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हरदोई: शहर के बीच में तिरपाल में जिंदगी गुजार रहा है विनोद का परिवार

शहर में चंद बहटा इलाका में एक गरीब परिवार बहुत ही कठिनाई से अपना जीवन यापन कर रहा है. परिवार के पास रहने को घर नहीं हैं. परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. इस गरीब ने आवास के लिए कई बार आवेदन किया, लेकिन इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी इसे आवास मुहैया नहीं कराया जा सका.

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Published : Jul 19, 2019, 11:42 AM IST

कच्चे मकान में रह रहा है विनोद का परिवार.

हरदोई: प्रदेश में चंद बहटा इलाका में शहर के बीचों बीच बसी एक रिहायशी बस्ती है. यहां की आबादी लगभग 4 से 5 हजार लोगों की है. इलाके में लोग पक्के मकानों में सुकून की नींद सोते हैं. वहीं यहां एक परिवार ऐसा भी है जो पन्नी, तिरपाल और भाजपा की चुनावी होर्डिंग से बने घर में रह रहा है.

कच्चे मकान में रह रहा है विनोद का परिवार.

विनोद पाल नाम का एक गरीब मजदूर अपनी बीवी और दो बच्चों के साथ रहता है. गरीब मजदूर की तबीयत खराब रहती है, लेकिन अपना परिवार चलाने और बच्चों की पढ़ाई का बोझ उठाने के लिए यह दिहाड़ी मजदूरी करता है. मजदूर की पत्नी बर्तन धोकर चंद पैसे कमा लेती है.

करीब चार वर्ष पूर्व इनका एक कच्चा मकान था, जोकि बारिश के कहर के आगे टिक न सका और ढह गया. इसके बाद यह गरीब परिवार सड़क के किनारे तिरपाल और पन्नी और कुछ होर्डिंग्स का घर बना कर रहने लगा. कई बार इस गरीब ने आवास के लिए आवेदन किया, लेकिन इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी इसे आवास नहीं मुहैया कराया जा सका.

बारिश में हमारा घर गिर गया था. फिर हम यहां झोपड़ी में रहने आ गए. हमें कोई सुविधा नहीं मिली है. केवल गैस-सिलेंडर और चूल्हा मिला है. हम मजदूरी करते हैं और बच्चे पढ़ते हैं. हम घर का खर्चा नहीं चला पा रहे हैं.
विनोद, मजदूर

सूचना मिली है कि विनोद पाल नाम के व्यक्ति कच्चे मकान में रहते हैं. एसडीएम सदर को सूचना दी गई है कि मौके पर पहुंचकर जांच मामसे की जांच करा लें. जल्द ही पीड़ितों को आवास मुहैया करा दिया जाएगा.
गजेंद्र कुमार, सिटी मजिस्ट्रेट

हरदोई: प्रदेश में चंद बहटा इलाका में शहर के बीचों बीच बसी एक रिहायशी बस्ती है. यहां की आबादी लगभग 4 से 5 हजार लोगों की है. इलाके में लोग पक्के मकानों में सुकून की नींद सोते हैं. वहीं यहां एक परिवार ऐसा भी है जो पन्नी, तिरपाल और भाजपा की चुनावी होर्डिंग से बने घर में रह रहा है.

कच्चे मकान में रह रहा है विनोद का परिवार.

विनोद पाल नाम का एक गरीब मजदूर अपनी बीवी और दो बच्चों के साथ रहता है. गरीब मजदूर की तबीयत खराब रहती है, लेकिन अपना परिवार चलाने और बच्चों की पढ़ाई का बोझ उठाने के लिए यह दिहाड़ी मजदूरी करता है. मजदूर की पत्नी बर्तन धोकर चंद पैसे कमा लेती है.

करीब चार वर्ष पूर्व इनका एक कच्चा मकान था, जोकि बारिश के कहर के आगे टिक न सका और ढह गया. इसके बाद यह गरीब परिवार सड़क के किनारे तिरपाल और पन्नी और कुछ होर्डिंग्स का घर बना कर रहने लगा. कई बार इस गरीब ने आवास के लिए आवेदन किया, लेकिन इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी इसे आवास नहीं मुहैया कराया जा सका.

