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केले की खेती बनी वरदान, किसानों के चेहरों पर लौटी मुस्कान

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Published : Oct 24, 2020, 5:42 PM IST

हरदोई में खेती में अपने अभिनव प्रयोग के जरिए एक किसान ने केले की खेती का क्लस्टर तैयार किया है. एफपीओ के माध्यम से किसान ने 1000 छोटे किसानों को जोड़ा है, जिससे किसानों की तरक्की का रास्ता खुल गया है.

हरदोई में केले की आधुनिक खेती हो रही है.
हरदोई में केले की आधुनिक खेती हो रही है.

हरदोई: परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक खेती ने किसानों की तरक्की का रास्ता खोल दिया है. आधुनिक खेती के जरिए किसान अच्छी उपज हासिल कर अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं. हरदोई में खेती में अपने अभिनव प्रयोग के जरिए एक किसान ने केले की खेती का क्लस्टर तैयार किया है. एफपीओ (Farmer producer organisation) के माध्यम से किसान श्यामजी मिश्रा ने 1000 छोटे किसानों को जोड़ा है. इससे किसानों की तरक्की का रास्ता खुल गया है. क्लस्टर से जुड़कर किसानों ने परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक खेती की ओर रुख किया है. ऐसे में कम खेती वाले किसान भी अच्छी उपज हासिल कर अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं.

जिले में विकासखंड सुरसा के मलिहामऊ गांव के रहने वाले किसान श्यामजी मिश्रा ने जिले में केले की खेती का पहला क्लस्टर तैयार किया है, जिसके माध्यम से किसानों की तरक्की के रास्ते खुल गए हैं. नाबार्ड में एफपीओ यानी फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन का रजिस्ट्रेशन कराकर 13 प्रगतिशील और 1000 छोटे किसानों को जोड़ा गया है. ऐसे में केले की खेती के क्लस्टर से जुड़कर कम भूमि वाले किसान अच्छी उपज हासिल कर अपनी आमदनी में वृद्धि कर रहे हैं.

हरदोई में केले की आधुनिक तरीके से खेती की जा रही है.

एक बीघे में लगते हैं 200 केले के पेड़
दरअसल श्यामजी मिश्रा ने विगत वर्ष केले की खेती की शुरुआत की थी. 50 बीघा जमीन में उन्होंने केले की फसल लगाई थी, जो आज तैयार हो चुकी है. श्यामजी मिश्रा बताते हैं कि एक बीघे में 200 केले के पेड़ लग जाते हैं. इस तरह 1 एकड़ में 1000 पेड़ लग जाते हैं. एक साल फसल तैयार होने में लगते हैं और 2 से 3 महीने में फसल की बिक्री हो जाती है. केले की फसल तैयार होने के बाद औसतन 20 किलो केला प्रत्येक पेड़ से तैयार होता है और ढाई सौ रुपये में बिक जाता है.

प्रति बीघा 50 हजार रुपये की फसल होती है तैयार
प्रति पेड़ के हिसाब से करीब 75 रुपये लागत आती है. एक बीघे की फसल तैयार करने में 15000 रुपये लगते हैं. प्रति बीघा 50 हजार रुपये की फसल तैयार हो जाती है. किसान को 35 हजार की बचत होती है. ऐसे में एफपीओ के माध्यम से जुड़े किसान अब केले की खेती कर रहे हैं. केले की खेती के माध्यम से कम खेती वाले किसान अच्छी पैदावार हासिल कर अपनी आय में इजाफा कर रहे हैं. इलाके के किसान बताते हैं कि गेहूं और धान की फसल में उन्हें कम मुनाफा होता था, लेकिन जबसे परंपरागत खेती से हटकर उन्होंने आधुनिक खेती के जरिए केले की फसल तैयार की, तब से उनकी आमदनी में काफी इजाफा हुआ है.


किसान लगाएंगे अपना राइपिंग चैंबर
आने वाले समय में यहां के किसान अपना राइपिंग चैंबर लगाएंगे और खेत में ही केले की फसल को पकाया जाएगा, जिससे किसानों को फसल के और अच्छे दाम मिल सकेंगे. वैसे तो बड़े किसानों की फसल खेत पर जाकर व्यापारी खरीदते हैं, लेकिन क्लस्टर बनने से केले की खेती करने वाले सभी किसानों को बाजार जाकर अपनी फसल नहीं बेचनी पड़ेगी. बल्कि छोटे और बड़े सभी किसानों के व्यापारी केले की फसल खेत पर ही खरीदेंगे. इससे उन्हें अच्छी आमदनी होगी.

श्यामजी मिश्रा मुख्यमंत्री से हो चुके हैं सम्मानित
श्यामजी मिश्रा ने सबसे पहले मलिंगा की खेती की थी, जिसके बाद उन्होंने काला धान की खेती की. फिर उन्होंने दुग्ध का क्लस्टर तैयार किया. दवाओं के लिए उन्होंने मूली की खेती की, जिसकी राख बनाई जाती थी. श्यामजी मिश्रा खेती में अपने अभिनव प्रयोगों के लिए युवा दिवस के मौके पर युवा कल्याण विभाग की ओर से मुख्यमंत्री के द्वारा सम्मानित हो चुके हैं. भविष्य में वह अपने साथ अधिक से अधिक किसानों को जोड़ना चाहते हैं, ताकि आधुनिक खेती के जरिए किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकें.

