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योगी सरकार ने बदला गोरखपुर के विंध्यवासनी पार्क का नाम, लोगों ने जताया विरोध - गोरखपुर विंध्यवासिनी पार्क

योगी सरकार ने इलाहाबाद, फैजाबाद के बाद अब गोरखपुर स्थित विंध्यवासिनी पार्क का नाम भी बदल दिया है. सरकार ने पार्क का नाम बदलकर हनुमान प्रसाद पोद्यार राजकीय उद्यान रख दिया है. वहीं सरकार के इस फैसले से शहर के लोग नाखुश हैं.

पार्क का नाम बदलने से लोगों ने जताया विरोध
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Published : Nov 23, 2019, 9:22 PM IST

गोरखपुर: योगी सरकार ने शहर के बहुचर्चित और बहुउपयोगी पार्क का नाम जब से बदला है पूरे शहर में कोहराम सा मच गया है. पार्क में टहलने वाले से लेकर राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र के लोगों ने सरकार के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है. वहीं नगर निगम बोर्ड के पूर्व उप सभापति ने सरकार के फैसले को पूरी तरह तानाशाही करार दिया है.

योगी सरकार ने शहर के बीचोबीच स्थित विंध्यवासिनी पार्क का नाम अचानक से बदलकर हनुमान प्रसाद पोद्दार कर दिया है, जिसको लेकर सत्ता और विपक्ष के नेताओं में नाराजगी व्याप्त है. बताया जा रहा है कि एक स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी के नाम की उपेक्षा करने से जल्द ही शहर के लोग सड़कों पर आंदोलन भी कर सकते हैं.

पार्क का नाम बदलने से लोगों ने जताया विरोध.
आजादी के समय से है यह पार्क
1952 में स्थापित यह पार्क राजकीय उद्यान के नाम से स्थापित हुआ था, लेकिन इसे ख्याति विंध्यवासिनी पार्क के नाम से ज्यादा मिली. लगभग 50 एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल में फैला यह पार्क शहरवासियों के सुबह-शाम टहलने का प्रमुख केंद्र है. यह पार्क जिस विंध्यवासिनी बाबू के नाम से विख्यात है वह आजादी की लड़ाई के योद्धा थे.

ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए यह महान योद्धा अपनी वकालत छोड़कर जंग-ए-आजादी में कूद पड़ा था. आजादी के बाद विंध्यवासिनी बाबू नगर पालिका के चेयरमैन भी बने और शहर की कई प्रसिद्ध इमारतों का निर्माण भी कराया. यही वजह है कि जब उनका नाम योगी सरकार ने इस पार्क से हटाया तो लोग तिलमिला गए.

इसे भी पढ़ें:- BHU मामले पर प्रोफेसर असहाब अली का बयान, 'शिक्षक का आंकलन जाति-धर्म पर करना गलत'

नाम बदलने पर होगा प्रदर्शन
नगर निगम के पूर्व उप सभापति और वरिष्ठ सपा नेता जियाउल इस्लाम ने कहा कि नगर निगम क्षेत्र के किसी भी पार्क या सड़क का नामकरण करना या बदलना यह नगर निगम का बोर्ड तय करता है और फिर सरकार उस पर मुहर लगाती है, लेकिन योगी सरकार ने नाम बदलने की कार्रवाई को जबरन अंजाम दिया है, जिसके खिलाफ प्रदर्शन होगा. अगर सरकार को हनुमान प्रसाद पोद्दार के नाम पर पार्क बनाना हैं तो शहर में तमाम सरकारी जमीन खाली हैं.

प्रियंका गांधी के ट्वीट ने मामले को बढ़ाया
इस पार्क की देखभाल उद्यान विभाग के हवाले हैं. जिले के उद्यान अधिकारी बलजीत सिंह ने कहा है कि योगी सरकार के फैसले से अब इस पार्क का नाम हनुमान प्रसाद पोद्दार किया जा चुका है. विंध्यवासिनी बाबू की ख्याति काफी अच्छी रही है.

यही वजह है कि एक विशेष वर्ग के साथ समाज के अन्य लोग भी सरकार के इस फैसले को सही नहीं ठहरा रहे हैं. यह विषय योगी सरकार के खिलाफ गोरखपुर में एक बड़े आंदोलन का रूप अख्तियार कर रहा है, जिसकी तैयारी चल रही है. कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इस मामले को ट्वीट कर हवा दे दिया है, जिसे कांग्रेसी आंदोलन के माध्यम से आगे बढ़ाएंगे.

