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हरदोई: PICU भवन में धूल फांक रहे वेंटिलेटर, नहीं चेत रहे जिम्मेदार

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिला अस्पताल में लाखों रुपये के वेंटिलेटर धूल खाते नजर आ रहे हैं. यहां अभी तक न ही कोई डॉक्टर मौजूद था और न ही पूरा स्टाफ ही है. हालांकि अभी एक-दो दिन पूर्व एक डॉक्टर की तैनाती यहां की गई है, जिन्होंने अभी तक चार्ज नहीं लिया है.

PICU भवन में धूल फांक रहे वेंटिलेटर.
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Published : Oct 15, 2019, 4:07 PM IST

हरदोई: जिला अस्पताल में मौजूद लाखों रुपये के वेंटिलेटर विगत लंबे समय से धूल खाते नजर आ रहे हैं. अस्पताल में बने पीआईसीयू में अभी तक न ही डॉक्टरों की तैनाती कराई जा सकी है और न ही पर्याप्त कर्मचारी यहां मौजूद रहते हैं. हाल ही में वेंटिलेटर के अभाव के चलते एक बच्चे की मौत भी हो चुकी है. जिम्मेदार अधिककरी लापरवाहियों पर पर्दा डालने और लीपा-पोती करने में लगे हुए हैं.

PICU भवन में धूल फांक रहे वेंटिलेटर.

चर्चाओं में रहता है हरदोई जिला अस्पताल
हरदोई जिला अस्पताल अपनी लापरवाहियों के चलते चर्चाओं में रहता है. यहां हाल ही में बने पीडियाट्रिक आईसीयू की स्थिति भी दयनीय है. यहां अभी तक न ही कोई डॉक्टर मौजूद था और न ही पूरा स्टाफ ही है. हालांकि अभी एक-दो दिन पूर्व एक डॉक्टर की तैनाती यहां की गई है, जिन्होंने अभी तक चार्ज नहीं लिया है. अस्पताल में मौजूद 25 लाख रुपये की कीमत के करीब पांच वेंटिलेटर कई महीनों से धूल खा रहे हैं.

वेंटिलेटर बने शोपीस
जिले में वेंटिलेटर के अभाव में होने वाली मौतों पर अंकुश लगाने और लोगों को गैर जनपदों के चक्कर न लगाने पड़ें, इसलिए यहां पर एक पीआईसीयू का निर्माण कराकर, इसे अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया था. स्वास्थ्य विभाग द्वारा करोड़ों खर्च करने के बाद भी आज जिला अस्पताल के बाल विभाग की स्थिति जस की तस है. आज भी वेंटिलेटर के अभाव में यहां बच्चों की मौत का सिलसिला बरकरार है, जबकि यहां बने पीआईसीयू में करीब पांच वेंटिलेटर 25 लाख की कीमत से लाये गए थे.

वेंटिलेटर महज शोपीस बने खड़े हैं, क्योंकि इन्हें चलाने वाला यहां कोई नहीं है. इतना ही नहीं अस्पताल में तमाम महंगे और अत्याधुनिक उपकरण मौजूद हैं, जिन्हें चलाने के लिए एक टेक्नीशियन की आवश्यकता है. इससे यहां आने वाले मरीज बच्चों को पीआईसीयू का लाभ पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है और ये आईसीयू एक साधारण वार्ड के रूप में संचालित किया जा रहा है. अस्पताल में मौजूदा स्थिति की बात करें तो सिर्फ एक या दो स्टाफ नर्सों के सहारे इसे संचालित किया जा रहा है. वहीं डॉक्टर भी समय पर यहां नहीं आते, जिससे भर्ती मासूम बच्चों का इलाज भी सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है.

इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एके शाक्य ने एक नए डॉटकर की तैनाती होने बात कही. हालांकि अभी तक डॉक्टर ने यहां का चार्ज नहीं संभाला है. वहीं वेंटिलेटर के अभाव के चलते हुई बच्चे की मौत पर उन्होंने उसके सीरियस होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया. उन्होंने वेंटिलेटर चलाए जाने के लिए होने वाली ट्रेनिंग कराए जाने का भी आश्वासन दिया.

