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हमीरपुर: परिवार पालने के लिए बेटी ने छोड़ी पढ़ाई, नहीं मिल रहा सरकारी सुविधाओं का लाभ

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में परिवार के भरण पोषण के लिए एक बेटी ने अपनी पढ़ाई तक छोड़ दी. मानसिक रूप से विक्षिप्त पिता और दो बहनों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी ने एक बेटी के सपनों को चकनाचूर कर दिया है. हैरानी की बात यह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद अब तक इस परिवार को किसी भी तरह की सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिल पाया है.

हमीरपुर
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Published : Sep 2, 2019, 3:21 PM IST

हमीरपुर: 'सबका साथ, सबका विकास' के नारे को बुलंद करने वाली केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ अभी तक जमीनी स्तर तक पर नहीं पहुंच पाया है. अब भी तमाम ऐसे लोग हैं जो सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं. ऐसा ही एक मामला जिले के मौदहा ब्लॉक के रतवा गांव से सामने आया है. यहां एक बेटी को अपना परिवार पालने की मजबूरी के चलते पढ़ाई छोड़नी पड़ी. वहीं तमाम प्रयासों के बाद भी सुमित्रा के परिवार को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

परिवार को नहीं मिल रहा सरकारी सुविधाओं का लाभ.

क्या है पूरा मामला
मौदहा ब्लॉक के रतवा गांव के रहने वाले भवानी दीन प्रजापति जन्म से मानसिक विक्षिप्त हैं. कुछ ऐसा ही हाल उनकी दो और बेटियों का भी है. ऐसे में परिवार के भरण-पोषण की सारी जिम्मेदारी बड़ी बेटी सुमित्रा और उनकी पत्नी फूला के ऊपर है. सुमित्रा का कहना है कि उनके पिता भवानी दीन जन्म से मानसिक विक्षिप्त हैं. उन्हें जंजीरों से बांधकर घर में रखना पड़ता है. ऐसा ही हाल उनकी बहन कंचन और पूनम का भी है. सुमित्रा बताती है कि बचपन में उनकी मां मजदूरी कर उनका भरण-पोषण करती थीं, लेकिन मां के बिगड़ते स्वास्थ्य के चलते अब परिवार की जिम्मेदारी उस पर आ गई है.

सुमित्रा ने बताया कि वह अपने परिवार का पेट पालने के लिए मजदूरी करती है. अपने परिवार का पेट पालने की वजह से ही उन्हें अपनी पढ़ाई तक छोड़नी पड़ी. सुमित्रा कहती है कि उन्हें आज तक किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिला है. सरकारी सुविधाओं का लाभ पाने के लिए उन्होंने ग्राम प्रधान से लेकर एसडीएम तक से गुहार लगाई, लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई. पिछले साल राशन कार्ड की सूची से उनका नाम तक काट दिया गया, जिसके बाद उनकी मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ गईं.

मीडिया के माध्यम से मामला संज्ञान में आया है. संबंधित तहसील के एसडीएम से जांच कराकर परिवार को जरूरी सरकारी योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराया जाएगा.
-विनय प्रकाश श्रीवास्तव, अपर जिलाधिकारी

हमीरपुर: 'सबका साथ, सबका विकास' के नारे को बुलंद करने वाली केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ अभी तक जमीनी स्तर तक पर नहीं पहुंच पाया है. अब भी तमाम ऐसे लोग हैं जो सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं. ऐसा ही एक मामला जिले के मौदहा ब्लॉक के रतवा गांव से सामने आया है. यहां एक बेटी को अपना परिवार पालने की मजबूरी के चलते पढ़ाई छोड़नी पड़ी. वहीं तमाम प्रयासों के बाद भी सुमित्रा के परिवार को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

परिवार को नहीं मिल रहा सरकारी सुविधाओं का लाभ.

