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हरदोई: शहर से निकलने वाला कचरा कर रहा दूषित, आंसू बहा रही सई नदी

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले से होकर निकलने वाली सई नदी आंसू बहाने को मजबूर है. जिले के 11 ब्लॉकों से निकली नदी को शहर से निकलने वाला कचरा दूषित कर रहा है. इस वजह से सई नदी का पानी जहरीला हो गया है.

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आंसू बहा रही सई नदी.
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Published : Dec 12, 2019, 7:21 PM IST

हरदोई: प्रदेश में बहने वाली सई नदी की हालत बद से बदतर हो गयी है. जिले के कई विकासखंडों से होकर निकलने वाली इस नदी में गंदगी के अलावा कुछ नहीं बचा है. यहां मौजूद कुछ फैक्ट्रियों से निकलने वाला कचरा भी इसे दूषित कर रहा है. किसानों को भी इस नदी के पानी का कोई खास लाभ नहीं मिल पा रहा है. अब ऐसे में जिला प्रशासन ने इस नदी के मिटते अस्तित्व को बचाने के लिए रणनीतियां तैयार किये जाने का दावा पेश किया है.

खतरे में सई नदी का अस्तित्व.

प्रदेश में बहने वाली सई नदी गोमती नदी की मुख्य सहायक नदी के नाम से भी जानी जाती है. वर्तमान समय में इसकी स्थिति बेहद दयनीय है. इसमें पानी की मात्रा भी दिन प्रतिदिन घटती जा रही है. बचे हुए पानी को भी संरक्षित किये जाने के कोई खास इंतजाम नहीं किये गए हैं. इसके पानी में मौजूद सिल्ट इसके अस्तित्व को खत्म करने के लिए पर्याप्त है.

11 ब्लॉकों से होकर गुजरी है सई नदी
यह नदी जिले के टड़ियावां और कछौना के साथ ही 11 ब्लॉकों में 180 किलोमीटर तक निकली है. यूपी के हरदोई, उन्नाव, लखनऊ, रायबरेली, प्रतापगढ़ और जौनपुर जिलों से होकर यह नदी करीब 715 किलोमीटर बहती है.

इलाके में मौजूद छोटे कारखाने और फैक्ट्रियां भी चोरी छिपे अवशिष्ट को इस नदी में प्रवाहित कर रहे हैं, जिससे इस नदी का पानी जहरीला होता जा रहा है. नदी का जहरीला पानी पीकर जानवर बीमार पड़ जाते हैं और यह पानी किसानों की फसलों को भी बर्बाद कर देता है.

प्रशासन ने दिए सफाई करने के निर्देश
जिले की सीतापुर रोड पर मौजूद इटौली पुल सई नदी के ऊपर बना हुआ है. इस नदी के अस्तित्व को बचाने के जिला प्रशासन ने नदी की सफाई कराए जाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने नदी के किनारे बीच में जमा हुई सिल्ट को साफ किए जाने के आदेश जारी किए हैं.

स्थानीय लोगों से बात करने पर लोगों ने बताया कि ये नदी विगत लंबे समय से दूषित पड़ी है. टड़ियावां ब्लॉक का इटौली पुल इसी नदी के ऊपर बना है. परसेनी गांव में मौजूद एक गत्ता फैक्टरी से निकलने वाला गंदा पानी भी इस नदी में जाकर मिल जाता है, जिससे नदी का जल दूषित हो रहा है. इसमें किनारे और बीच में सिल्ट भी जमा हो गयी है, जिससे यह नदी एक बड़े गंदे नाले की भांति प्रतीत हो रही है.

