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हाथरस: जमा पूंजी भी हुई खत्म तो रिक्शा लेकर दिल्ली से ही छतरपुर के लिए निकले मजदूर

लॉकडाउन की वजह से मजदूर वर्ग अब पलायन करने को मजबूर हैं. मजदूरों के पास अब आय का कोई साधन भी नहीं बचा है. ऐसे में दिल्ली में रहकर रिक्शा चलाने वाले अनिल के पास जब खाने को कुछ नहीं बचा तो उन्होंने अपने रिक्शे को ही घर जाने का सहारा बना लिया और दिल्ली से छतरपुर के लिए चल दिए.

रिक्शा बना सहारा
रिक्शा बना सहारा
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Published : May 12, 2020, 5:45 PM IST

हमीरपुर: कोरोना वायरस से बचाव के लिए लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन से सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना गरीब तबके के लोगों को करना पड़ रहा है. रोज कमाकर अपना गुजर-बसर करने वाले इस तबके पर अब लॉकडाउन भारी पड़ने लगा है. यही वजह है कि इस तबके से जुड़े लोग जैसे भी हो बस अपने घरों को वापस लौटना चाहते हैं.

जिला मुख्यालय में भी मंगलवार को कुछ ऐसे ही लोग दिखाई दिए. जो देश की राजधानी दिल्ली में रिक्शा चलाकर अपने परिवार का गुजर-बसर करते थे, लेकिन जब लॉकडाउन से उनके सामने मुश्किलें बढ़ीं तो उन्होंने रिक्शे पर ही अपनी गृहस्थी के साथ घर वापस लौटना मुनासिब समझा.

जब जमा पूंजी भी खत्म हुई तो घर चल दिए
छतरपुर के रहने वाले अनिल बताते हैं कि वह और उनके गांव के कुछ लोग दिल्ली में रिक्शा चलाकर अपने परिवार का गुजर-बसर करते हैं. लॉकडाउन की वजह से उनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं बचा और जमा पूंजी भी खत्म हो गई. तब मजबूरी में उन्हें अपने घर के लिए लौटना पड़ा.

समाजसेवियों ने खिलाया खाना
उन्होंने बताया कि घर वापस लौटने के लिए काफी मशक्कत करने के बाद भी जब कोई रास्ता नहीं निकला तो उन्होंने अपनी गृहस्थी के साथ रिक्शे पर ही घर वापस लौटने की ठानी. अनिल बताते हैं कि वह दिल्ली से छतरपुर के लिए बीते शुक्रवार को निकले थे. हालांकि इस बीच रास्ते में कुछ समाजसेवियों ने उनके खाने-पीने की व्यवस्था की.

बता दें कि अनिल और उनके सहयोगी दिल्ली से छतरपुर जाते वक्त जिला मुख्यालय में एक पेड़ की छांव के नीचे आराम करने के लिए रुके. यहां पर समाजसेवियों ने उन्हें भोजन कराया. इसके बाद तीन रिक्शों पर यह सभी अपनी मंजिल के लिए रवाना हो गए.

हमीरपुर: कोरोना वायरस से बचाव के लिए लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन से सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना गरीब तबके के लोगों को करना पड़ रहा है. रोज कमाकर अपना गुजर-बसर करने वाले इस तबके पर अब लॉकडाउन भारी पड़ने लगा है. यही वजह है कि इस तबके से जुड़े लोग जैसे भी हो बस अपने घरों को वापस लौटना चाहते हैं.

जिला मुख्यालय में भी मंगलवार को कुछ ऐसे ही लोग दिखाई दिए. जो देश की राजधानी दिल्ली में रिक्शा चलाकर अपने परिवार का गुजर-बसर करते थे, लेकिन जब लॉकडाउन से उनके सामने मुश्किलें बढ़ीं तो उन्होंने रिक्शे पर ही अपनी गृहस्थी के साथ घर वापस लौटना मुनासिब समझा.

जब जमा पूंजी भी खत्म हुई तो घर चल दिए
छतरपुर के रहने वाले अनिल बताते हैं कि वह और उनके गांव के कुछ लोग दिल्ली में रिक्शा चलाकर अपने परिवार का गुजर-बसर करते हैं. लॉकडाउन की वजह से उनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं बचा और जमा पूंजी भी खत्म हो गई. तब मजबूरी में उन्हें अपने घर के लिए लौटना पड़ा.

समाजसेवियों ने खिलाया खाना
उन्होंने बताया कि घर वापस लौटने के लिए काफी मशक्कत करने के बाद भी जब कोई रास्ता नहीं निकला तो उन्होंने अपनी गृहस्थी के साथ रिक्शे पर ही घर वापस लौटने की ठानी. अनिल बताते हैं कि वह दिल्ली से छतरपुर के लिए बीते शुक्रवार को निकले थे. हालांकि इस बीच रास्ते में कुछ समाजसेवियों ने उनके खाने-पीने की व्यवस्था की.

बता दें कि अनिल और उनके सहयोगी दिल्ली से छतरपुर जाते वक्त जिला मुख्यालय में एक पेड़ की छांव के नीचे आराम करने के लिए रुके. यहां पर समाजसेवियों ने उन्हें भोजन कराया. इसके बाद तीन रिक्शों पर यह सभी अपनी मंजिल के लिए रवाना हो गए.

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