क्या है पूरा मामला
मौदहा ब्लॉक के रतवा गांव के रहने वाले भवानी दीन प्रजापति जन्म से मानसिक विक्षिप्त हैं. कुछ ऐसा ही हाल उनकी दो और बेटियों का भी है. ऐसे में परिवार के भरण-पोषण की सारी जिम्मेदारी बड़ी बेटी सुमित्रा और उनकी पत्नी फूला के ऊपर है. सुमित्रा का कहना है कि उनके पिता भवानी दीन जन्म से मानसिक विक्षिप्त हैं. उन्हें जंजीरों से बांधकर घर में रखना पड़ता है. ऐसा ही हाल उनकी बहन कंचन और पूनम का भी है. सुमित्रा बताती है कि बचपन में उनकी मां मजदूरी कर उनका भरण-पोषण करती थीं, लेकिन मां के बिगड़ते स्वास्थ्य के चलते अब परिवार की जिम्मेदारी उस पर आ गई है.

सुमित्रा ने बताया कि वह अपने परिवार का पेट पालने के लिए मजदूरी करती है. अपने परिवार का पेट पालने की वजह से ही उन्हें अपनी पढ़ाई तक छोड़नी पड़ी. सुमित्रा कहती है कि उन्हें आज तक किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिला है. सरकारी सुविधाओं का लाभ पाने के लिए उन्होंने ग्राम प्रधान से लेकर एसडीएम तक से गुहार लगाई, लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई. पिछले साल राशन कार्ड की सूची से उनका नाम तक काट दिया गया, जिसके बाद उनकी मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ गईं.

मीडिया के माध्यम से मामला संज्ञान में आया है. संबंधित तहसील के एसडीएम से जांच कराकर परिवार को जरूरी सरकारी योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराया जाएगा.
-विनय प्रकाश श्रीवास्तव, अपर जिलाधिकारी

Intro:परिवार का पेट पालने के लिए बेटी ने छोड़ी पढ़ाई, नहीं मिला सरकारी सुविधाओं का लाभ

हमीरपुर। "सबका साथ, सबका विकास" के नारे को बुलंद करने वाली भाजपा की केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ अभी तक जमीनी स्तर तक पर पूरी तरह नहीं पहुंच पाया है। अब भी तमाम ऐसे लोग हैं जो सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं। ऐसा ही एक मामला जिले के मौदहा ब्लाक के रतवा गांव में सामने आया है। यहां एक बेटी को अपना परिवार पालने की मजबूरी के चलते अपनी पढ़ाई छोड़ पड़ी। मानसिक विक्षिप्त पिता व दो बहनों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी ने इस बेटी के सपनों को चकनाचूर कर दिया है। हैरानी की बात यह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद आज तक इस परिवार को किसी भी तरह की सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिला जिस कारण इस परिवार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।


Body:मौदहा ब्लाक के रतवा गांव निवासी भवानी दिन प्रजापति जन्म से मानसिक विक्षिप्त हैं। कुछ ऐसा ही हाल उनकी दो और बेटियों का भी है। ऐसे में परिवार के भरण-पोषण कि सारी जिम्मेदारी बड़ी बेटी सुमित्रा व पत्नी फूला के ऊपर है। सुमित्रा बताती हैं कि उनके पिता भवानी दीन जन्म से मानसिक विक्षिप्त हैं। उन्हें जंजीरों से बांधकर घर में रखना पड़ता है। ऐसा ही हाल उनकी बहन कंचन और पूनम का भी है। सुमित्रा बताती है कि बचपन में उनकी मां मजदूरी कर उनका भरण-पोषण करती थी लेकिन मां के बिगड़ते स्वास्थ्य के चलते अब परिवार की जिम्मेदारी उस पर आ गई है। सुमित्रा बताती हैं कि वह अपने परिवार का पेट पालने के लिए मजदूरी करती है। अपने परिवार का पेट पालने की वजह से ही उन्हें अपनी पढ़ाई तक छोड़नी पड़ी। वे कहती हैं कि उन्हें आज तक किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिला है। सरकारी सुविधाओं का लाभ पाने के लिए उन्होंने ग्राम प्रधान व एसडीएम तक से गुहार लगाई लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। पिछले साल राशन कार्ड की सूची से उनका नाम तक काट दिया गया जिसके बाद उनके सामने और ज्यादा मुश्किलें खड़ी हो गई।


Conclusion:वहीं इस मसले पर अपर जिला अधिकारी विनय प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है। संबंधित तहसील के एसडीएम से जांच कराकर परिवार को जरूरी सरकारी योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराया जाएगा।

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नोट : पहली बाइट सुमित्रा देवी की है व दूसरी बाइट अपर जिलाधिकारी विनय प्रकाश श्रीवास्तव की।
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