सई नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए रणनीतियां तैयार की जा रही हैं. नदी की सफाई कराए जाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं. जिससे कि इसके अस्तित्व को बचा कर भूगर्भ में जल के स्तर को बढ़ाया जा सके. सभी विकास खंडों जहां से ये नदी होकर गयी है उनके जिम्मेदारों को इसकी सफाई कराने के निर्देश दे दिए गए हैं.
-पुलकित खरे, डीएम

हरदोई: प्रदेश में बहने वाली सई नदी की हालत बद से बदतर हो गयी है. जिले के कई विकासखंडों से होकर निकलने वाली इस नदी में गंदगी के अलावा कुछ नहीं बचा है. यहां मौजूद कुछ फैक्ट्रियों से निकलने वाला कचरा भी इसे दूषित कर रहा है. किसानों को भी इस नदी के पानी का कोई खास लाभ नहीं मिल पा रहा है. अब ऐसे में जिला प्रशासन ने इस नदी के मिटते अस्तित्व को बचाने के लिए रणनीतियां तैयार किये जाने का दावा पेश किया है.

खतरे में सई नदी का अस्तित्व.

प्रदेश में बहने वाली सई नदी गोमती नदी की मुख्य सहायक नदी के नाम से भी जानी जाती है. वर्तमान समय में इसकी स्थिति बेहद दयनीय है. इसमें पानी की मात्रा भी दिन प्रतिदिन घटती जा रही है. बचे हुए पानी को भी संरक्षित किये जाने के कोई खास इंतजाम नहीं किये गए हैं. इसके पानी में मौजूद सिल्ट इसके अस्तित्व को खत्म करने के लिए पर्याप्त है.

11 ब्लॉकों से होकर गुजरी है सई नदी
यह नदी जिले के टड़ियावां और कछौना के साथ ही 11 ब्लॉकों में 180 किलोमीटर तक निकली है. यूपी के हरदोई, उन्नाव, लखनऊ, रायबरेली, प्रतापगढ़ और जौनपुर जिलों से होकर यह नदी करीब 715 किलोमीटर बहती है.

इलाके में मौजूद छोटे कारखाने और फैक्ट्रियां भी चोरी छिपे अवशिष्ट को इस नदी में प्रवाहित कर रहे हैं, जिससे इस नदी का पानी जहरीला होता जा रहा है. नदी का जहरीला पानी पीकर जानवर बीमार पड़ जाते हैं और यह पानी किसानों की फसलों को भी बर्बाद कर देता है.

प्रशासन ने दिए सफाई करने के निर्देश
जिले की सीतापुर रोड पर मौजूद इटौली पुल सई नदी के ऊपर बना हुआ है. इस नदी के अस्तित्व को बचाने के जिला प्रशासन ने नदी की सफाई कराए जाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने नदी के किनारे बीच में जमा हुई सिल्ट को साफ किए जाने के आदेश जारी किए हैं.

स्थानीय लोगों से बात करने पर लोगों ने बताया कि ये नदी विगत लंबे समय से दूषित पड़ी है. टड़ियावां ब्लॉक का इटौली पुल इसी नदी के ऊपर बना है. परसेनी गांव में मौजूद एक गत्ता फैक्टरी से निकलने वाला गंदा पानी भी इस नदी में जाकर मिल जाता है, जिससे नदी का जल दूषित हो रहा है. इसमें किनारे और बीच में सिल्ट भी जमा हो गयी है, जिससे यह नदी एक बड़े गंदे नाले की भांति प्रतीत हो रही है.

सई नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए रणनीतियां तैयार की जा रही हैं. नदी की सफाई कराए जाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं. जिससे कि इसके अस्तित्व को बचा कर भूगर्भ में जल के स्तर को बढ़ाया जा सके. सभी विकास खंडों जहां से ये नदी होकर गयी है उनके जिम्मेदारों को इसकी सफाई कराने के निर्देश दे दिए गए हैं.
-पुलकित खरे, डीएम

Intro:नोट--सौरभ पांडे जी के लिए खबर।

आकाश शुक्ला हरदोई। 9919941250

एंकर--प्रदेश में बहने वाली सई नदी की हालत इस दौरान बद से बदतर हो गयी है।जिले के कई विकासखंडों से होकर निकली इस नदी में सिवाय गंदगी के और कुछ नहीं।तो यहां मौजूद कुछ फैक्ट्रीयों का रिजेक्शन भी इसे दूषित करने का काम कर रहा है।वहीं इसका अधिकांश पानी भी सूख गया है तो बचा हुआ पानी गंदगी व रिजेक्शन से जहरीला होता जा रहा है।इस नदी का अस्तित्व आज के दौर में खतरे में पड़ता जा रहा है।वहीं किसानों को भी इस नदी के पानी का कोई खास लाभ नहीं मिल पा रहा है।हालांकि जिला प्रशासन ने इस नदी के मिटते अस्तित्व को बचाने के लिए रणनीतियां तैयार किये जाने का दावा जरूर पेश किया है।


