हापुड़ः साइबर सेल व धौलाना थाना पुलिस की संयुक्त पुलिस टीम ने जेल में बंद कैदियों के परिजनों से फोन करके कैदी के गंभीर चोट बताकर ब्लड बैंक से ब्लड खरीदने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने 2 शातिर ठगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने दोनों आरोपियों के कब्जे से नगदी, रेलवे टिकट, 2 मोबाइल फोन, अधिवक्ताओं के नाम पता व मोबाइल नंबर का डाटा भी बरामद किया है. गिरफ्तार शातिर ठग पहले भी इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देते हुए लाखों रुपये की ठगी कर चुके हैं.
गिरफ्तार शातिर ठगों ने पुलिस पूछताछ में बताया कि शातिर ठग जेल में बंद अपराधियों के अधिवक्ताओं के नाम, पता व मोबाइल नंबर का डाटा कोर्ट की वेबसाइट (ecourt website) से डाउनलोड करते हैं. इसके बाद डाटा में दिए गए अधिवक्ताओं के मोबाइल नंबर पर कॉल करके उनके जेल में बंद क्लाइंट (कैदियों) को बैरक में पैर फिसलने से गंभीर चोट लगने की बात बताकर कैदी के परिवार वालों का मोबाइल नंबर लेते हैं. कैदी के परिजनों को कॉल कर उनके जेल में बंद रिश्तेदार का जेल की बैरक में पैर फिसलने से आई गंभीर चोट बताकर ब्लड बैंक से ब्लड खरीदने के नाम पर रुपये ट्रांसफर कराकर ठगी करते थे.
पुलिस ने दोनों आरोपियों को पिलखुवा धौलाना रोड तहसील के पास से गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपी जनपद बरेली निवासी मधुर सक्सेना और नितिन जोहरी हैं. आरोपी ठग मधुर सक्सेना पर पहले से ही चार मुकदमे दर्ज हैं. पुलिस ने दोनों आरोपियों के पास से 2,500 रुपये की नगदी, रेलवे टिकट, घटना में प्रयुक्त दो मोबाइल फोन, अधिवक्ताओं के नाम पते व मोबाइल नंबरों का डाटा बरामद किया है.
एसपी अभिषेक वर्मा ने बताया कि जनपद हापुड़ की साइबर सेल द्वारा नए तरीके से ठगी करने वाले दो ठगों को गिरफ्तार किया गया है. एक का नाम मधुर सक्सेना है और दूसरे का नाम नितिन जौहरी है. इनमें से एक बदायूं का मूल निवासी है. यह साइबर ठग वेबसाइट पर सर्च कर अधिवक्ताओं का नंबर निकाल लेते थे और अधिवक्ताओं को फोन कर यह पूछते थे कि क्या आपने अभी किसी कैदी की बेल कराई है. यदि अधिवक्ता यह कहते थे कि हां उन्होंने बेल कराई है तो आरोपी ठग अधिवक्ता को बताते थे कि जो कैदी है, वह जेल में पैर फिसलने से गिर गया है और उसके सिर में गंभीर चोट है, जिससे उसे ब्लड की जरूरत है. उसके परिजनों को फोन करना है.
आरोपी अधिवक्ता से उसके क्लाइंट के परिजनों का नंबर ले लेते थे और उसके बाद वह उसके परिजनों से बात करते थे. यह बताते थे कि वह जेल से बंदी रक्षक बोल रहे हैं, उनका जो रिश्तेदार जेल में बंद है उसको पैसे की सख्त जरूरत है. बंदी के रिश्तेदारों से 14 से 15 हजार रुपये एक मोबाइल नंबर देकर उनसे ऑनलाइन ट्रांसफर करा लेते थे. इस तरह से आरोपी जेल में बंद कैदियों से ठगी किया करते थे. जब तक कैदी के रिश्तेदार अगले दिन सुबह इस पूरे मामले की जानकारी करते थे, तब तक उनके खाते से पैसे ट्रांसफर हो चुके होते थे. जनपद हापुड़ में भी इस तरह के 2 मामले सामने आए थे.
पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर इसकी जांच शुरू की, तब इस पूरे गैंग का भंडाफोड़ हुआ. आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि आरोपी किसी भी जिले में अधिवक्ताओं के नंबर वेबसाइट से लेकर उन्हें कॉल कर साइबर ठगी करते थे. आरोपियों के पास से नकदी, मोबाइल फोन और अधिवक्ताओं के नंबर बरामद हुए हैं. अभी तक 60 से 70 हजार रुपये की नकदी ट्रांसफर की जानकारी मिली है. बाकी पूरे मामले की जांच चल रही है. दोनों आरोपियों के अलावा एक व्यक्ति का नाम और सामने आया है, जिस व्यक्ति से दोनों ठगों ने यह सभी ठगी करना सीखा था. उसकी भी तलाश की जा रही है. जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.