बाराबंकी: छोटे बच्चों में किताबों के प्रति रुचि जगाने के लिए बाराबंकी का राजकीय पुस्तकालय अनोखा प्रयोग करने जा रहा है. जल्द ही पुस्तकालय में बाल साहित्य के कलेक्शन के साथ-साथ एक बाल कोना भी स्थापित किया जाएगा. यही नहीं बच्चों के लिए खेल-खिलौने भी यहां पर रखे जाएंगे, ताकि उन्हें लाइब्रेरी की उपयोगिता का एहसास हो.
लाइब्रेरी के बदले हालात
दो-तीन वर्ष पहले इस लाइब्रेरी के हालात बहुत अच्छे नहीं थे, लेकिन अब यह देखने लायक है. तमाम विषयों की पुस्तकों से सुसज्जित संग्रहालय, बड़ा सा रीडिंग हॉल, बढ़िया प्रकाश व्यवस्था, वेल फर्निश्ड कुर्सियां और बड़ी सी मेज इस लाइब्रेरी को खास बनाते हैं. पिछले दो-तीन वर्षों में इसकी स्थिति बिल्कुल बदल गई है. लाइब्रेरी को चार चांद लगाने में पुस्तकालय अध्यक्ष का बड़ा योगदान है. बेतरतीब लगी किताबों को उन्होंने अपने स्कूल की शिक्षिकाओं के साथ मिलकर व्यवस्थित बना दिया.
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पाठकों की बढ़ रही संख्या
पुस्तकालय के बदलते हालात से यहां स्टूडेंट्स की संख्या भी बढ़ने लगी है. इन्हें दिनों-दिन पढ़ाई का अच्छा वातावरण मिल रहा है. हालांकि टेक्निकल और प्रतियोगी किताबों की कमी जरूर महसूस की जा रही है. बता दें कि इस पुस्तकालय को साल 1989 में बनाया गया था. इस पुस्तकालय में 1467 सदस्य पंजीकृत हैं.
हाईटेक पुस्तकालय बनाने की चल रही कवायद
कुछ दिनों पहले लाइब्रेरी में लाइट की समस्या को देखते हुए प्रशासन ने क्रिटिकल गैप फंड से एक सोलर पैनल लगवाया है. अब इस लाइब्रेरी को और भी मोडिफाई किया जाएगा. जन सहयोग से यहां हाई स्पीड ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट कनेक्शन, हाई प्रोसेसिंग कम्प्यूटर सिस्टम, प्रिंटर, स्कैनर और ई-कैटलॉग जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी.
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पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकें
हिंदी | 1800 |
अंग्रेजी | 2000 |
उर्दू | 2000 |
संस्कृत | 100 |
अन्य | 2000 |
तीन दशक पुरानी इस लाइब्रेरी में वैसे तो 25 हजार पुस्तकें हैं. इसमें अंग्रेजी, हिंदी, इतिहास, भूगोल और विज्ञान समेत तमाम तरह की किताबें शामिल हैं, लेकिन बाल साहित्य से न केवल लाइब्रेरी की उपयोगिता बढ़ेगी, बल्कि बच्चों में किताब पढ़ने की रुचि भी पैदा होगी.