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यूपी के इस शहर से हुई थी होली की शुरुआत, आप भी जानें इतिहास

हरदोई जनपद का इतिहास बड़ा ही पौराणिक है. पुरातन काल में हिरण्यकश्यप हरदोई का राजा था. वह भगवान विष्णु से बैर रखता था, क्योंकि भगवान विष्णु ने उसके भाई हिरण्याक्ष का वध कर दिया था. हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था.

यूपी के इस शहर से हुई थी होली की शुरुआत,
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Published : Mar 21, 2019, 6:20 PM IST

हरदोई : प्राचीन काल से ही होली का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस मौके पर लोग एक-दूसरे के गले मिलकर गिले-शिकवे मिटाते हैं. होली के इस पर्व की शुरुआत का इतिहास बड़ा ही पुराना है.

दरअसल, हरदोई का इतिहास अपने आप में एक पुरातन संस्कृति को समेटे हुए है, जिसका वर्णन वेदों में भी मिलता है. हरदोई हिरण्यकश्यप की नगरी थी और उसकी बहन होलिका थी. हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था.

होली मनाने के पीछे का कारण

अपने पुत्र प्रह्लाद के विष्णु भक्त होने के कारण हिरण्यकश्यप ने उसकी हत्या के लिए अपनी बहन होलिका को उसे जलाने के लिए भेजा. होलिका को यह वरदान मिला हुआ था कि जब तक आशीर्वाद में मिली चादर वह ओढ़े रहेगी, तब तक आग से नहीं जलेगी, लेकिन भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद को खुद विष्णु जी ने बचा लिया और होलिका उसी आग में जलकर भस्म हो गई. भक्त की जिंदगी बचाने की खुशी में और सच्चाई की अच्छाई पर जीत की खुशी में यह त्योहार भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. लोगों का ऐसा मानना है कि तभी से होली के इस पर्व की शुरुआत हुई.

यूपी के इस शहर से हुई थी होली की शुरुआत.

हरदोई जनपद का पौराणिक इतिहास

हरदोई जनपद का इतिहास बड़ा ही पौराणिक है. पुरातनकाल में हिरण्यकश्यप हरदोई का राजा था. वह भगवान विष्णु से बैर रखता था क्योंकि भगवान विष्णु ने उसके भाई हिरण्याक्ष का वध कर दिया था, लेकिन हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था.

..जब होलिका आग में जलकर खुद हो गई भस्म

भगवान विष्णु के प्रति परम भक्ति को देखकर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद पर असंख्य अत्याचार किए, लेकिन भगवान विष्णु हमेशा प्रहलाद की रक्षा करते रहे. आखिर में अपने सारे प्रयासों को विफल होता देखकर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह जलती आग में प्रहलाद को लेकर बैठ जाए, क्योंकि होलिका को यह वरदान मिला था कि वरदान में मिली चादर जब तक उसके ऊपर रहेगी, तब तक वह आग से नहीं जलेगी. हिरण्यकश्यप के कहे मुताबिक होलिका प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की महिमा थी कि उन्होंने शीतल चादर ओढ़ाकर प्रहलाद की रक्षा की और होलिका उसी आग में जलकर भस्म हो गई.

प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान ने लिया नरसिंह अवतार

प्रहलाद ने इसके बाद भी भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी, जिससे हार कर हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को आग से दहकते हुए खंभे में बंधवा दिया और फिर खुद को बचाने के लिए भगवान को पुकारने के लिए कहा. हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद से कहा- कहां है तेरा भगवान. प्रहलाद ने कहा-कण कण में भगवान हैं. अपने भक्त को संकट में देखकर भगवान नरसिंह अवतार के रूप में प्रकट हुए और उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध कर डाला.

माना जाता है कि भगवान विष्णु के द्वारा भक्त प्रहलाद की रक्षा और होलिका के भस्म होने के बाद से बुराई पर अच्छाई की जीत का यह त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ देश ही नहीं विदेशों में भी बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. लोग इस मौके पर एक-दूसरे को रंग लगाकर इस त्योहार को मनाते हैं. साथ ही लोगों से गले-मिलकर एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं और गिले-शिकवे दूर करते हैं.

