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हरदोई: सैनिकों ने उठाया सीएसडी कैंटीन बनाये जाने का मुद्दा

उत्तर प्रदेश के हरदोई में सैनिकों ने सीएसडी कैंटीन बनाये जाने के आदेशों की अवहेलना का बड़ा मुद्दा उठाया है. 2013 में जिले में सीएसडी कैंटीन और पॉलिक्लिनिक बनाये जाने के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी ने एक एकड़ जमीन आवंटित की थी, लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बाद भी जिले में सीएसडी कैंटीन नहीं बनाई जा सकी.

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सैनिकों ने उठाया सीएसडी कैंटीन बनाये जाने का मुद्दा.
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Published : Jan 30, 2020, 7:45 AM IST

हरदोई: एक तरफ सरकार सैनिकों के लिए तमाम योजनाएं बनाने और प्राथमिकता के आधार पर सहायता प्रदान किये जाने के आदेश जारी करने में लगी हुई है तो वहीं जिले के सैनिकों की दरकार आज भी कोई सुनने वाला नहीं है. जिले के सैनिकों ने बताया कि उनकी हालत बद से बद्दतर है.

सैनिकों ने उठाया सीएसडी कैंटीन बनाये जाने का मुद्दा.

वहीं सैनिकों ने इस दौरान जिले में सीएसडी कैंटीन बनाये जाने के आदेशों की अवहेलना का बड़ा मुद्दा उठाया है. 2013 में जिले में सीएसडी कैंटीन और पॉलिक्लिनिक बनाये जाने के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी ने एक एकड़ जमीन आवंटित की थी, लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बाद भी जिले में सीएसडी कैंटीन नहीं बनाई जा सकी. हालांकि पॉलिक्लिनिक बनाए जाने का कार्य जरूर शुरू हो गया है.

सीएसडी कैंटीन बनाए जाने को लेकर सैनिकों ने उठाया मुद्दा

  • आज भी जिले में मौजूद करीब 6 हजार से अधिक पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों को लखनऊ के चक्कर काटने पड़ते हैं.
  • सैनिकों की मांग है कि जिले में 6 हजार पूर्व सैनिक और 10 हजार सेवारत सैनिक, उनके परिजनों को देखते हुए यहां जल्द से जल्द एक सीएसडी कैंटीन बनाई जाए.
  • अध्यक्ष ने जानकारी दी कि कैंटीन बनाए जाने को लेकर हाल ही में उन्होंने निदेशालय स्तर के जिम्मेदारों को भी एक पत्र के माध्यम से अवगत कराया.
  • जिम्मेदारों ने आज तक कोई भी जवाब देना लाजमी नहीं समझा.
  • अध्यक्ष ने जानकारी दी कि हाल ही में रक्षा मंत्री ने एक पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की थी.
  • उन्होंने बताया कि पत्र में लिखा था कि देश की रक्षा करने वाले शूर वीरों को अपने घर आने-जाने का मौका साल में एक या दो बार ही मिल पाता है.
  • ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी समस्याओं व उनके परिजनों की दिक्कतों का अनावरण प्राथमिता के आधार पर करें.
  • जिससे कि सैनिक निश्चिंत होकर सीमा पर देश की रक्षा कर सकें.
  • अध्यक्ष ने बताया कि इस पत्र का कोई भी संज्ञान जिम्मेदारों ने नहीं लिया.
  • जिसका उदाहरण जिले में सैनिकों के साथ हाल ही में हुई वारदातें और उनकी जमीन कब्जा किए जाने के मामले हैं.
  • अध्यक्ष अशोक अग्निहोत्री ने बताया कि आज कई वर्षों से जिले के सैनिक कल्याण बोर्ड एवं पुनर्वास केंद्र में कोई भी अधिकारी कार्यरत नहीं है.
  • ऐसे में कार्यालय में एक वरिष्ठ अधिकारी की तैनाती के साथ ही जिले में सीएसडी कैंटीन बनाये जाने और उनकी मांगों को पूरा किए जाने की अपील की.

हरदोई: एक तरफ सरकार सैनिकों के लिए तमाम योजनाएं बनाने और प्राथमिकता के आधार पर सहायता प्रदान किये जाने के आदेश जारी करने में लगी हुई है तो वहीं जिले के सैनिकों की दरकार आज भी कोई सुनने वाला नहीं है. जिले के सैनिकों ने बताया कि उनकी हालत बद से बद्दतर है.

