हरदोई: जिले के सकाहे गांव में मौजूद पौराणिक और ऐतिहासिक शिव मंदिर का इतिहास और महत्व बेहद चौंकाने वाला है. यह शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है. सुबह भूरे रंग का, दोपहर में काले रंग का और रात्रि में सुनहरे रंग का हो जाता है. वहीं समय दर समय इस शिवलिंग का आकार भी बढ़ रहा है. इस शिवलिंग के प्राकट्य का आज तक कोई भी पता नहीं लगा पाया है. इस पौराणिक शिवलिंग की उत्पत्ति सैकड़ों वर्ष पूर्व हुई या ये हजारों वर्ष पुराना है, इसकी जानकारी किसी को भी नहीं है. संकट हरण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध ये धार्मिक स्थान आज भी लोगों की आस्था का प्रतीक बना हुआ है.
मनोकामनाओं को पूरा करते हैं संकटहरण भगवान शिव
हरदोई जिला मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर मौजूद सकाहा गांव में एक प्राचीन शिवलिंग मौजूद है. इस मंदिर से जुड़ी तमाम चौंकाने वाली कहानियां और तथ्य जुड़े हुए हैं. इस प्राचीन और चमत्कारी शिवलिंग की महत्ता को जानकर दूर-दूर से आज भी लोग यहां आते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं. मान्यता है कि यहां आने वाले लोगों के ऊपर कोई भी संकट क्यों न हो, उसे भगवान शिव अवश्य ही हर लेते हैं. साथ ही यहां मौजूद भगवान शिव के सिद्ध शिवलिंग के सामने सच्चे मन से अपनी मुराद मांगने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं.
एक दारोगा ने करवाई थी खुदाई, स्वप्न में आए थे भगवान शिव
किंवदंती है कि आज से करीब 70 वर्ष पूर्व बेहटागोकुल थाने में मौजूद एक दारोगा ने सकाहे के इस चमत्कारी शिवलिंग को बेहटागोकुल थाना क्षेत्र में स्थापित करवाने के लिए यहां की खुदाई करवाई थी. 2 से 3 दिन तक लगातार खुदाई करने के बाद भी शिवलिंग का कोई छोर और अंत नहीं मिला और नीचे से पानी आना शुरू हो गया. तब दारोगा ने खुदाई रुकवाकर पानी जाने के बाद खुदाई शुरू कराने का निर्णय लिया.
भगवान शिव ने दारोगा को सपने में दर्शन देकर उनके शिवलिंग को यथावत रहने दिए जाने का आदेश दिया. तभी उस दारोगा ने यहां बने छोटे से साधारण मंदिर को एक भव्य और विशाल मंदिर में परिवर्तित करवाया. इसी के साथ एक अन्य कहानी सेठ लाला लाहोरीमल की भी यहां से ही ताल्लुख रखती है. किवदंती है कि सेठ के बेटे को फांसी की सजा हो गई थी. तब घूमते टहलते इस शिवलिंग के महत्व और महिमा से अनजान सेठ लाहोरीमल ने दुखी मन से अपने बेटे की फांसी की सजा माफ किए जाने की मन्नत मांगी. तभी अगले दिन उसके बेटे को दी जाने वाली फांसी की सजा माफ हो गई और फिर तभी से सेठ ने इस मंदिर में विकास कार्य कराना शुरू किया था. इसी तरह के तमाम तथ्य इस शिवलिंग से जुड़े हुए हैं, जो इसकी महत्ता को दर्शाते हैं.
शिवलिंग के प्राकट्य के इतिहास से लोग आज भी हैं अंजान
संकटहरण सकाहे के शिव मंदिर में मौजूद इस विशाल शिवलिंग के इतिहास से आज भी लोग अनजान हैं. यहां तमाम खोजकर्ता आए और गए, लेकिन कोई भी इस शिवलिंग के इतिहास की जानकारी नहीं जुटा पाया. यहां के लोगों का कहना है कि उनके दादा और परदादा के समय में भी ये शिवलिंग यहां यथावत मौजूद था. ये शिवलिंग एक स्वयं भू शिवलिंग है, जिसका प्राकट्य स्वयं ही हुआ था. लोगों का मानना है कि इसमें स्वयं भगवान शिव का वास है.
दिन में तीन बार बदलता है शिवलिंग का रंग
इस प्राचीन शिवलिंग से तमाम चौंकाने वाले तथ्य भी जुड़े हुए हैं. सुबह के समय इस शिवलिंग का रंग भूरा होता है, तो दोपहर और शाम के बीच इसका रंग काला हो जाता है. वहीं रात्रि में इसका रंग सुनहरा हो जाता है. इतना ही नहीं ये शिवलिंग पूर्व में छोटे आकार का था, जो आज बेहद विशाल हो गया है. कहते हैं कि समय दर समय इस शिवलिंग के आकार में वृद्धि हो रही है. यहां के पुजारी और कुछ अन्य लोगों ने इस मंदिर के इतिहास की जानकारी दी और इसकी महत्ता का गुणगान किया.
लोगों ने बताया कि यहां हर वर्ष सावन के महीने हजारों की संख्या में भक्तों का तांता देखने को मिलता है. यहां तक भक्तों और श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालने के लिए यहां भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती भी की जाती है. इस शिवलिंग को संकटहरण के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां के भगवान शिव सभी के संकटों को हर लेते हैं और मनोकामनाओं को पूरा करते हैं.