यहां है देश का पहला नरसिंह भगवान का मंदिर

हरदोई जनपद में सांडी रोड पर देश का पहला भगवान नरसिंह का मंदिर है. साथ ही प्रहलाद कुंड भी मौजूद है और इसी प्रह्लाद कुंड में खड़े इस खंभे से ही माना जाता है कि भगवान नरसिंह ने अवतार लिया था और हिरण्यकश्यप का वध किया था. इसके अवशेष आज भी यहां पर मौजूद हैं.

हरदोई : प्राचीन काल से ही होली का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस मौके पर लोग एक-दूसरे के गले मिलकर गिले-शिकवे मिटाते हैं. होली के इस पर्व की शुरुआत का इतिहास बड़ा ही पुराना है.

दरअसल, हरदोई का इतिहास अपने आप में एक पुरातन संस्कृति को समेटे हुए है, जिसका वर्णन वेदों में भी मिलता है. हरदोई हिरण्यकश्यप की नगरी थी और उसकी बहन होलिका थी. हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था.

होली मनाने के पीछे का कारण

अपने पुत्र प्रह्लाद के विष्णु भक्त होने के कारण हिरण्यकश्यप ने उसकी हत्या के लिए अपनी बहन होलिका को उसे जलाने के लिए भेजा. होलिका को यह वरदान मिला हुआ था कि जब तक आशीर्वाद में मिली चादर वह ओढ़े रहेगी, तब तक आग से नहीं जलेगी, लेकिन भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद को खुद विष्णु जी ने बचा लिया और होलिका उसी आग में जलकर भस्म हो गई. भक्त की जिंदगी बचाने की खुशी में और सच्चाई की अच्छाई पर जीत की खुशी में यह त्योहार भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. लोगों का ऐसा मानना है कि तभी से होली के इस पर्व की शुरुआत हुई.

यूपी के इस शहर से हुई थी होली की शुरुआत.

हरदोई जनपद का पौराणिक इतिहास

हरदोई जनपद का इतिहास बड़ा ही पौराणिक है. पुरातनकाल में हिरण्यकश्यप हरदोई का राजा था. वह भगवान विष्णु से बैर रखता था क्योंकि भगवान विष्णु ने उसके भाई हिरण्याक्ष का वध कर दिया था, लेकिन हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था.

..जब होलिका आग में जलकर खुद हो गई भस्म

भगवान विष्णु के प्रति परम भक्ति को देखकर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद पर असंख्य अत्याचार किए, लेकिन भगवान विष्णु हमेशा प्रहलाद की रक्षा करते रहे. आखिर में अपने सारे प्रयासों को विफल होता देखकर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह जलती आग में प्रहलाद को लेकर बैठ जाए, क्योंकि होलिका को यह वरदान मिला था कि वरदान में मिली चादर जब तक उसके ऊपर रहेगी, तब तक वह आग से नहीं जलेगी. हिरण्यकश्यप के कहे मुताबिक होलिका प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की महिमा थी कि उन्होंने शीतल चादर ओढ़ाकर प्रहलाद की रक्षा की और होलिका उसी आग में जलकर भस्म हो गई.

प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान ने लिया नरसिंह अवतार

प्रहलाद ने इसके बाद भी भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी, जिससे हार कर हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को आग से दहकते हुए खंभे में बंधवा दिया और फिर खुद को बचाने के लिए भगवान को पुकारने के लिए कहा. हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद से कहा- कहां है तेरा भगवान. प्रहलाद ने कहा-कण कण में भगवान हैं. अपने भक्त को संकट में देखकर भगवान नरसिंह अवतार के रूप में प्रकट हुए और उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध कर डाला.

माना जाता है कि भगवान विष्णु के द्वारा भक्त प्रहलाद की रक्षा और होलिका के भस्म होने के बाद से बुराई पर अच्छाई की जीत का यह त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ देश ही नहीं विदेशों में भी बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. लोग इस मौके पर एक-दूसरे को रंग लगाकर इस त्योहार को मनाते हैं. साथ ही लोगों से गले-मिलकर एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं और गिले-शिकवे दूर करते हैं.

यहां है देश का पहला नरसिंह भगवान का मंदिर

हरदोई जनपद में सांडी रोड पर देश का पहला भगवान नरसिंह का मंदिर है. साथ ही प्रहलाद कुंड भी मौजूद है और इसी प्रह्लाद कुंड में खड़े इस खंभे से ही माना जाता है कि भगवान नरसिंह ने अवतार लिया था और हिरण्यकश्यप का वध किया था. इसके अवशेष आज भी यहां पर मौजूद हैं.

