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रियलिटी चेक: गोद लेने के बाद BJP सांसद कितना सुधार सके गांव के हालात

बीजेपी के पूर्व सांसद रह चुके अंशुल वर्मा के गोद लिए गांव खजुरारह की हालात बेदह खराब है. यहां आज भी लोग विकास की राह देख रहे हैं. ईटीवी भारत के रियलिटी टेस्ट में आप गांव खजुरारह की जमीनी हकीकत से रूबरू होंगे.

गांव में लोगों को नहीं मिलीं मूलभूत सुविधाएं
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Published : Apr 5, 2019, 8:27 PM IST

हरदोई: केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद हर किसी की आंखों में बड़े स्तर से लेकर जमीनी स्तर तक सुधार की उम्मीदें जगी थीं. इसी के अंतर्गत पीएम ने सभी सांसदों को एक-एक गांव गोद लेकर वहां विकास करने की बात कही थी. कई भाजपा सांसदों ने गांव गोद तो लिए, लेकिन कभी वहां दर्शन देने नहीं जाते थे. एक-दो बार गए पर उसके बाद कभी वहां कदम नहीं रखे. ऐसे में गोद लिए गांव में आज भी विकास का अकाल पड़ा है.

गांव में लोगों को नहीं मिलीं मूलभूत सुविधाएं

इन्हीं आदर्श गांवों में शामिल है बीजेपी के पूर्व सांसद अंशुल वर्मा का गोद लिया गांव खजुरारह, जहां आज भी लोग विकास की राह देख रहे हैं. हालांकि वो बीजेपी को छोड़कर सपा में शामिल हो चुके हैं पर वहां के हालात आपको सोचने पर मजबूर कर देंगे. ईटीवी भारत के रियलिटी टेस्ट में आप गांव खजुरारह की जमीनी हकीकत से रूबरू होंगे.

इस गांव में न तो लोगों को आवास मिले और न ही शौचालय. तमाम सरकारी योजनाओं यहां के ग्रामीण कोसों दूर हैं. बीपीएल सूची में नाम होने के बावजूद गरीब आज भी कच्चे मकानों में गुजर-बसर करने को मजबूर हैं. सरकारी नल खराब पड़े हैं. पानी की टंकी में लंबे समय से लीकेज है और घरों में पानी नहीं पहुंच पाता है. बिजली न होने से बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते. लोगों ने आरोप लगाया कि न ही प्रधान यहां झांकने आता है और न ही आज तक सांसद से हमारे गांव का भ्रमण किया.

गांव की वृद्ध महिलाओं का कहना है कि उन्होंने सरकार से गांव के विकास और विधवा पेंशन दिए जाने की गुहार लगाई पर कुछ हासिल नहीं हुआ. नाराज महिलाओं का कहना है कि वे इस बार वोट नहीं देंगी.

हरदोई: केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद हर किसी की आंखों में बड़े स्तर से लेकर जमीनी स्तर तक सुधार की उम्मीदें जगी थीं. इसी के अंतर्गत पीएम ने सभी सांसदों को एक-एक गांव गोद लेकर वहां विकास करने की बात कही थी. कई भाजपा सांसदों ने गांव गोद तो लिए, लेकिन कभी वहां दर्शन देने नहीं जाते थे. एक-दो बार गए पर उसके बाद कभी वहां कदम नहीं रखे. ऐसे में गोद लिए गांव में आज भी विकास का अकाल पड़ा है.

गांव में लोगों को नहीं मिलीं मूलभूत सुविधाएं

इन्हीं आदर्श गांवों में शामिल है बीजेपी के पूर्व सांसद अंशुल वर्मा का गोद लिया गांव खजुरारह, जहां आज भी लोग विकास की राह देख रहे हैं. हालांकि वो बीजेपी को छोड़कर सपा में शामिल हो चुके हैं पर वहां के हालात आपको सोचने पर मजबूर कर देंगे. ईटीवी भारत के रियलिटी टेस्ट में आप गांव खजुरारह की जमीनी हकीकत से रूबरू होंगे.

इस गांव में न तो लोगों को आवास मिले और न ही शौचालय. तमाम सरकारी योजनाओं यहां के ग्रामीण कोसों दूर हैं. बीपीएल सूची में नाम होने के बावजूद गरीब आज भी कच्चे मकानों में गुजर-बसर करने को मजबूर हैं. सरकारी नल खराब पड़े हैं. पानी की टंकी में लंबे समय से लीकेज है और घरों में पानी नहीं पहुंच पाता है. बिजली न होने से बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते. लोगों ने आरोप लगाया कि न ही प्रधान यहां झांकने आता है और न ही आज तक सांसद से हमारे गांव का भ्रमण किया.

