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हमीरपुर: गोशालाएं बन रहीं 'मृत' शाला, जिला प्रशासन बना है अंजान - गोशाला

यूपी के हमीरपुर में गोशालाएं 'मृत' शाला बन रही हैं. यहां सैकड़ों की संख्या में गोवंश खाने-पीने और छत के अभाव में भूख-प्यास और सर्दी से मर रही हैं.

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अव्यवस्थाओं के अभाव में दम तोड़ रहे गोवंश.
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Published : Dec 14, 2019, 7:18 PM IST

हमीरपुर: किसानों के लिए मुसीबत का सबब बनी गोवंशों के लिए सीएम आदित्यनाथ योगी के आदेश पर गोशालाएं तो बनवा दी गई हैं, लेकिन इन गोशालाओं में मूलभूत सुविधाएं नहीं होने से गोवंश मर रहे हैं. गोशालाओं में सैकड़ों की संख्या में गोवंश हैं. इनके खानपान और समुचित ठहराव की व्यवस्था नहीं है. इसके अभाव में ये मर रहे हैं.

अव्यवस्थाओं के अभाव में दम तोड़ रहे गोवंश.

इस मामले में गांव झलोखर निवासी रामकिशन कहना है कि गांव में तारबंदी करके आस्थाई गोशाला बनवाई गई है. लेकिन गायों को सर्दी और बारिश से बचाने के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं. इसके अलावा को भूसे की जगह पुआल और सड़ी हुई फसल खिलाई जाती है.

यह भी पढ़ें: रेन गन सिंचाई से किसानों की बढ़ेगी लागत, जानें खूबियां

गांव सूरजपुर निवासी सुरेश ने बताया कि उनके गांव में बनाई गई आस्थाई गोशालाओं में तीन सौ से अधिक गोवंश बंद हैं. उनके खाने-पीने और सर्दी से बचाव के लिए कोई इंतजाम नहीं है. दो-चार दिन में एक बार गोवंशों को खिलाने के लिए एक ट्रैक्टर पुआल आ जाती है. गोशाला में बंद गायों के लिए ये मात्रा बहुत कम है. इसके साथ ही गोशाला में गोवंश को सर्दी से बचाने के लिए इंतजाम न होने के कारण हर दिन गोवंशों की मौत हो रही है. शनिवार को ठंड के चलते छह गोवंशों की मौत हो गई.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले में लगभग एक लाख 42 हजार पालतू गोवंश हैं. जबकि अन्ना गोवंश की संख्या लगभग 40 हजार है. इन्हें 318 ग्राम पंचायतों की गोशालाओं में निंयत्रित करने का दावा जिला प्रशासन करता है.

जिला प्रशासन के आदेश पर ग्राम पंचायतों में आस्थाई गोशालाएं बनवा दी गई हैं, लेकिन अन्ना गोवंशों के रखरखाव के लिए जो राशि उपलब्ध कराई जाती है. वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.
अशोक आनंद, अध्यक्ष, प्रधान संघ

हमीरपुर: किसानों के लिए मुसीबत का सबब बनी गोवंशों के लिए सीएम आदित्यनाथ योगी के आदेश पर गोशालाएं तो बनवा दी गई हैं, लेकिन इन गोशालाओं में मूलभूत सुविधाएं नहीं होने से गोवंश मर रहे हैं. गोशालाओं में सैकड़ों की संख्या में गोवंश हैं. इनके खानपान और समुचित ठहराव की व्यवस्था नहीं है. इसके अभाव में ये मर रहे हैं.

अव्यवस्थाओं के अभाव में दम तोड़ रहे गोवंश.

इस मामले में गांव झलोखर निवासी रामकिशन कहना है कि गांव में तारबंदी करके आस्थाई गोशाला बनवाई गई है. लेकिन गायों को सर्दी और बारिश से बचाने के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं. इसके अलावा को भूसे की जगह पुआल और सड़ी हुई फसल खिलाई जाती है.

यह भी पढ़ें: रेन गन सिंचाई से किसानों की बढ़ेगी लागत, जानें खूबियां

गांव सूरजपुर निवासी सुरेश ने बताया कि उनके गांव में बनाई गई आस्थाई गोशालाओं में तीन सौ से अधिक गोवंश बंद हैं. उनके खाने-पीने और सर्दी से बचाव के लिए कोई इंतजाम नहीं है. दो-चार दिन में एक बार गोवंशों को खिलाने के लिए एक ट्रैक्टर पुआल आ जाती है. गोशाला में बंद गायों के लिए ये मात्रा बहुत कम है. इसके साथ ही गोशाला में गोवंश को सर्दी से बचाने के लिए इंतजाम न होने के कारण हर दिन गोवंशों की मौत हो रही है. शनिवार को ठंड के चलते छह गोवंशों की मौत हो गई.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले में लगभग एक लाख 42 हजार पालतू गोवंश हैं. जबकि अन्ना गोवंश की संख्या लगभग 40 हजार है. इन्हें 318 ग्राम पंचायतों की गोशालाओं में निंयत्रित करने का दावा जिला प्रशासन करता है.