इसे भी पढ़ें:- गोरखपुर: शहीद बाबा के आस्ताने से अगरबत्ती लेने पर मुसाफिरों का सफर होता है सुहाना

गोरखपुर: योगी सरकार ने शहर के बहुचर्चित और बहुउपयोगी पार्क का नाम जब से बदला है पूरे शहर में कोहराम सा मच गया है. पार्क में टहलने वाले से लेकर राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र के लोगों ने सरकार के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है. वहीं नगर निगम बोर्ड के पूर्व उप सभापति ने सरकार के फैसले को पूरी तरह तानाशाही करार दिया है.

योगी सरकार ने शहर के बीचोबीच स्थित विंध्यवासिनी पार्क का नाम अचानक से बदलकर हनुमान प्रसाद पोद्दार कर दिया है, जिसको लेकर सत्ता और विपक्ष के नेताओं में नाराजगी व्याप्त है. बताया जा रहा है कि एक स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी के नाम की उपेक्षा करने से जल्द ही शहर के लोग सड़कों पर आंदोलन भी कर सकते हैं.

पार्क का नाम बदलने से लोगों ने जताया विरोध.
आजादी के समय से है यह पार्क
1952 में स्थापित यह पार्क राजकीय उद्यान के नाम से स्थापित हुआ था, लेकिन इसे ख्याति विंध्यवासिनी पार्क के नाम से ज्यादा मिली. लगभग 50 एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल में फैला यह पार्क शहरवासियों के सुबह-शाम टहलने का प्रमुख केंद्र है. यह पार्क जिस विंध्यवासिनी बाबू के नाम से विख्यात है वह आजादी की लड़ाई के योद्धा थे.

ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए यह महान योद्धा अपनी वकालत छोड़कर जंग-ए-आजादी में कूद पड़ा था. आजादी के बाद विंध्यवासिनी बाबू नगर पालिका के चेयरमैन भी बने और शहर की कई प्रसिद्ध इमारतों का निर्माण भी कराया. यही वजह है कि जब उनका नाम योगी सरकार ने इस पार्क से हटाया तो लोग तिलमिला गए.

इसे भी पढ़ें:- BHU मामले पर प्रोफेसर असहाब अली का बयान, 'शिक्षक का आंकलन जाति-धर्म पर करना गलत'

नाम बदलने पर होगा प्रदर्शन
नगर निगम के पूर्व उप सभापति और वरिष्ठ सपा नेता जियाउल इस्लाम ने कहा कि नगर निगम क्षेत्र के किसी भी पार्क या सड़क का नामकरण करना या बदलना यह नगर निगम का बोर्ड तय करता है और फिर सरकार उस पर मुहर लगाती है, लेकिन योगी सरकार ने नाम बदलने की कार्रवाई को जबरन अंजाम दिया है, जिसके खिलाफ प्रदर्शन होगा. अगर सरकार को हनुमान प्रसाद पोद्दार के नाम पर पार्क बनाना हैं तो शहर में तमाम सरकारी जमीन खाली हैं.

प्रियंका गांधी के ट्वीट ने मामले को बढ़ाया
इस पार्क की देखभाल उद्यान विभाग के हवाले हैं. जिले के उद्यान अधिकारी बलजीत सिंह ने कहा है कि योगी सरकार के फैसले से अब इस पार्क का नाम हनुमान प्रसाद पोद्दार किया जा चुका है. विंध्यवासिनी बाबू की ख्याति काफी अच्छी रही है.

यही वजह है कि एक विशेष वर्ग के साथ समाज के अन्य लोग भी सरकार के इस फैसले को सही नहीं ठहरा रहे हैं. यह विषय योगी सरकार के खिलाफ गोरखपुर में एक बड़े आंदोलन का रूप अख्तियार कर रहा है, जिसकी तैयारी चल रही है. कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इस मामले को ट्वीट कर हवा दे दिया है, जिसे कांग्रेसी आंदोलन के माध्यम से आगे बढ़ाएंगे.

