हरदोई: बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए एनजीटी भले ही सख्त हो लेकिन हरदोई में एनजीटी के नियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. आलम यह है कि जिला अस्पताल से निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट खुलेआम कचरे में फेंका जा रहा है. जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है.
- एनजीटी ने बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की एक अलग तरीके से प्रक्रिया बनाई है
- सरकार ने बायो मेडिकल वेस्ट के सही से निस्तारण ना करने पर हुए 5 साल की कैद और 1 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान रखा है
- जिला अस्पताल से निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट खुलेआम कचरे में फेंका जा रहा है
बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारीकरण को लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग संवेदनहीन नजर आ रहा है. जिला अस्पताल के बाहर खुलेआम बायो मेडिकल वेस्ट फेंका जा रहा है. जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के साथ ही पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है.
बता दें कि एनजीटी ने साफ तौर पर चिकित्सा अपशिष्ट के निस्तारण के लिए कड़े नियमों का प्रावधान किया है. जिसके तहत एक अलग तरीके से बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की प्रक्रिया अपनाई जाती है. साफ तौर पर हिदायत दी गई है कि क्लोरिनेटेड, प्लास्टिक बैग दस्तानों और ब्लड बैंक से निकलने वाले निडिलजैसे अपशिष्ट को एक अलग ढंग से निस्तारित किया जाए.
इसके अलावा सरकार ने बायो मेडिकल वेस्ट के सही से निस्तारण ना करने पर सख्त रूख अपनाते हुए 5 साल की कैद और 1 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान रखा है.लेकिन हरदोई में शायद स्वास्थ्य विभाग को ना तो एनजीटी से डर लगता है और ना ही सरकार के बनाए गए कानून से. इससे वायु प्रदूषण फैलने का खतरा मंडरा रहा है जो इंसानी जिंदगी के साथ ही अन्य जीवों की जिंदगी के लिए भी घातक हो सकता है.
इस बारे में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ए के शाक्य का कहना है कि जिला अस्पताल से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का टेंडर एक सेनेटरी बेस्ट कंपनी को दिया गया है. यह चिकित्सा अपशिष्ट निस्तारीकरण का काम करती है. उन्होंने बताया कि सभी चिकित्सकों और कर्मचारियों को निर्देशित कर दिया गया है कि नियमों के अनुसार ही बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण करें और इसे खुले में ना फेंके. साथ ही वह इस मामले की जांच कराएंगे.