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हरदोई: विजयादशमी पर होती है मां बगलामुखी की पूजा

पूरे देश में विजयादशमी की धूम है. उत्तर प्रदेश के हरदोई में मां बगलामुखी की विशेष पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि मां बगलामुखी की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है. इस दौरान पंडाल में प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह वर्जित है.

विजयादशमी पर होती है मां बगलामुखी की पूजा.
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Published : Oct 8, 2019, 10:58 AM IST

हरदोई : रामायण में लिखा है "देवी पूजि पद कमल तुम्हारे सुर नर मुनि सब होए सुखारे"...जनपद में सदियों से मां बगुलामुखी की पूजा विधि विधान से की जाती है. मां के पूजन की तैयारियां पितृ पक्ष से ही शुरू हो जाती हैं और दशहरे के बाद तक चला करती हैं. आयोजकों ने बताया कि मां की प्रतिमा शुद्ध मिट्टी और इको फ्रेंडली तरीके से बनाई जाती है. मां के भक्त विधि विधान से नृत्य के साथ मां की पूजा करते हैं.

विजयादशमी पर होती है मां बगुलामुखी की पूजा.

दिलाती हैं शत्रुओं पर विजय -

  • जनपद में की जाती है मां बगलामुखी की विशेष पूजा.
  • मान्यता है कि मां के पूजन से शत्रुओं पर विजय पाया जाता है.
  • मां की प्रतिमा शुद्ध मिट्टी से बनाई जाती है ताकि प्रकृति को कोई नुकसान न हो.
  • मां की पूजा विशेष तरीके से ढोल बजाकर और नारियल, धूप से मां की आरती की जाती है.
  • ऐसी मान्यता है कि जब श्रीराम रावण से युद्ध करने के लिए जा रहे थे तो मां बगुलामुखी ने प्रभु राम को विजयी होने का आशीर्वाद दिया था.
  • पंडाल में प्लास्टिक के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंधित है.

इसे भी पढ़ें - दशहरे पर क्यों करते हैं शमी पूजन, जानें इसका महत्व और लाभ

हरदोई : रामायण में लिखा है "देवी पूजि पद कमल तुम्हारे सुर नर मुनि सब होए सुखारे"...जनपद में सदियों से मां बगुलामुखी की पूजा विधि विधान से की जाती है. मां के पूजन की तैयारियां पितृ पक्ष से ही शुरू हो जाती हैं और दशहरे के बाद तक चला करती हैं. आयोजकों ने बताया कि मां की प्रतिमा शुद्ध मिट्टी और इको फ्रेंडली तरीके से बनाई जाती है. मां के भक्त विधि विधान से नृत्य के साथ मां की पूजा करते हैं.

विजयादशमी पर होती है मां बगुलामुखी की पूजा.

दिलाती हैं शत्रुओं पर विजय -

  • जनपद में की जाती है मां बगलामुखी की विशेष पूजा.
  • मान्यता है कि मां के पूजन से शत्रुओं पर विजय पाया जाता है.
  • मां की प्रतिमा शुद्ध मिट्टी से बनाई जाती है ताकि प्रकृति को कोई नुकसान न हो.
  • मां की पूजा विशेष तरीके से ढोल बजाकर और नारियल, धूप से मां की आरती की जाती है.
  • ऐसी मान्यता है कि जब श्रीराम रावण से युद्ध करने के लिए जा रहे थे तो मां बगुलामुखी ने प्रभु राम को विजयी होने का आशीर्वाद दिया था.
  • पंडाल में प्लास्टिक के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंधित है.