इसे भी पढ़ें:- गोरखपुर: शहीद बाबा के आस्ताने से अगरबत्ती लेने पर मुसाफिरों का सफर होता है सुहाना

Intro:यह खबर श्रवण सर के विशेष निर्देश पर भेजी जा रही है..स्पेशल है....

गोरखपुर। प्रदेश की योगी सरकार ने गोरखपुर के बहुचर्चित और बहुउपयोगी पार्क का नाम क्या बदला पूरे शहर में कोहराम मच गया है। पार्क में टहलने वाले से लेकर राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र के लोगों ने सरकार के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। तो वहीं नगर निगम बोर्ड के पूर्व उपसभापति ने सरकार के फैसले को पूरी तरह तानाशाही करार दिया है। दरसअल शहर के बीचोबीच स्थित विंध्यवासिनी पार्क का नाम अचानक से बदलकर योगी सरकार ने हनुमान प्रसाद पोद्दार कर दिया है। जिसको लेकर सत्ता और विपक्ष के नेताओं में नाराजगी व्याप्त है। एक स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी के नाम की उपेक्षा से शहर के लोग बहुत जल्द इसे लेकर सड़कों पर आंदोलन भी करने वाले हैं।

नोट--कम्प्लीट पैकेज, वॉइस ओवर अटैच है।


Body:1952 में स्थापित यह पार्क राजकीय उद्यान के नाम से स्थापित हुआ था। लेकिन इसे ख्याति विंध्यवासिनी पार्क के नाम से ज्यादा मिली। 50 एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल में फैला यह पार्क शहरवासियों के सुबह -शाम टहलने का प्रमुख केंद्र है। यह पार्क जिस विंध्यवासिनी बाबू के नाम से विख्यात है वह आजादी की लड़ाई के योद्धा थे। ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए उन्होंने अपने हजारों रुपए की उस समय की वकालत को छोड़कर जंगे आजादी में कूद पड़े थे। आज जो पार्क है वह आजादी के दिनों में गांधी जी की उसमे सभा हुई थी।आजादी के बाद विंध्यवासिनी बाबू नगर पालिका के चेयरमैन भी बने और शहर की कई प्रसिद्ध इमारतों का उन्होंने निर्माण कराया। यही वजह है कि जब उनका नाम योगी सरकार ने इस पार्क से हटाया तो लोग तिलमिला गए। नगर निगम के पूर्व उपसभापति और वरिष्ठ सपा नेता जियाउल इस्लाम ने कहा कि नगर निगम क्षेत्र के किसी भी पार्क या सड़क का नामकरण करना उसे बदलना यह नगर निगम का बोर्ड तय करता है और फिर सरकार उसपर मुहर लगाती है। लेकिन योगी सरकार ने नाम बदलने की कार्यवाही को जबरन अंजाम दिया है। जिसके खिलाफ प्रदर्शन होगा। उन्होंने कहा कि अगर सरकार को हनुमान प्रसाद पोद्दार के नाम पर पार्क बनाना हैं तो शहर में तमाम सरकारी जमीन खाली हैं।

बाइट--जियाउल इस्लाम, पूर्व सभापति, नगर निगम


Conclusion:वहीं इस पार्क की देखभाल उद्यान विभाग के हवाले हैं। जिले के उद्यान अधिकारी बलजीत सिंह ने ईटीवी भारत से खासतौर से कहा है कि उनकी तैनाती से लेकर पूर्व के कोई भी रिकॉर्ड विंध्यवासिनी बाबू के नाम पर इस पार्क के होने का सबूत नहीं देते। और योगी सरकार के फैसले से अब इसका नाम हनुमान प्रसाद पोद्दार किया जा चुका है। विंध्यवासिनी बाबू की ख्याति काफी अच्छी रही है यही वजह है कि एक विशेष वर्ग के साथ समाज के अन्य लोग भी सरकार के इस फैसले को सही नहीं ठहरा रहे हैं। यह विषय योगी सरकार के खिलाफ गोरखपुर में एक बड़े आंदोलन का रूप अख्तियार कर रहा है। जिसकी तैयारी चल रही है। कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इस मामले को ट्वीट कर हवा दे दिया है जिसे कांग्रेसी आंदोलन के माध्यम से आगे बढ़ाएंगे।

बाइट--बलजीत सिंह, जिला उद्यान अधिकारी, गोरखपुर

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मुकेश पाण्डेय
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