हरदोई: परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक खेती ने किसानों की तरक्की का रास्ता खोल दिया है. आधुनिक खेती के जरिए किसान अच्छी उपज हासिल कर अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं. हरदोई में खेती में अपने अभिनव प्रयोग के जरिए एक किसान ने केले की खेती का क्लस्टर तैयार किया है. एफपीओ (Farmer producer organisation) के माध्यम से किसान श्यामजी मिश्रा ने 1000 छोटे किसानों को जोड़ा है. इससे किसानों की तरक्की का रास्ता खुल गया है. क्लस्टर से जुड़कर किसानों ने परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक खेती की ओर रुख किया है. ऐसे में कम खेती वाले किसान भी अच्छी उपज हासिल कर अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं.

जिले में विकासखंड सुरसा के मलिहामऊ गांव के रहने वाले किसान श्यामजी मिश्रा ने जिले में केले की खेती का पहला क्लस्टर तैयार किया है, जिसके माध्यम से किसानों की तरक्की के रास्ते खुल गए हैं. नाबार्ड में एफपीओ यानी फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन का रजिस्ट्रेशन कराकर 13 प्रगतिशील और 1000 छोटे किसानों को जोड़ा गया है. ऐसे में केले की खेती के क्लस्टर से जुड़कर कम भूमि वाले किसान अच्छी उपज हासिल कर अपनी आमदनी में वृद्धि कर रहे हैं.

हरदोई में केले की आधुनिक तरीके से खेती की जा रही है.

एक बीघे में लगते हैं 200 केले के पेड़
दरअसल श्यामजी मिश्रा ने विगत वर्ष केले की खेती की शुरुआत की थी. 50 बीघा जमीन में उन्होंने केले की फसल लगाई थी, जो आज तैयार हो चुकी है. श्यामजी मिश्रा बताते हैं कि एक बीघे में 200 केले के पेड़ लग जाते हैं. इस तरह 1 एकड़ में 1000 पेड़ लग जाते हैं. एक साल फसल तैयार होने में लगते हैं और 2 से 3 महीने में फसल की बिक्री हो जाती है. केले की फसल तैयार होने के बाद औसतन 20 किलो केला प्रत्येक पेड़ से तैयार होता है और ढाई सौ रुपये में बिक जाता है.

प्रति बीघा 50 हजार रुपये की फसल होती है तैयार
प्रति पेड़ के हिसाब से करीब 75 रुपये लागत आती है. एक बीघे की फसल तैयार करने में 15000 रुपये लगते हैं. प्रति बीघा 50 हजार रुपये की फसल तैयार हो जाती है. किसान को 35 हजार की बचत होती है. ऐसे में एफपीओ के माध्यम से जुड़े किसान अब केले की खेती कर रहे हैं. केले की खेती के माध्यम से कम खेती वाले किसान अच्छी पैदावार हासिल कर अपनी आय में इजाफा कर रहे हैं. इलाके के किसान बताते हैं कि गेहूं और धान की फसल में उन्हें कम मुनाफा होता था, लेकिन जबसे परंपरागत खेती से हटकर उन्होंने आधुनिक खेती के जरिए केले की फसल तैयार की, तब से उनकी आमदनी में काफी इजाफा हुआ है.


किसान लगाएंगे अपना राइपिंग चैंबर
आने वाले समय में यहां के किसान अपना राइपिंग चैंबर लगाएंगे और खेत में ही केले की फसल को पकाया जाएगा, जिससे किसानों को फसल के और अच्छे दाम मिल सकेंगे. वैसे तो बड़े किसानों की फसल खेत पर जाकर व्यापारी खरीदते हैं, लेकिन क्लस्टर बनने से केले की खेती करने वाले सभी किसानों को बाजार जाकर अपनी फसल नहीं बेचनी पड़ेगी. बल्कि छोटे और बड़े सभी किसानों के व्यापारी केले की फसल खेत पर ही खरीदेंगे. इससे उन्हें अच्छी आमदनी होगी.

श्यामजी मिश्रा मुख्यमंत्री से हो चुके हैं सम्मानित
श्यामजी मिश्रा ने सबसे पहले मलिंगा की खेती की थी, जिसके बाद उन्होंने काला धान की खेती की. फिर उन्होंने दुग्ध का क्लस्टर तैयार किया. दवाओं के लिए उन्होंने मूली की खेती की, जिसकी राख बनाई जाती थी. श्यामजी मिश्रा खेती में अपने अभिनव प्रयोगों के लिए युवा दिवस के मौके पर युवा कल्याण विभाग की ओर से मुख्यमंत्री के द्वारा सम्मानित हो चुके हैं. भविष्य में वह अपने साथ अधिक से अधिक किसानों को जोड़ना चाहते हैं, ताकि आधुनिक खेती के जरिए किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकें.

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