हरदोई: केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद हर किसी की आंखों में बड़े स्तर से लेकर जमीनी स्तर तक सुधार की उम्मीदें जगी थीं. इसी के अंतर्गत पीएम ने सभी सांसदों को एक-एक गांव गोद लेकर वहां विकास करने की बात कही थी. कई भाजपा सांसदों ने गांव गोद तो लिए, लेकिन कभी वहां दर्शन देने नहीं जाते थे. एक-दो बार गए पर उसके बाद कभी वहां कदम नहीं रखे. ऐसे में गोद लिए गांव में आज भी विकास का अकाल पड़ा है.
इन्हीं आदर्श गांवों में शामिल है बीजेपी के पूर्व सांसद अंशुल वर्मा का गोद लिया गांव खजुरारह, जहां आज भी लोग विकास की राह देख रहे हैं. हालांकि वो बीजेपी को छोड़कर सपा में शामिल हो चुके हैं पर वहां के हालात आपको सोचने पर मजबूर कर देंगे. ईटीवी भारत के रियलिटी टेस्ट में आप गांव खजुरारह की जमीनी हकीकत से रूबरू होंगे.
इस गांव में न तो लोगों को आवास मिले और न ही शौचालय. तमाम सरकारी योजनाओं यहां के ग्रामीण कोसों दूर हैं. बीपीएल सूची में नाम होने के बावजूद गरीब आज भी कच्चे मकानों में गुजर-बसर करने को मजबूर हैं. सरकारी नल खराब पड़े हैं. पानी की टंकी में लंबे समय से लीकेज है और घरों में पानी नहीं पहुंच पाता है. बिजली न होने से बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते. लोगों ने आरोप लगाया कि न ही प्रधान यहां झांकने आता है और न ही आज तक सांसद से हमारे गांव का भ्रमण किया.
गांव की वृद्ध महिलाओं का कहना है कि उन्होंने सरकार से गांव के विकास और विधवा पेंशन दिए जाने की गुहार लगाई पर कुछ हासिल नहीं हुआ. नाराज महिलाओं का कहना है कि वे इस बार वोट नहीं देंगी.