़ी, घंटा और तोप आदि हैं. इस इमारत के नीचे एक तहखाना और एक सुरंग भी मौजूद है. लेकिन आज तक इस तहखाना मे किसी ने भी जाने की जहमत नहीं की और न ही किसी भी अधिकारी और अन्य को इस तहखाना को खोलने की अनुमति है.
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यहां की घड़ी, बिलियर्ड टेबल के साथ ही बिजली की सप्लाई करने वाली बिजली की लाइनें भी 1888 की हैं जो कि आज भी अधिक से अधिक लोड झेल सकती हैं.
-सुरेश चंद्र,केयर टेकर, विक्टोरिया हॉल