जिला प्रशासन के आदेश पर ग्राम पंचायतों में आस्थाई गोशालाएं बनवा दी गई हैं, लेकिन अन्ना गोवंशों के रखरखाव के लिए जो राशि उपलब्ध कराई जाती है. वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.
अशोक आनंद, अध्यक्ष, प्रधान संघ

Intro:गौशाला में बंद अन्ना गाय दुर्दशा की शिकार, लगातार हो रही मौतों पर प्रशासन साधे चुप्पी

हमीरपुर। किसानों के लिए मुसीबत का सबब बन चुकी अन्ना गायों को अस्थाई गौशालाओं में नियंत्रित करने के लिए सीएम योगी के दिए आदेश पर अमल करते हुए जिला प्रशासन ने गौशालाएं तो बनवा दी हैं। लेकिन इन गौशालाओं में अव्यवस्था का बोलबाला है। कहीं गौशालाएं खाली पड़ी हैं तो कहीं सैकड़ों की संख्या में अन्ना गाय गौशालाओं में बंद जरूर हैं लेकिन उनके खाने-पीने और सर्दी से बचाव के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। जिस कारण ये अन्ना गाय भूख एवं सर्दी से लगातार मर रही हैं। इतना ही नहीं गौशालाओं में दम तोडऩे वाली गाय के शवों को भी सम्मानजनक तरीके से दफनाया तक नहीं जाता है। कहीं-कहीं तो गाय क े शवों को टैक्टर में पीछे बांध कर कई किलोमीटर तक इतनी बर्बरता के साथ घसीटा जाता हैं कि वह तस्वीरें हम दिखा भी नहीं सकते। गौशालाओं में फैली अव्यवस्था और लगातार हो रही गायों की मौत पर जब जिले के जिम्मेदार अधिकारियों से सवाल किया जाता है तो वे कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से कतराते हैं। 


Body:झलोखर गांव निवासी रामकिशन बताते हैं उनके गांव में तारबंदी करके आस्थाई गौशाला बनवा दी गई है लेकिन गायों को सर्दी एवं बारिश से बचाने के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं। वे बताते हैं कि गौशाला में बंद गायों को भूसे की जगह पुआल एवं सड़ी हुई फसल खिलाई जाती है जिसे अन्ना गोवंश बेमन खाते हैं। वहीं सूरजपुर निवासी सुरेश कहते हैं कि उनके गांव में बनाई गई आस्थाई गौशाला में तीन सौ से अधिक अन्ना गाय बंद जरूर हैं, लेकिन उनके खाने-पीने एवं सर्दी से बचाव के लिए जिला प्रशासन द्वारा कोई इंतजाम नहीं किया गया है। वे बताते हैं कि दो-चार दिन में एक बार गायों को खिलाने के लिए एक ट्रैक्टर पुआल आ जाती हैं जो गौशाला में बंद गायों के लिए बहुत कम हैं। सुरेश बताते हैं कि गौशाला में अन्ना गायों को सर्दी से बचाने के लिए इंतजाम होने के कारण हर दिन गायों की मौतें होती रहती हैं। शनिवार को ठंड के चलते छह गयों की मौत हुई है। वहीं प्रधान संघ के अध्यक्ष अशोक आनंद कहते हैं कि जिला प्रशासन के आदेश पर अमत करते हुए ग्राम पंचायतों में आस्थाई गौशालाएं बनवा दी गई हैं लेकिन अन्ना गायों के रखरखाव के लिए जो राशि उपलब्ध कराई जाती है वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।


Conclusion:बताते चलें कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले लगभग एक लाख 42 हजार पालतू गौवंश हैं जबकि अन्ना गौवंश की संख्या लगभग 40 हजार है जिन्हें 318 ग्राम पंचायतों में बनी गौशालाओं में निंयत्रित करने का दावा जिला प्रशासन करता है लेकिन तस्वीरें साफ बयां कर रही हैं कि कुछ गौशालाएं खाली हैं और जहां गौशालाओं में अन्ना गाय बंद भी हैं उनकी स्थिति ठीक नहीं है। 

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नोट : पहली बाइट ग्रामीण रामकिशन की है। दूसरी बाइट ग्रामीण सुरेश की एवं तीसरी बाइट प्रधान संघ के अध्यक्ष अशोक आनंद की है।


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