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हमीरपुर: अब गर्मी के मौसम में तिल की फसल से खेत होंगे गुलजार! - hamirpur agricultural science center

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में किसानों के खेत अब गर्मी के मौसम में खाली नहीं पड़े रहेंगे. कृषि विज्ञान केंद्र कुरारा के वैज्ञानिकों ने गोहांड ब्लॉक के चिल्ली गांव में प्रयोग के तौर पर गुजरात तिल-2 व 5 बुवाई कराई थी, जिसके परिणाम बेहद अच्छे आए हैं.

तिल की फसल से खेत होंगे गुलजार
तिल की फसल से खेत होंगे गुलजार
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Published : Jul 23, 2020, 9:05 PM IST

हमीरपुर: दशकों से सिंचाई की समस्या झेल रहे बुंदेलखंड के जिले हमीरपुर के किसानों के खेत अब गर्मी के मौसम में खाली नहीं पड़े रहेंगे. कृषि विज्ञान केंद्र कुरारा के वैज्ञानिकों ने गोहांड ब्लॉक के चिल्ली गांव में एक किसान के खेत में प्रयोग के तौर पर गुजरात तिल-2 व 5 बुवाई कराई थी, जिसके परिणाम बेहद अच्छे आए हैं, जिससे कृषि वैज्ञानिक गदगद हैं.

साथ ही किसानों में भी उम्मीद जगी है कि ग्रीष्मकालीन ऋतु में अब उनके खेत खाली नहीं रहेंगे. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर शालिनी ने बताया कि गर्मी के मौसम में पैदा होने वाली गुजरात तिल की दो किस्मों की प्रयोग के तौर पर गोहांड ब्लॉक के चिल्ली गांव निवासी किसान रघुवीर सिंह के खेतों में बुवाई कराई गई थी, जिसके परिणाम बेहद अच्छे आए हैं.

उन्होंने बताया कि गुजरात तिल-2 व 5 की पैदावार में बेहद कम पानी खर्च होता है. साथ ही फसल भी 90 से 95 दिन में पककर तैयार हो जाती है. उन्होंने बताया कि किसान गुजरात तिल की फसल की बुवाई फरवरी के मध्य से मार्च के मध्य के बीच कर सकते हैं. इससे ग्रीष्मकालीन ऋतु में उनके खेत खाली नहीं रहेंगे.

उन्होंने बताया कि इस प्रजाति में 7 से 8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन रहने की संभावना है. प्रयोग के तौर पर रघुवीर सिंह के खेत में तैयार फसल आर्थिक संकट से जूझ रहे किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण है. डॉक्टर शालिनी ने बताया कि गुजरात तिल की फसल का उत्पादन कर जिले के किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं.

सिंचाई के पर्याप्त साधन न होने के कारण गर्मी के मौसम में किसानों के खेत खाली ही रहते हैं. ऐसे में कम पानी एवं कम लागत में अच्छी पैदावार देने वाले गुजरात तिल की यह प्रजातियां किसानों की दशा बदल सकती हैं.

हमीरपुर: दशकों से सिंचाई की समस्या झेल रहे बुंदेलखंड के जिले हमीरपुर के किसानों के खेत अब गर्मी के मौसम में खाली नहीं पड़े रहेंगे. कृषि विज्ञान केंद्र कुरारा के वैज्ञानिकों ने गोहांड ब्लॉक के चिल्ली गांव में एक किसान के खेत में प्रयोग के तौर पर गुजरात तिल-2 व 5 बुवाई कराई थी, जिसके परिणाम बेहद अच्छे आए हैं, जिससे कृषि वैज्ञानिक गदगद हैं.

साथ ही किसानों में भी उम्मीद जगी है कि ग्रीष्मकालीन ऋतु में अब उनके खेत खाली नहीं रहेंगे. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर शालिनी ने बताया कि गर्मी के मौसम में पैदा होने वाली गुजरात तिल की दो किस्मों की प्रयोग के तौर पर गोहांड ब्लॉक के चिल्ली गांव निवासी किसान रघुवीर सिंह के खेतों में बुवाई कराई गई थी, जिसके परिणाम बेहद अच्छे आए हैं.

उन्होंने बताया कि गुजरात तिल-2 व 5 की पैदावार में बेहद कम पानी खर्च होता है. साथ ही फसल भी 90 से 95 दिन में पककर तैयार हो जाती है. उन्होंने बताया कि किसान गुजरात तिल की फसल की बुवाई फरवरी के मध्य से मार्च के मध्य के बीच कर सकते हैं. इससे ग्रीष्मकालीन ऋतु में उनके खेत खाली नहीं रहेंगे.

उन्होंने बताया कि इस प्रजाति में 7 से 8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन रहने की संभावना है. प्रयोग के तौर पर रघुवीर सिंह के खेत में तैयार फसल आर्थिक संकट से जूझ रहे किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण है. डॉक्टर शालिनी ने बताया कि गुजरात तिल की फसल का उत्पादन कर जिले के किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं.

सिंचाई के पर्याप्त साधन न होने के कारण गर्मी के मौसम में किसानों के खेत खाली ही रहते हैं. ऐसे में कम पानी एवं कम लागत में अच्छी पैदावार देने वाले गुजरात तिल की यह प्रजातियां किसानों की दशा बदल सकती हैं.

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