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Intro:एंकर-- रामायण में लिखा है देवी पूजि पद कमल तुम्हारे सुर नर मुनि सब होए सुखारे-- आज हम आपको एक ऐसी जगत जननी मां अंबा, बंगाल में पूजी जाने वाली बगलामुखी माता के दर्शन कराने जा रहे हैं जिनके पूजन और अर्चन से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है राजा राम ने पापी रावण का संहार करने के लिए रावण के द्वारा ही मां की पूजा नीलकमल चढ़ाकर की थी जिसके बाद माँ ने प्रकट होकर राजा राम को युद्ध में विजई होने का आशीर्वाद दिया था तब से आज तक बंगाल में मां के इस बगलामुखी रूप की विधि विधान से पूजा और आराधना होती चली आ रही है उत्तर भारत में हरदोई में सदियों से राजे महाराजे मां की पूजा विधि विधान से करते चले आ रहे हैं हरदोई में मां की पूजन की तैयारियां पितृ पक्ष से ही शुरू हो जाती हैं और दशहरे के बाद तक चला करती हैं आयोजकों के मुताबिक माता शत्रु पर विजय दिलाती हैं मां की प्रतिमा शुद्ध मिट्टी और इको फ्रेंडली तरीके से बनाई जाती है मां के भक्त विधि विधान से नृत्य के साथ मां की पूजा करते हैं मां सुख समृद्धि देने वाली है और दुष्टों का नाश कर विजय दिलाती है।Body:वीओ-01- कहते हैं मां सर्वव्यापी है कण कण में मां का स्वरूप समाया हुआ है बच्चे के जन्म के साथ ही मां रूपी शब्द का जन्म होता है वही मां अनादि अगोचर है ऐसी ही पूर्ण स्वरूपा मां बगलामुखी की हरदोई में सदियों से पूजा होती चली आ रही है वैसे तो बंगाल में माता की पूजा विधि विधान से होती है हरदोई में भी बंगाल से आए हुए पुजारियों के द्वारा मां की मिट्टी तथा इको फ्रेंडली तरीके से बनाई गई प्रतिमा की पूजा की जाती है यह मूर्ति मिट्टी और धान के भूसे बनाई जाती है इसे रंगने के लिए शुद्ध प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है मां की पूजा बाकायदा ठाक यानी ढोल बजाकर की जाती है और नारियल धूप से मां की धूम आरती की जाती है वनी नाच गाकर मां को खुश किया जाता है आयोजकों का कहना है मां के इस रूप की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है शत्रु का नाश होता है।

वीओ-02-त्रिनेत्र धारी विकट स्वरूपा 10 भुजाओं वाली शंख चक्र गदा पद्म त्रिशूल धारण करने वाली सिंह की सवारी और दुस्टों का पल में विनाश करने वाली दुर्गा स्वरूपा जगत अंबा मां अंबा मां बगलामुखी माता की महिमा निराली है वेद पुराणों के मुताबिक देवताओं ने भी राक्षसों से तंग आकर राक्षसों का विनाश करने के लिए मां की अर्चना की थी विष्णु अवतार भगवान श्री रामचंद्र जी ने भी रावण के संहार करने के लिए विद्वान रावण से मां बगलामुखी माता की पूजा अर्चना कराई थी उसी के बाद विद्वान रावण का वध कर असत्य पर सत्य की जीत दर्ज कराई थी तब से आज तक विश्व में मां के मनमोहक विराट रिद्धि सिद्धि स्वरूप की पूजा होती चली आ रही है मां के भक्तों और वेदों के मुताबिक मां के इस स्वरूप की पूजा करने से दुस्टों पर विजय प्राप्त होती है वहीं इस प्रतिमा को भी प्राकृतिक तरीके से बनाया जाता है क्योंकि मां शक्ति स्वरूपा भी है इसलिए इस प्रतिमा का निर्माण पंचमहाभूतों से किया जाता है और इनका विसर्जन भी बिना किसी प्राकृतिक संसाधनों को हानि पहुंचाए किया जाता है ऐसा अनादि काल से होता रहा आ रहा है मां के दरबार में विधायक एमपी भक्त के रूप में शीश नवाते हैं और सभी का कल्याण करने की प्रार्थना करते हैं कार्यक्रम की संचालिका और आयोजिका कीर्ति सिंह बताती हैं कि मां सब को सुख देने वाली हैं इनके दर्शन मात्र से सभी सुखों की प्राप्ति होती है वही भक्त आदित्य बताते हैं मां मुक्ति दायिनी है।
बाइट--कीर्ति सिंह आयोजक भक्तConclusion:Voc-- मगर हम तो यही जानते हैं मां तो आखिर मां ही है जिसके होने से बच्चे को ममता का आंचल नसीब होता है मां का ममतामई स्वरूप वेद पुराण से परे है ब्रह्मा विष्णु महेश जिनके चरणों की वंदना करते हैं इनके होने से प्रकृति का संचार होता है वह है तो सब है उनकी पूजा अर्चना अनादि काल से अनादि काल तक होती रहेगी क्योंकि मां रूपी सृष्टि अनंत है।
आशीष द्विवेदी
हरदोई up
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