सैनिकों ने उठाया सीएसडी कैंटीन बनाये जाने का मुद्दा.

वहीं सैनिकों ने इस दौरान जिले में सीएसडी कैंटीन बनाये जाने के आदेशों की अवहेलना का बड़ा मुद्दा उठाया है. 2013 में जिले में सीएसडी कैंटीन और पॉलिक्लिनिक बनाये जाने के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी ने एक एकड़ जमीन आवंटित की थी, लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बाद भी जिले में सीएसडी कैंटीन नहीं बनाई जा सकी. हालांकि पॉलिक्लिनिक बनाए जाने का कार्य जरूर शुरू हो गया है.

सीएसडी कैंटीन बनाए जाने को लेकर सैनिकों ने उठाया मुद्दा

  • आज भी जिले में मौजूद करीब 6 हजार से अधिक पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों को लखनऊ के चक्कर काटने पड़ते हैं.
  • सैनिकों की मांग है कि जिले में 6 हजार पूर्व सैनिक और 10 हजार सेवारत सैनिक, उनके परिजनों को देखते हुए यहां जल्द से जल्द एक सीएसडी कैंटीन बनाई जाए.
  • अध्यक्ष ने जानकारी दी कि कैंटीन बनाए जाने को लेकर हाल ही में उन्होंने निदेशालय स्तर के जिम्मेदारों को भी एक पत्र के माध्यम से अवगत कराया.
  • जिम्मेदारों ने आज तक कोई भी जवाब देना लाजमी नहीं समझा.
  • अध्यक्ष ने जानकारी दी कि हाल ही में रक्षा मंत्री ने एक पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की थी.
  • उन्होंने बताया कि पत्र में लिखा था कि देश की रक्षा करने वाले शूर वीरों को अपने घर आने-जाने का मौका साल में एक या दो बार ही मिल पाता है.
  • ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी समस्याओं व उनके परिजनों की दिक्कतों का अनावरण प्राथमिता के आधार पर करें.
  • जिससे कि सैनिक निश्चिंत होकर सीमा पर देश की रक्षा कर सकें.
  • अध्यक्ष ने बताया कि इस पत्र का कोई भी संज्ञान जिम्मेदारों ने नहीं लिया.
  • जिसका उदाहरण जिले में सैनिकों के साथ हाल ही में हुई वारदातें और उनकी जमीन कब्जा किए जाने के मामले हैं.
  • अध्यक्ष अशोक अग्निहोत्री ने बताया कि आज कई वर्षों से जिले के सैनिक कल्याण बोर्ड एवं पुनर्वास केंद्र में कोई भी अधिकारी कार्यरत नहीं है.
  • ऐसे में कार्यालय में एक वरिष्ठ अधिकारी की तैनाती के साथ ही जिले में सीएसडी कैंटीन बनाये जाने और उनकी मांगों को पूरा किए जाने की अपील की.
Intro:आकाश शुक्ला हरदोई।9919941250 एंकर--एक तरफ सरकार सैनिकों के लिए तमाम योजनाएं बनाने व उनकव प्राथमिकता के आधार पर सहायता प्रदान किये जाने के आदेश जारी करने में लगी हुई है।तो दूसरी तरफ हरदोई जिले के सैनिकों की दरकार आज भी कोई सुनने वाला नहीं है।जमीन कब्जे से लेकर लूट और चोरी जैसी वारदातें होने के बाद भी सैनिकों व उनके परिजनों को एक आम आदमी की भांति जिम्मेदार तबज़्ज़ो देते हैं या जिले के सैनिकों की मानें तो आलम उससे भी बद्दतर है।वहीं एक बड़ा मुद्दा जो इस दौरान जिले के सैनिकों ने उठाया है वो जिले में सीएसडी कैंटीन बनाये जाने के आदेशों की अवहेलना का है।2013 में जिले में सीएसडी कैंटीन व पॉलिक्लिनिक बनाये जाने के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी ने एक एकड़ जमीन को आबंटित किया था।लेकिन आज कई वर्ष बीत जाने के बाद भी जिले में सीएसडी कैंटीन नहीं बनाई जा सकी।हालांकि पॉलिक्लिनिक बनाये जाने का कार्य जरूर शुरू हो गया है।