बारिश में हमारा घर गिर गया था. फिर हम यहां झोपड़ी में रहने आ गए. हमें कोई सुविधा नहीं मिली है. केवल गैस-सिलेंडर और चूल्हा मिला है. हम मजदूरी करते हैं और बच्चे पढ़ते हैं. हम घर का खर्चा नहीं चला पा रहे हैं.
विनोद, मजदूर

सूचना मिली है कि विनोद पाल नाम के व्यक्ति कच्चे मकान में रहते हैं. एसडीएम सदर को सूचना दी गई है कि मौके पर पहुंचकर जांच मामसे की जांच करा लें. जल्द ही पीड़ितों को आवास मुहैया करा दिया जाएगा.
गजेंद्र कुमार, सिटी मजिस्ट्रेट

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई।9919941250
18 जुलाई 2019

एंकर----हरदोई जिले में भी देश और प्रदेश की भांति सरकारी योजनाओं से लाभान्वित हुए लोगों के आंकड़े गिना कर जिम्मेदार अपनी पीठ थपथपाने का काम करने में लगे हुए हैं।लेकिन उन लोगों की सुनने वाला आज भी कोई नहीं जो सड़क किनारे तिरपाल और पन्नी के सहारे अपना गुजर बसर करने में लगे हुए हैं।हम बात कर रहे हैं एक गरीब और बीमार मजदूर के परिवार की जो विगत चार वर्षों से अपना कच्चा मकान ढह जाने के बाद पन्नी और भाजपा की होल्डिंग का घर बना कर रहने को मजबूर हैं।जिनके घर मे भाजपा के नेताओं की होल्डिंग तो लगी हैं लेकिन भाजपा की कार्यदायी योजनाओं से इन्हें अभी तक लाभान्वित नहीं किया जा सका है।


Body:वीओ--1--हरदोई जिले के चंद बहटा इलाके में जो कि शहर के बीचों बीच बसी एक रिहायशी बस्ती है।यहां की आबादी लगभग 4 से 5 हज़ार लोगों की है,जो अपने पक्के बने मकानों में सुकून की नींद सोते हैं।लेकिन इन हज़ारों लोगों में से एक परिवार ऐसा भी है जो पन्नी, तिरपाल और भाजपा की चुनावी होल्डिंग से बने घर मे रह रहा है।ये यसवीरें हैं विनोद पाल नाम के एक गरीब मजदूर के घर की, जो यहां अपनी बीवी और दो बच्चों के साथ रहता है।ये गरीब सरकार के रहम पर नहीं बल्कि अपने हुनर पर अपना जीवन यापन कर एक मिसाल पेश कर रहा है।इस गरीब मजदूर की तबियत खस्ता हाल है लेकिन अपना परिवार चलाने व बच्चों की पढ़ाई का बोझ उठाने के लिए ये दिहाड़ी मजदूरी करता है तो इसकी पत्नी बर्तन धोकर चंद पैसे कमा ही लेती है।आज से करीब चार वर्ष पूर्व इनका एक कच्चा मकान था।जोकि बारिश के केहर के आगे टिक न सका और ढह गया।जिसके बाद ये मजबूर परिवार सड़क के किनारे तिरपाल और पन्नी व कुछ होल्डिंगों का घर बना कर रहने लगा।कई बार इस गरीब ने आवास के लिए आवेदन किया लेकिन आज इतने वर्ष बीतजने के बाद भी इसे आवास नहीं मुहैया कराया जा सका।पीड़ित परिवार के इस पन्नी के घर मे लाइट की भी कुछ खास व्यवस्था नहीं है।जिसके चलते मजदूर विनोद के बच्चों को पढ़ाई करने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।इतना ही नहीं इनको शौचालय और गैस सिलेंडर तो मुहैया कराया गया लेकिन इन दोनों सुविधाओं को जहां होना चाहिए वो स्थान यानी कि आवास इन गरीबों के पास है ही नहीं।तो इस शौचालय और गैस चूल्हे का क्या फायदा।वहीं मजदूर विनोद ने अपनी सभी समस्याओं से अवगत कराते हुए ईटीवी भारत के माध्यम से न्याय की गुहार व सरकारी योजनाओं से लाभान्वित किये जाने की गुहार जरूर लगाई है।सुनिए पीड़ित की जुबानी।

विसुअल विद वॉइस ओवर
बाईट--विनोद--गरीब मजदूर

वीओ--2--इस प्रकरण का संज्ञान जैसे ही सिटी मजिस्ट्रेट को हुआ उनका दिल भी इस परिवार के प्रति मानों नरमा सा गया।उन्होंने कहा कि इस पीड़ित परिवार की जानकारी एसडीएम सदर को दीदी गयी है।जल्द ही पीड़ितों को आवास मुहैया करा दिया जाएगा।साथ ही अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ भी इनकी पात्रता और अपात्रता की जांच कर इन्हें दिया जाएगा।वहीं इस पीड़ित परिवार के यहां जाकर इनकी अन्य समस्याएं सुनकर उनका निराकरण किये जाने की बात भी सिटी मजिस्ट्रेट ने कही है।

बाईट--गजेंद्र कुमार--सिटी मजिस्ट्रेट हरदोई
पीटूसी


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