हमीरपुर: जनपद के आंगनबाड़ी केंद्रों के लाभार्थियों को चालू माह से पैकेटों में बंद अनाज मिलेगा. कुपोषण को दूर करने की इस मुहिम में राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों की मदद ली जाएगी. समूह राशन कोटों से सूखे राशन का उठान कर उन्हें पैकेटों में बंद कर आंगनबाड़ी केंद्रों को सप्लाई करेगा. देशी घी और सूखा दूध प्रति तीन माह में एक बार दिया जाएगा. पांच रंगों के पैकेटों में अलग-अलग आयुवर्ग के लाभार्थियों को राशन देने की तैयारी की जा रही है.
1500 आंगनबाड़ी केंद्रों में शासन स्तर से होगी सप्लाई
बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी सुरजीत सिंह ने बताया कि जनपद के 1500 आंगनबाड़ी केंद्रों में देशी घी और सूखे दूध की सप्लाई शासन स्तर से होगी. देशी घी और सूखा दूध प्रति तीन माह में एक बार और साल में चार बार दिया जाएगा. शेष गेहूं और चावल प्रतिमाह महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से राशन कोटों से उठाकर आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद पैकेट में उपलब्ध कराया जाएगा. दाल की खरीद समूहों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर होगी. उन्होंने बताया कि अभी एक माह का अनाज वितरित होना शेष है, जिसे इसी माह करा दिया जाएगा.
ऐसे बांटा जाएगा अनाज
छह माह से तीन वर्ष तक के बच्चों को एक किलो चावल, डेढ़ किलो गेहूं, तीन पाव दाल प्रतिमाह मिलेगा. जबकि 450 ग्राम देशी घी, 400 ग्राम सूखा दूध तीन माह में एक बार मिलेगा. इसी तरह 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को एक किलो चावल, डेढ़ किलो गेहूं, 400 ग्राम सूखा दूध दिया जाएगा. गर्भवती व धात्री महिलाओं तथा स्कूल न जाने वाली 11 से 14 वर्ष की किशोरियों को एक किलो चावल, दो किलो गेहूं, तीन पाव दाल मिलेगी. 450 ग्राम देशी घी, तीन पाव सूखा दूध पैकेटों में प्रति तीन माह में एक बार बांटा जाएगा. कुपोषित बच्चों को डेढ़ किलो चावल, ढाई किलो गेहूं, आधा किलो दाल के साथ ही प्रति तीन माह में 900 ग्राम देशी घी, तीन पाव सूखा दूध मिलेगा.
पांच रंगों में होगी पैकेटों की पैकिंग
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत महिला स्वयं सहायता समूह अनाज को अलग-अलग पांच रंगों में पैक करेगा. छह माह से तीन वर्ष के बच्चों को आसामानी रंग (हल्का नीला) के पैकेट मिलेंगे. तीन से छह वर्ष के बच्चों को हल्का हरा रंग, गंभीर कुपोषित बच्चों को लाल, गर्भवती/धात्री महिलाओं को पीला रंग और किशोरियों को गुलाबी रंग का पैकेट में अनाज मिलेगा. पैकेट में कॉल सेंटर का नंबर होगा, जिसमें लाभार्थी अपनी समस्या बता सकते हैं. गांव में प्रधान, ब्लॉक में बीडीओ और जिला स्तर पर जिलाधिकारी की निगरानी में कमेटी गठित होंगी, जो इस पूरे कार्य की निगरानी करेंगी.
लाभार्थियों पर नजर
छह माह से तीन वर्ष- 47055
तीन वर्ष से छह वर्ष- 41878
गर्भवती/धात्री महिलाएं- 19264
कुपोषित- 1134
स्कूल न जाने वाली किशोरी- 2025