हरदोई: जिले में आज भी तमाम ऐसे इलाके हैं, जहां जल भराव की समस्या दशकों से बरकरार है. आलम ये है कि बारिश के मौसम में यहां की स्थिति एक तालाब की भांति हो जाती है. सड़कों से लेकर लोगों के घरों के अंदर तक बारिश व नालियों का पानी पहुंच जाता है. ऐसे में जब इन इलाकों में लगे हैंड पाइपों से भी गंदा पानी आने लगे तो लोगों का बीमार होना लाज़मी है. ये आलम जिले के लक्ष्मी पुरवा इलाके का है, जहां के हज़ारों लोग इस जल भराव की समस्या से कई वर्षों से जूझ रहे हैं. जिम्मेदार संचारी रोगों से निपटने के लिए महज कागजी अभियान चलाने में लगे हुए हैं.
हरदोई जिले में एक तरफ संचारी रोगों पर नियंत्रण कसने व इनकी चपेट में आने से लोगों को बचाने के लिए रणनीतियां तैयार की जा रही हैं, तो शहर की नगर पालिका परिषद के अंदर आने वाले लक्ष्मीपुरवा, कृष्णनगरिया वार्ड में व इनके आसपास के सटे हुए इलकों में जैसे मछली मंडी व ऊंचाथोक आदि में जल निकासी न होने के कारण पानी का ठहराव होता है, जिससे कि इन इलाकों में जल भराव इस कदर व्याप्त हो जाता है, जैसे कि ये कोई रिहायशी इलाका नहीं बल्कि तालाब हो. सड़कों में जल भराव होने से लेकर नालियां भरने से दूषित जल लोगों के घरों तक पहुंच जाता है. इतना ही नहीं यहां लगे हैंड पम्पों में से भी दूषित जल आने की बात स्थानीय लोगों ने कही है.
स्थानीय लोगों ने कहा कि कई बार जिम्मेदार अफसर इलाके का निरीक्षण करने तो आए, लेकिन इस जल भराव, गंदगी व दूषित जल की समस्या से निजात कोई नहीं दिला सका. आज भी अगर लक्ष्मीपुरवा वार्ड की बात करें तो यहां की आबादी करीब 15 हज़ार लोगों की है. वहीं इससे सटे हुए वार्ड कृष्णनगरिया में ही औसतन इतनी ही आबादी है. इसके आसपास सटे हुए इलकों में भी हज़ारों लोग रहते हैं. शहर के इन रिहायशी इलाकों में आज भी विकास नहीं हो सका है. जिस वजह से यहां बारिश के मौसम में जल भराव, दूषित जल का घरों में जाना व हैंड पम्पों से गंदा पैनी आने के साथ ही संक्रमित बीमारियां फैलना आम हो गया है.
इस बारे में जब नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी रवि शंकर शुक्ला से जानकारी ली गयी तो उन्होंने इन वार्डों में विकास कार्य करवाये जाने का दावा जरूर पेश किया. कहा कि 14वें वित्त आयोग में तमाम वार्डों को चुना गया है. अगर ये कुछ वार्ड रह गए हैं तो इनको भी शामिल कर यहां विकास कार्य कराया जाएगा. ऐसे में ये शहरी आबादी के बीच मौजूद रिहायशी इलाके जब इस कदर बदहाल है तो ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति का अंदाज़ा लगाया ही जा सकता है.