Intro:आशीष द्विवेदी
हरदोई up
9918740777,8115353000

स्लग- यूपी के शहर से हुई थी होली के पर्व की शुरुआत आप भी जानें इतिहास

एंकर- प्राचीन काल से होली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है होली के इस मौके पर लोग एक दूसरे के गले मिलकर शिकवे मिटाते हैं होली के इस पर्व की शुरुआत का इतिहास बड़ा ही पुराना है दरअसल हरदोई का इतिहास अपने आप में एक पुरातन संस्कृति को समेटे है जिसका वर्णन वेदों में भी मिलता है हरदोई हिरण्यकश्यप की नगरी थी और उसकी बहन होलिका थी और हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था विष्णु भक्ति के चलते हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद की हत्या के लिए अपनी बहन होलिका को उसे जलाने के लिए भेजा था क्योंकि होलिका को यह आशीर्वाद प्राप्त था कि जब तक आशीर्वाद में मिली चादर वह ओढ़े रहेगी तब तक आग से नहीं जलेगी लेकिन भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद को खुद विष्णु जी ने बचा लिया और होलिका उसी आग में भस्म हो गई भक्तों की जिंदगी बचने की खुशी में और सच्चाई की अच्छाई पर जीत की खुशी में यह त्योहार भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है ऐसा लोगों का मानना है की तभी से होली के इस पर्व को मनाया जाता है।


Body:vo-उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले का इतिहास बड़ा ही पौराणिक है पुरातन काल में हिरण्यकश्यप हरदोई का राजा था वह भगवान विष्णु से वैर रखता था क्योंकि भगवान विष्णु ने उसके भाई हिरण्याक्ष का वध कर दिया था लेकिन हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था भगवान विष्णु के प्रति परम भक्ति को देखकर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद पर असंख्य अत्याचार किए लेकिन भगवान विष्णु हमेशा प्रहलाद की रक्षा करते रहे अंत में अपने सारे प्रयासों से हार कर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह जलती आग में प्रहलाद को लेकर बैठ जाए क्योंकि होलिका को यह वरदान मिला था कि वरदान में मिली चादर जब तक उसके ऊपर रहेगी तब तक वह आग से नहीं जलेगी हिरण्यकश्यप के कहे मुताबिक होलिका प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई लेकिन भगवान विष्णु की महिमा थी कि उन्होंने भक्त प्रहलाद को शीतल चादर ओढ़ाकर प्रहलाद की रक्षा की और वहीं होलिका की चादर उड़ गई और होलिका उसी आग में जलकर भस्म हो गई जिसके बाद भी प्रहलाद ने भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी और इन सब से हार कर भक्त प्रहलाद को हिरण्यकश्यप ने आग से दहकते हुए खंबे में बंधवा दिया और फिर खुद को बचाने के लिए भगवान को पुकारने के लिए कहा हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद से कहा कहां है तेरा भगवान प्रहलाद ने कहा कण कण में है भगवान अपने भक्तों की को संकट में देखकर भगवान नरसिंह अवतार के रूप में खंबा फाड़कर प्रकट हुए और उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध कर डाला माना जाता है कि भगवान विष्णु के द्वारा भक्त प्रहलाद की रक्षा और होलिका के भस्म होने के बाद से बुराई पर अच्छाई की जीत का यह त्यौहार बड़े हर्षोल्लास के साथ देश ही नहीं विदेशों में भी होली के इस पर्व को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लोग इस मौके पर एक दूसरे के रंग लगाकर इस त्योहार को मनाते हैं साथ ही लोगों के गले मिलकर एक दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं और गिले-शिकवे दूर करते हैं।


Conclusion:voc- हरदोई जिले में सांडी रोड पर देश का पहला भगवान नरसिंह का मंदिर मौजूद है साथ ही प्रहलाद कुंड भी मौजूद है और इसी प्रह्लाद कुंड में खड़े इस खंभे से ही माना जाता है कि भगवान नरसिंह ने अवतार लिया था और यहीं पर खंभा फाड़कर प्रकट हुए थे और हिरण्यकश्यप का उन्होंने वध किया था होली के त्यौहार और भगवान विष्णु के द्वारा हिरण्यकश्यप का वध करने के अवशेष आज भी यहां पर मौजूद हैं।
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