Body:वीओ--1--हरदोई जिले के सैनिक कल्याण बोर्ड कार्यालय की स्थिति के साथ ही जिले में मौजूद हज़ारों सेवानिवृत्त व सेवारत सैनिकों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं मौजूद है।देश के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाने वाले शहीदों के परिजनों को आम लोगों की भांति एक तराजू में तौलना जिम्मेदारों की उदासीनता को दर्शा रहा है।सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अशोक कुमार अग्निहोत्री ने जानकारी दी कि वर्ष 2013 में तत्कालीन जिलाधिकारी अशोक कुमार द्विवेदी ने बावन रोड पर एक एकड़ की जमीन पॉलिक्लिनिक व सीएसडी कैंटीन बनाये जाने के लिए आबंटित की थी।लेकिन आज कई वर्ष बीत जाने के बाद भी यहां कैंटीन का नोर्माण नहीं कराया जा सका।जिससे कि आज भी जिले में मौजूद करीब 6 हज़ार से अधिक पूर्व सैनिकों व उनके परिजनों को लखनऊ के चक्कर काटने पड़ते हैं।जिनमें से कुछ सैनिक शारीरिक रूप से लखनऊ की दौड़ लगाने के लिए सक्षम नही हैं।सैनिकों की मांग है कि हरदोई में 6 हज़ार पूर्व सैनिक व दसों हज़ार सेवारत सैनिक व उनके परिजनों को देखते हुए यहां जल्द से जल्द एक सीएसडी कैंटीन बनाई जाए।वहीं अशोक चक्र से सम्मानित शहीद करनाल उदय वीर सिंह भी सैनिक का घर यही हैं, फिर भी आज जिले के सैनिकों का कल्याण नहीं हो पा रहा है।अध्यक्ष ने जानकारी दी कैंटीन बनाये जाने को लेकर हाहली में उन्होंने निदेशालय स्तर के जिम्मेदारों को भी एक पत्र के माध्यम से अवगत कराया लेकिन आज तक कोई भी जवाब किसी भी जिम्मेदार ने देना लाज़मी नहीं समझा। विसुअल विद वॉइस ओवर वीओ--2--वहीं अध्यक्ष ने जानकारी दी कि हालही में रक्षा मंत्री ने एक पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से अपील की थी।उन्होंने बताया कि पत्र में लिखा था कि देश की रक्षा करने वाले शूर वीरों को अपने घर आने जाने का मौका साल में एक या दो बार ही मिल पाता है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी समस्याओं व उनके परिजनों की दिक्कतों का अनावरण प्राथमिता के आधार पर करें।जिससे कि सैनिक निश्चिंत होकर सीमा पर देश की रक्षा कर सकें।अध्यक्ष में जानकारी दी कि इस पत्र का कोई भी संज्ञान जिम्मेदारों ने नहीं लिया।जिसका उदाहरण जिले के सैनिकों के साथ हालही में हुई वारदातें व उनकी जमीन कब्ज़ा किये जाने के मामले हैं।उन्होंने बताया कि सवायजपुर के एक पूर्व सैनिक की एक बीघा जमीन दबंगो ने कब्जा कर ली लेकिन जिम्मेदार इस तरह ध्यान देना जरूरी नहीं समझ रहे हैं।वहीं कई वारदातें लूट व चोरी की होने के बाद आज तक उनका खुलासा न होना भी सैनिकों के प्रति पुलिस की उदासीनता को दर्शा रहा है।वहीं इस तरह के अनगिनत मामले जिले में मौजूद होने की बात अध्यक्ष अशोक ने कही। वीओ--3--इसी के साथ अध्यक्ष अशोक अग्निहोत्री ने जानकारी दी कि आज कई वर्षों से जिले के सैनिक कल्याण बोर्ड एवं पुनर्वास केंद्र में कोई भी अधिकारी कार्यरत नहीं हैं।जिससे कि तमाम अव्यवस्थाएं यहां पसरी रहती हैं।ऐसे में कार्यालय की एक वरिष्ठ अधिकारी की तैनाती के साथ ही जिले में सीएसडी कैंटीन बनाये जाने व रक्षा मंत्री द्वारा सैनिकों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर निपटाए जाने की मांगों को पूरा किये जाने की अपील ईटीवी के माध्यम से की।सुनिए उन्हीं की जुबानी। बाईट--अशोक कुमार अग्निहोत्री--अध्यक्ष सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन हरदोई पीटूसी


Conclusion:
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