हरदोई: जिला अस्पताल में मौजूद लाखों रुपये के वेंटिलेटर विगत लंबे समय से धूल खाते नजर आ रहे हैं. अस्पताल में बने पीआईसीयू में अभी तक न ही डॉक्टरों की तैनाती कराई जा सकी है और न ही पर्याप्त कर्मचारी यहां मौजूद रहते हैं. हाल ही में वेंटिलेटर के अभाव के चलते एक बच्चे की मौत भी हो चुकी है. जिम्मेदार अधिककरी लापरवाहियों पर पर्दा डालने और लीपा-पोती करने में लगे हुए हैं.

PICU भवन में धूल फांक रहे वेंटिलेटर.

चर्चाओं में रहता है हरदोई जिला अस्पताल
हरदोई जिला अस्पताल अपनी लापरवाहियों के चलते चर्चाओं में रहता है. यहां हाल ही में बने पीडियाट्रिक आईसीयू की स्थिति भी दयनीय है. यहां अभी तक न ही कोई डॉक्टर मौजूद था और न ही पूरा स्टाफ ही है. हालांकि अभी एक-दो दिन पूर्व एक डॉक्टर की तैनाती यहां की गई है, जिन्होंने अभी तक चार्ज नहीं लिया है. अस्पताल में मौजूद 25 लाख रुपये की कीमत के करीब पांच वेंटिलेटर कई महीनों से धूल खा रहे हैं.

वेंटिलेटर बने शोपीस
जिले में वेंटिलेटर के अभाव में होने वाली मौतों पर अंकुश लगाने और लोगों को गैर जनपदों के चक्कर न लगाने पड़ें, इसलिए यहां पर एक पीआईसीयू का निर्माण कराकर, इसे अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया था. स्वास्थ्य विभाग द्वारा करोड़ों खर्च करने के बाद भी आज जिला अस्पताल के बाल विभाग की स्थिति जस की तस है. आज भी वेंटिलेटर के अभाव में यहां बच्चों की मौत का सिलसिला बरकरार है, जबकि यहां बने पीआईसीयू में करीब पांच वेंटिलेटर 25 लाख की कीमत से लाये गए थे.

वेंटिलेटर महज शोपीस बने खड़े हैं, क्योंकि इन्हें चलाने वाला यहां कोई नहीं है. इतना ही नहीं अस्पताल में तमाम महंगे और अत्याधुनिक उपकरण मौजूद हैं, जिन्हें चलाने के लिए एक टेक्नीशियन की आवश्यकता है. इससे यहां आने वाले मरीज बच्चों को पीआईसीयू का लाभ पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है और ये आईसीयू एक साधारण वार्ड के रूप में संचालित किया जा रहा है. अस्पताल में मौजूदा स्थिति की बात करें तो सिर्फ एक या दो स्टाफ नर्सों के सहारे इसे संचालित किया जा रहा है. वहीं डॉक्टर भी समय पर यहां नहीं आते, जिससे भर्ती मासूम बच्चों का इलाज भी सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है.

इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एके शाक्य ने एक नए डॉटकर की तैनाती होने बात कही. हालांकि अभी तक डॉक्टर ने यहां का चार्ज नहीं संभाला है. वहीं वेंटिलेटर के अभाव के चलते हुई बच्चे की मौत पर उन्होंने उसके सीरियस होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया. उन्होंने वेंटिलेटर चलाए जाने के लिए होने वाली ट्रेनिंग कराए जाने का भी आश्वासन दिया.