Body:वीओ--1-- उत्तर प्रदेश में बहने वाली सई नदी इस दौरान अपना अस्तित्व खोती नजर आ रही है। यह नदी गोमती नदी की मुख्य सहायक नदी के नाम से भी जानी जाती है। इसकी स्थिति आज के समय में बेहद दयनीय है।इसमें पानी की मात्रा भी दिन प्रति दिन घटती जा रही है तो बचे हुए पानी को भी संरक्षित किये जाने के कोई खास इंतजाम नहीं किये गए हैं।इसके पानी मे मौजूद सिल्ट इसके अस्तित्व को खत्म करने के लिए पर्याप्त है।वहीं इलाके में मौजूद छोटे कारखाने और फैक्ट्रियाँ भी चोरी छिपे रिजेक्शन को इस नदी में प्रवाहित कर रहे हैं।जिससे इस नदी का पानी जहरीला होता जा रहा है।जिसे पीकर जानवर बीमार पड़ते हैं तो किसान की फसलों को भी बर्बाद करने के लिए भी ये पानी पर्याप्त है।हरदोई जिले के करीब 11 विकास खंडों में 180 किलोमीटर की लंबाई से होकर यह नदी निकली है। वहीं यूपी के हरदोई उन्नाव लखनऊ रायबरेली प्रतापगढ़ और जौनपुर जिलों से होकर यह नदी करीब 715 किलोमीटर की लंबाई में बहती है।ये तस्वीरें है जिले की सीतापुर रोड पर मौजूद इटौली पुल की जो कि सई नदी के ऊपर बना हुआ है।तस्वीरों को देख आप अंदाजा लगा सकते हैं ह जिला प्रशासन ने इस नदी के अस्तित्व को बचाने को बढ़ाने के लिए इस नदी की सफाई कराए जाने के निर्देश भी जारी किए हैं उन्होंने नदी के किनारे बीच में जमा हुई सिल्ट को साफ किए जाने के आदेश जारी किए हैं।

विसुअल

वीओ--2--जिले के 19 ब्लॉकों में से टड़ियावां व कछौना के साथ ही 11 ब्लॉकों से होकर सई निकली है।वहीं स्थानीय लोगों से बात करने पर लोगों ने जानकारी दी कि ये नदी विगत लंबे समय से दूषित हुई पड़ी है।वहीं टड़ियावां ब्लॉक का इटौली पुल इसी नदी के ऊपर बना है।यहां मौजूद परसेनी गांव में मौजूद एक गत्ता फैक्टरी से निकलने वाला गंदा पानी भी इस नदी में जाकर मिल जाता है जिससे नदी का जल दूषित हो रहा है।तो इसमें किनारे व बीच मे सिल्ट भी जमा हो गयी है इससे ये नदी एक बड़े गंदे नाले की भांति प्रतीत हो रही है।

बाईट--राजकिशोर--स्थानीय

वीओ--3--जिलाधिकारी पुलकित खरे ने जानकारी दी कि सई नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए रणनीतियां तैयार की जा रही हैं।कहा कि इसकी सफाई कराए जाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।जिससे कि इसके अस्तित्व को बचा कर भूगर्भ में जल के स्तर को बढ़ाया जा सके।इसके लिए जिलाधिकारी ने सभी विकास खंडों जहां से ये नदी होकर गयी है उनके जिम्मेदारों को इसकी सफाई कराने के निर्देश दिए हैं।सुनिए उन्हीं की जुबानी।

बाईट--पुलकित खरे--जिलाधिकारी हरदोई
पीटूसी


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