हमीरपुरः जिला महिला अस्पताल की सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) नवजात शिशुओं के लिए वरदान साबित हो रही है. यहां जन्म के समय गंभीर स्थिति वाले नवजात को भर्ती कर नई जिंदगी दी जा रही है. हमीरपुर में बीते वर्ष इस वार्ड में 892 नवजात को नया जीवन मिला. वहीं वाराणसी में अबतक 2000 बच्चों की जान बचाई जा चुकी है. कई बच्चे तो यहां तब लाए गए, जब उनके परिवार के सदस्य भी उनके बचने की उम्मीद छोड़ चुके थे.
हमीरपुर के मुस्करा ब्लाक के महेरा गांव निवासी अनिरुद्ध की पत्नी वीरवती ने 16 नवंबर 2021 को पुत्र को जन्म दिया. अनिरुद्ध बताते हैं कि समय से पहले प्रसव होने की वजह से बच्चे का वजन महज 990 ग्राम था. बचने की उम्मीद छोड़ चुके थे. उसी दिन बच्चे को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया था. एसएनसीयू के डॉ. सुमित सचान ने बताया कि 40 दिनों तक लगातार बच्चा टीम की निगरानी में रहा. 24 दिसंबर को नवजात को पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया गया.
पड़ोसी जनपदों से भी आते हैं गंभीर नवजात
महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. फौजिया अंजुम नोमानी ने बताया कि एसएनसीयू वार्ड में मौजूदा समय में तीन डॉक्टरों डॉ. सुमित सचान, डॉ. केशव, डॉ. दीपक, स्टाफ नर्स सोनिका सोनी, शारदा, सीता, वंदना, अंजू, नेहा, शालिनी की टीम नवजात शिशुओं का उपचार और देखरेख में लगाई गई हैं. बीते वर्ष 892 बच्चों को वार्ड में भर्ती किया गया, जिसमें 390 ऐसे बच्चे थे, जिनका जन्म महिला अस्पताल में हुआ था. जबकि 502 बच्चे जनपद सहित पड़ोसी जनपद से रेफर होकर आए थे. इन बच्चों में ढाई किग्रा वजन तक के बच्चे 372, डेढ़ किग्रा से ढाई किग्रा तक के 401, एक किग्रा से डेढ़ किग्रा तक के 101 और एक किग्रा से कम वजन के कुल 23 बच्चों को भर्ती करके बचाया गया।
गर्भावस्था के समय असावधानी बनती है घातक
महिला अस्पताल की स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ डॉ.आशा सचान ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान जरा सी असावधानी बच्चे के लिए घातक सिद्ध होती है. सात माह के अंदर प्रसव के केस ज्यादातर ऐसी महिलाओं के साथ होते हैं, जिनका पोषण ठीक नहीं होता है. इसकी वजह से बच्चेदानी कमजोर हो जाती है. बच्चेदानी में इंफेक्शन भी इसका कारण हो सकता है. यह स्थिति जच्चा-बच्चा दोनों के लिए मुश्किल वाली होती है. इसलिए गर्भवती को अपने खानपान और रोजमर्रा के कामकाज के दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच कराते रहना चाहिए और ब्लड की कमी न हो, इसके लिए आयरन की गोलियां और डॉक्टर के परामर्श के अनुसार दवाएं लेनी चाहिए.
वाराणसी के एसएनसीयू में अब तक दो हजार से अधिक मासूमों की बचा चुकी है जान
वाराणसी की जिला महिला चिकित्सालय में स्थित सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट यानि की एसएनसीयू में हर रोज कोई न कोई माता-पिता अपने नवजात को लेकर आते हैं और यहां के चिकित्सक संकट में पड़े उनके बच्चे की जान बचाते हैं. एसएनसीयू की प्रभारी व बालरोग इकाई की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मृदुला मल्लिक बताती हैं कि तीन वर्ष में इस केंद्र पर 2347 नवजात भर्ती हो कर स्वस्थ हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में 773 बच्चे, वर्ष 2020 में 886 बच्चे और वर्ष 2021 में 688 बच्चे एसएनसीयू में भर्ती किए गए.
क्या है एसएनसीयू
सिक न्यूबर्न केयर यूनिट नवजात शिशुओं के इलाज के लिए आधुनिक व्यवस्था है.यह विशेष वार्ड एक माह तक के उन बच्चों के लिए बनाया गया है जो समय से पहले पैदा हुये हों अथवा कम वजन के हों, जिन बच्चों को सांस लेने में समस्या होती है. इसके अलावा एक माह तक के बच्चों को अन्य बीमारियां होने पर उनका निःशुल्क इलाज किया जाता है. यहां बच्चों के लिए चौबीस घंटे ऑक्सीजन की व्यवस्था उपलब्ध है. यही नहीं मौसम के अनुसार उनके लिए वातावरण ठंडा व गर्म रखने की भी व्यवस्था है. यहां रेडिएंट वार्मर , फोटो थैरेपी, एक्यूवेटर, एसी व हीटर भी लगे है. यहां प्री-मेच्योर बेबी, न्यूमोनिया, जांडिस, श्वांस संबंधित बीमारियां, कमजोर व कुपोषित बच्चे का उपचार होता है.