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई। 9919941250

एंकर--हरदोई जिला अस्पताल में मौजूद लेखों रुपये के वेंटिलेटर आज विगत लंबे समय से धूल खाते नज़र आ रहे हैं।यहां बने पीआईसीयू में अभी तक न ही तो डॉक्टरों की तैनाती कराई जा सकी है और न ही पर्याप्त कर्मचारी ही यहां मौजूद रहते हैं।इसपर यहां रखे बच्चों के वेंटिलेटर भी धूल खा रहे हैं।हालही में वेंटिलेटर के अभाव के चलते एक बच्चे की मौत भी हो चुकी है।तो जिम्मेदार अधिककरी महज लापरवाहियों पर पर्दा डालने व लीपा पोती करने में लगे हुए हैं।


Body:वीओ--1--हरदोई जिला अस्पताल वैसे तो अपनी लापरवाहियों व उदासीनता के चलते चर्चाओं में रहता ही है।तो यहां हालही में बने पीडियाट्रिक आईसीयू की स्थिति भी दयनीय है।यहां अभी तक न ही कोई डॉक्टर मौजूद था और न ही पूरा स्टाफ ही है।हालांकि अभी एक दो दिन पूर्व एक डॉक्टर की तैनाती यहां की गई है जिन्होंने अभी तक चार्ज नहीं लिया है।इस पर यहां मौजूद 25 लाख की कीमत के करीब 5 वेंटिलेटर आज विगत कई महीनों से धूल खा रहे हैं।जिले में वेंटिलेटर के अभाव में होने वाली मौतों पर अंकुश लगाने व लोगों को गैर जनपदों के चक्कर न लगाने पड़ें इस लिए यहां पर एक पीआईसीयू का निर्माण कराकर इसे अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया था।स्वास्थ्य विभाग द्वारा करोड़ो खर्चने के बाद भी आज जिला अस्पताल के बाल विभाग की स्थिति जस की तस है।आज भी वेंटिलेटर के अभाव में यहां बच्चों की मौत का सिलसिला बरकरार है।आज भी लोगों को ग़ैरजनपदों के चक्कर काटने पड़ते हैं।जबकि यहां बने पीआईसीयू में करीब 5 वेंटिलेटर 25 लाख की कीमत से लाये गए थे।जिससे कि आरही समस्याओं से निजात मिल सके।लेकिन आलम वैसे का वैसा ही है।वेंटिलेटर महज शोपीस बने खड़े हैं क्योंकि इन्हें चलाने वाला यहां कोई नहीं है।इतना ही नहीं यहां इनके अलावा अन्य भी तमाम महंगे व अत्याधुनिक उपकरण मौजूद हैं, जिन्हें चलाने के लिए एक टेक्नीशियन की आवश्यकता है।इससे यहां आने वाले मरीज बच्चों को पीआईसीयू का लाभ पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है और ये आईसीयू एक साधारण वार्ड के रूप में संचालित किया जा रहा है।यहां की मौजूदा स्थिति की बात करें तो सिर्फ एक या दो स्टाफ नर्सों के सहारे इसे संचालित किया जा रहा है।वहीं डॉक्टर भी समय पर यहां नहीं आते जिससे भर्ती मासूम बच्चों का इलाज भी सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है।

विसुअल विद वॉइस ओवर

वीओ--2--वहीं इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ए के शाक्य से जानकारी करने पर उन्होंने मामले की लीपापोती करना शुरू कर दिया।वहीं एक नए डॉटकर की तैनाती होने की जानकारी भी दी हालांकि अभी तक डॉक्टर ने यहां का चार्ज नहीं संभाला है।वहीं वेंटिलेटर के अभाव के चलते हुई बच्चे की मौत पर उन्होंने उसके सीरियस होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया।तो वेंटिलेटर चलाये जाने के पिये होने वाली डॉटकर की ट्रेनिंग कराए जाने का भी आश्वासन दिया।हालांकि भविष्य में हालात सुधरेंगे या नहीं ये देखने वाली बात जरूर होगी।फिलहाल 20 बेड के इस विभाग का लाभ अभी तक मरीज बच्चों को नहीं मिल पा रहा है।अभी ये अत्याधुनिक आईसीयू महज एक साधारण वार्ड के रूप में ही संचालित होता नजर आ रहा है और यहां मौजूद लाखो के उपकरण महज शोपीस बने खड़ें हैं।सुनिए क्या कहते हैं जिम्मेदार।

बाईट--एके शाक्य--मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जिला अस्पताल हरदोई

पीटूसी


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