हरदोई: विश्व हृदय दिवस (29 सितंबर) पर जिले के अनुभवी कार्डियोलोजिस्ट डॉ. अमित शर्मा से ईटीवी से खास बातें साझा कीं. उन्होंने इस दरमियान चल रही तमाम बीमारी से बचाव के तरीके बताए. अमित शर्मा ने इस दिवस को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में जागरूकता का प्रसार करना बताया. उन्होंने कहा कि आज के समय मे अधिकांश बीमारियां हृदय में पैदा होने वाली विकृतियों से पैदा होती हैं. इसलिए जरूरी है कि हम अपने हृदय को स्वस्थ्य रखने के लिए प्रयन्त करते रहें. जिससे ब्लड प्रेशर और डाइबिटीज जैसी तमाम बीमारियों से बचा जा सकें. उन्होंने कहा कि आज के व्यस्तता भरे युग में लोग ध्यान लगाने और इबादत करने का समय नहीं निकाल पाते हैं जबकि अपने इष्ट देवता का ध्यान कर पूजा करने सें मन को शांति मिलती है. इससे पॉजिटिव हार्मोन्स पैदा होते हैं, ये हार्मोन्स हृदय को कमजोर होने से रोकने का काम करते हैं.
इस उम्र में होती हैं हृदय संबंधी बीमारियां
दिल की बीमारी अक्सर 50 साल के बाद वाली उम्र के लोगों में देखी जाती थी, लेकिन वर्तमान समय में लाइफस्टाइल और भागदौड़ भरी जिंदगी में यह बीमारी युवाओं को भी अपनी चपेट में लेने लगी है. बदलती जीवनशैली ने दिल की बीमारियों की दर बीते वर्षो के मुकाबले दोगुनी कर दी है. आज के समय में हमारी जीवनशैली इसका सबसे बड़ा कारण बन रही है. जागरूकता से ही इस बीमारी से सुरक्षित रहा जा सकता है, क्योंकि दिल के रोगियों की बढ़ी संख्या कहीं न कहीं हमें सोचने पर मजबूर कर रही है और हर वर्ष दिल की बीमारियों की चपेट में आकर तमाम लोग अपनी जान गवा रहे हैं. इसलिए जरूरी है कि लोग इन विकृतियों को लेकर सजग रहें और खुद को जागरूक रखें.
हार्टअटैक के लक्षण को पहचान कर बचाएं अपनी जान
हार्टअटैक में अचानक दर्द बढ़ता है, इसके लिए सावधानी रखना जरूरी है. इसके सामान्य लक्षण छाती के बीच में तेज और दबाव वाला दर्द होना है, जो शरीर के बाईं ओर होता है. खासतौर से बाएं हाथ कमर और दो कंधों के बीच में इसका दर्द होता है. यही नहीं कई बार दर्द थोड़ी और जबड़े तक आ जाता है और व्यक्ति को बहुत ज्यादा पसीना आने लगता है. इस स्थिति को मेडिकल में डाइफरिसिस (पसीना) के रूप में जाना जाता है. नर्वस सिस्टम के ज्यादा एक्टिव होने के कारण पसीना आता है तब व्यक्ति तेज दर्द का अनुभव करता है. इसके बाद हारमोंस निकलते हैं और ब्लड प्रेशर व हृदय दर ऊपर चली जाती है. ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द विशेषज्ञ के पास जाकर इलाज की आवश्यकता होती है.
पूजा-पाठ और इबादत के रूप में ध्यान केंद्रित करने से होगा बचाव
डॉ. अमित शर्मा ने कहा कि आज के व्यस्तता भरे युग मे लोग वर्जिश भी नहीं कर पाते व अपने ऊपर ध्यान नहीं दे पाते हैं तो जरूरी है कि वे थोड़ा सा समय निकाल कर ध्यान लगाने की प्रक्रिया को अपनी दिनचर्या में शामिल करें. उन्होंने कहा कि व्यक्ति किसी भी धर्म का हो उसे अपने इष्ट देवता को मन मे रख कर ध्यान लगाने की व पूजा करने की जरूरत होती है. इससे हमारे मन को शांति मिलती है और हमारा शरीर तब पॉजिटिव हार्मोन्स रिलीज करता है, जिससे हमारे हृदय की स्वस्थता बरकरार रहती है.
डिस्प्रिन टेबलेट से हो सकता है ब्रेन हैमरेज
डॉ. अमित शर्मा ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति दिल की बीमारियों से ग्रसित है तो उसे डिस्प्रिन टेबलेट का प्रयोग नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अक्सर लोग सर दर्द होने पर डिस्प्रिन खा लेते हैं, लेकिन अगर ये दर्द ब्लड प्रेशर बढ़ने की वजह से है तब डिस्प्रिन खाने से व्यक्ति में ब्रेन हैमरेज होने की संभावना 90 फीसदी तक बढ़ जाती है. इससे मरीज की जान भी जा सकती है.