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हमीरपुर: लावारिस बच्ची को मिल रहा 8 नर्सों का प्यार - आठ नर्सिंग स्टाफ बच्ची की करती हैं देखभाल

यूपी के हमीरपुर में एक लावारिस बच्ची को एसएनसीयू वार्ड की 8 नर्सिंग स्टाफ का प्यार मिल रहा है. बच्ची को चार माह पहले गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था. अब उसकी हालत बेहतर है. अब उसे बाल संरक्षण गृह भेजने की तैयारी की जा रही है.

 nurses of sncu ward taken care of orphan girl child
एसएनसीयू वार्ड की नर्सिंग स्टाफ ने बच्ची की देखभाल की
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Published : Jun 9, 2020, 2:57 PM IST

हमीरपुर: 2 फरवरी की शाम मौदहा कस्बे से कुछ दूर मुख्य मार्ग की झाड़ियों के किनारे एक लावारिस बच्ची को गंभीर हालत में पाया गया था. इसके बाद पुलिस ने बच्ची को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया था. बच्ची की जान तो बच गई, मगर कोई वारिस न होने की वजह से बच्ची की परवरिश को लेकर संकट खड़ा हो गया. बाल संरक्षण समिति की स्थानीय इकाई को सूचना दी गई, लेकिन जब तक औपचारिकता पूरी होती लॉकडाउन लागू हो गया. अब बच्ची चार माह की हो चुकी है. पूरी तरह से स्वस्थ इस बच्ची को आठ नर्सों का प्यार और दुलार मिल रहा है.

 nurses of sncu ward taken care of orphan girl child
एसएनसीयू वार्ड की नर्सिंग स्टाफ ने बच्ची की देखभाल की

आठ नर्सिंग स्टाफ बच्ची की करती हैं देखभाल
एसएनसीयू वार्ड की नर्सिंग स्टाफ की इंचार्ज सोनिका, शारदा सोनी, नेहा, शालिनी, भाग्यश्री, सीता, वंदना, अंजू सभी ने मिलकर इस बच्ची का नाम राधिका रखा है. जिस तरह से घर पर बच्चों की देखभाल की जाती है, ठीक उसी तरह पूरा स्टाफ राधिका की देखभाल करता है. राधिका के लिए वार्ड में एक झूले का भी इंतजाम किया गया है. सोनिका बताती हैं कि वार्ड के बेड से उसके गिरने का डर रहता है, इसीलिए झूला बनाया गया है. बच्ची से पूरे स्टाफ को बहुत लगाव है. उसे यहां और ज्यादा दिनों नहीं रखा जा सकता है. उससे बिछड़ने की बात सोचकर सभी नर्सें दुखी हैं.

हाइपोथर्मिया की शिकार थी बच्ची
डॉ.सुमित सचान ने बताया कि बच्ची को जब वार्ड में भर्ती कराया गया था, तब वह हाइपोथर्मिया की शिकार थी. उसके बचने की संभावनाएं कम थीं. वार्ड में इसका उपचार शुरू किया गया. दूसरे दिन उसे पीलिया की शिकायत हो गई. स्थिति गंभीर होने लगी थी, लेकिन पूरी टीम ने बच्ची को बचाने में दिन-रात एक कर दिया. धीरे-धीरे बच्ची स्वस्थ होने लगी.

वार्ड में भर्ती बच्चों की वजह से राधिका को भी संक्रमण होने का डर रहता है. इसलिए उसे अस्पताल के एनआरसी में भर्ती करने का सुझाव दिया गया है. क्योंकि वहां उसे अच्छी डायट मिलेगी. वार्ड में सिर्फ ऊपरी दूध ही दिया जा रहा है. अब बच्ची बड़ी हो रही है, इसलिए उसकी खुराक बढ़ेगी. पूरी डायट नहीं मिली तो बच्ची कुपोषण का शिकार हो सकती है. अब इस बच्ची को बाल संरक्षण गृह भेजने की तैयारी की जा रही है.

हमीरपुर: 2 फरवरी की शाम मौदहा कस्बे से कुछ दूर मुख्य मार्ग की झाड़ियों के किनारे एक लावारिस बच्ची को गंभीर हालत में पाया गया था. इसके बाद पुलिस ने बच्ची को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया था. बच्ची की जान तो बच गई, मगर कोई वारिस न होने की वजह से बच्ची की परवरिश को लेकर संकट खड़ा हो गया. बाल संरक्षण समिति की स्थानीय इकाई को सूचना दी गई, लेकिन जब तक औपचारिकता पूरी होती लॉकडाउन लागू हो गया. अब बच्ची चार माह की हो चुकी है. पूरी तरह से स्वस्थ इस बच्ची को आठ नर्सों का प्यार और दुलार मिल रहा है.

 nurses of sncu ward taken care of orphan girl child
एसएनसीयू वार्ड की नर्सिंग स्टाफ ने बच्ची की देखभाल की

आठ नर्सिंग स्टाफ बच्ची की करती हैं देखभाल
एसएनसीयू वार्ड की नर्सिंग स्टाफ की इंचार्ज सोनिका, शारदा सोनी, नेहा, शालिनी, भाग्यश्री, सीता, वंदना, अंजू सभी ने मिलकर इस बच्ची का नाम राधिका रखा है. जिस तरह से घर पर बच्चों की देखभाल की जाती है, ठीक उसी तरह पूरा स्टाफ राधिका की देखभाल करता है. राधिका के लिए वार्ड में एक झूले का भी इंतजाम किया गया है. सोनिका बताती हैं कि वार्ड के बेड से उसके गिरने का डर रहता है, इसीलिए झूला बनाया गया है. बच्ची से पूरे स्टाफ को बहुत लगाव है. उसे यहां और ज्यादा दिनों नहीं रखा जा सकता है. उससे बिछड़ने की बात सोचकर सभी नर्सें दुखी हैं.

हाइपोथर्मिया की शिकार थी बच्ची
डॉ.सुमित सचान ने बताया कि बच्ची को जब वार्ड में भर्ती कराया गया था, तब वह हाइपोथर्मिया की शिकार थी. उसके बचने की संभावनाएं कम थीं. वार्ड में इसका उपचार शुरू किया गया. दूसरे दिन उसे पीलिया की शिकायत हो गई. स्थिति गंभीर होने लगी थी, लेकिन पूरी टीम ने बच्ची को बचाने में दिन-रात एक कर दिया. धीरे-धीरे बच्ची स्वस्थ होने लगी.

वार्ड में भर्ती बच्चों की वजह से राधिका को भी संक्रमण होने का डर रहता है. इसलिए उसे अस्पताल के एनआरसी में भर्ती करने का सुझाव दिया गया है. क्योंकि वहां उसे अच्छी डायट मिलेगी. वार्ड में सिर्फ ऊपरी दूध ही दिया जा रहा है. अब बच्ची बड़ी हो रही है, इसलिए उसकी खुराक बढ़ेगी. पूरी डायट नहीं मिली तो बच्ची कुपोषण का शिकार हो सकती है. अब इस बच्ची को बाल संरक्षण गृह भेजने की तैयारी की जा रही है.

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