गांव की वृद्ध महिलाओं का कहना है कि उन्होंने सरकार से गांव के विकास और विधवा पेंशन दिए जाने की गुहार लगाई पर कुछ हासिल नहीं हुआ. नाराज महिलाओं का कहना है कि वे इस बार वोट नहीं देंगी.

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई। 9919941250

एंकर--पूर्व में भाजपा के सभी सांसदों को एक या दो गांव गोद दिए गए थे। जिससे की गांवों की स्थिति में सुधार किया जा सके और विकास की धारा इन अविकसित गांवों में बहाई जा सके।लेकिन ईटीवी की टीम ने जब जिले के कुछ आदर्श गांवों में भ्रमण किया तो जमीनी हकीकत सामने आई।यहां के ग्रामीणों ने भी कैमरा देख अपनी अपनी संसिक़ों का बखान करना शुरू कर दिया।यहां के आदर्श गांवों में न ही तो लोगों को आवास मील और न ही शौचालय। वहीं तमाम सरकारी योजनाओं से भी यहां के ग्रामीण कोसों दूर हैं।ये तस्वीरें जो कैमरे में कैद हैं जिन्हें देख कर आप का दिल जरूर भर आएगा, क्योंकि ये तस्वीरें सांसद आदर्श गांव की हैं।


Body:वीओ--1--जिले के सांसद आदर्श गांवों की बात अगर करें तो उन्हें गोद दिए जाने का उद्देश्य इन गांवों को विकसित करना था।लेकिन आज यहां की ग्राउंड रिपोर्ट बिल्कुल ज़ीरो है।ईटीवी की टीम ने जब जिले की 31 लोक सभा से भाजपा के सांसद रहे अंशुल वर्मा के एक गोद लिए गांव खजुरारह में भ्रमण किया तो दृश्य चौकाने वाले थे।जैसा की आप तस्वीरों में देख सकते हैं कि ये टूटे पड़े और ढहे हुए घर इन्हीं गरीब ग्रामीणों के हैं।बीपीएल सूची में नाम।होने के बाद भी इन ग्रामीणों को छत नहीं मिल सकी और आज भी ये सड़क किनारे छप्पर लगा कर अपना गुजर बसर कर रहे हैं।वहीं शौचालय भी गांव के सभी लोगों को नहीं दिए जा सके।आज भी यहां की महिलाएं खुले में शौच के लिए जाती हैं।अब बात करते हैं पेय जल व्यवस्था की तो वो भी यहाँ ठप पड़ी हुई है।यहां लगे सरकारी नल विगत लम्बे समय से खराब पड़े हुए हैं और यहां बनी पानी की टंकी में विगत लम्बे अरसे से लीकेज है।रहने, शौंच करने व पेय जल आदि के साथ ही यहां गंदगी की समस्या भी एक बड़ा मुद्दा है।वहीं बिजली का अभाव भी इस गांव में मौजूद छात्रों की पढ़ाई के ऊपर बाधा डालने का काम कर रहा है।विकास से कोसों दूर पड़े इस आदर्श गांव के लोगों ने कैमरे के सामने आते ही अपना दुखड़ा रोना शुरू कर दिया सुनिए उन्ही की जुबानी।

विसुअल्स
वन टू वन(ग्रामीणों के साथ)

वीओ--2--वहीं गांव की कुछ वृद्ध महिलाओं से बात करने पर उन्होंने सरकार व प्रशासन से गांव के विकास की मांग की और विधवा पेंशन दिए जाने की गुहार लगाई।लोगों ने आरोप लगाया कि न ही प्रधान यहां झांकने आता है और न ही आज तक सांसद से हमारे गांव का भ्रमण किया।बतादें की इस खजुरारह ग्रामसभा में करीब 26 गांव आते हैं,जिनका हाल जैसा पूर्व में था उससे बद्दतर आज के समय मे है।लेकिन कागजों पर गांवों को आदर्श बना कर भाजपा सरकार अपनी पीठ थपथपाने का काम करने में मशरूफ है।देखें ईटीवी की ग्राउंड रिपोर्ट।

विसुअल्स
बाईट--वृद्ध ग्रामीण महिलाओं की



Conclusion:
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