हापुड़: कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश में इस कदर लोगों पर कहर बरपाया कि लाखों लोगों की जान चली गई. करोड़ों लोगों का व्यापार छिन गया. गरीब असहाय लोगों को जीवन यापन करना भी बड़ी चुनौती बन गया. फिलहाल इस लहर पर धीरे-धीरे काबू पाया जा रहा है. व्यापार-रोजगार पटरी पर आता नजर आ रहा है. लेकिन बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए अभी भी स्कूल बंद हैं ऐसी परिस्तिथि में स्कूल संचालकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
हापुड़ शहर के भंडापट्टी में रोशन पब्लिक स्कूल नाम से कक्षा पांच तक एक स्कूल संचालित है. यह स्कूल कोरोना की पहली लहर से ही बंद है. जिसको शमशाद अहमद चलाते थे. शमशाद अहमद अपने परिवार के साथ स्कूल परिसर में ही रहते हैं, शमशाद का कहना है की कोरोना काल से ही स्कूल बंद है और अब परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल हो चुका है. जिसके कारण शमशाद स्कूल में ही सब्जी बेंचने लगे हैं.
इस मुद्दे पर जब हमने शमशाद से बात की तो उन्होंने बताया कि कोरोना की पहली लहर से बंद पड़े स्कूल से परिवार का भरण पोषण करना बेहद मुश्किल हो गया था. जिसके कारण स्कूल परिसर में पेट पालने के लिए सब्जी बेचना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि परिवार को पालने का एक यही साधन बचा है. अब सब्जी बेचकर परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं.
शमशाद पेशे से अपने स्कूल में टीचर हैं, लेकिन अब परिवार को पालने के लिए सब्जी बेच रहे हैं. उन्हें नहीं पता था कि कोरोना महामारी ऐसी आएगी कि उन्हें टीचर से सब्जी बेचने वाला बना देगी.