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जलजमाव की समस्या से जूझ रहे नगरवासी, नगर विधायक ने कहा-विधानसभा में उठाऊंगा सवाल

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Published : Oct 4, 2020, 4:25 AM IST

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में शांतिपुरम, काशीपुरम सहित कई मुहल्लों में जलजमाव की समस्या बनी रहती है. वहीं जलभराव की समस्या से लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. इस मामले पर नगर विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल ने मामले को विधानसभा में उठाने की बात कही.

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जलजमाव की समस्या से स्थानीय परेशान.

गोरखपुर: चिराग तले अंधेरा यह कहावत शांति पुरम कॉलोनी में रहने वाले लोगों के लिए बिल्कुल सटीक बैठती है. हजारों परिवार अपने जीवन भर की जमा पूंजी को लगाकर अपने लिये आशियाने को तैयार करते हैं, लेकिन सरकारी उदासीनता और जनप्रतिनिधियों की हीला हवाली ने लगभग ढाई सौ से तीन सौ घरों के परिवारजनों को घरों में कैद रहने पर मजबूर कर दिया है.

साल के लगभग 4 से 6 महीने तक यहां पर हर जगह जलजमाव की समस्या बनी रहती है. वहीं आए दिन जहरीले कीड़े लोगों के घरों से निकलते हैं. इन सबके बीच रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग अपने घरों से नहीं निकल पाते हैं. जो निकलते हैं, वह भी जान जोखिम में डालकर निकलते हैं.

वार्ड नंबर 13 में जलजमाव की समस्या
मुख्यालय से बमुश्किल 4 से 5 किलोमीटर दूर स्थित बिछिया इलाके के नगर निगम के सबसे बड़े वार्ड नंबर 13 में शांतिपुरम, काशीपुरम सहित कई मुहल्लों में साल के 4 से 6 महीने जलजमाव की समस्या रहती है. जलभराव की समस्या से लगभग हजारों की संख्या में लोग बुरी तरह प्रभावित होते हैं. जलजमाव के कारण लोग अपने घरों में कैद रहते हैं, घरों से बाहर नहीं निकल पाते. वहीं इस वार्ड में टूटी-फूटी सड़कें इस समस्या को और भी भयावह बना देती है. शाम होते ही बुजुर्ग व बच्चे घरों के दरवाजों से नहीं निकल पाते. जहरीले सांप, कीड़े-मकोड़े घरों के बाहर घूमते हुए दिखाई देते हैं. ऐसे में विभिन्न क्षेत्रों से आकर यहां पर बसे लोग पिछले लगभग 15 वर्षों से इस समस्या से ग्रसित हैं.

पंपिंग सेट लगाकर कराई जाती है जल निकासी
वहीं स्थानीय लोगों का मानना है कि इस क्षेत्र से एक बड़ा नाला है, जिसके कारण जलजमाव की समस्या बनी रहती है. जिसकी शिकायत स्थानीय लोगों ने जनप्रतिनिधि, मुख्यमंत्री कार्यालय और संबंधित विभाग के अधिकारियों को दी. लेकिन कोरे आश्वासन के कारण समस्या वर्षों से जस की तस बनी हुई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारी केवल आश्वासन देते हैं. शहर में सीवरेज पाइप लाइन का इंतजाम न होने की वजह जलजमाव की समस्या बनी रहती है. शहर में कई जगहों पर पंपिंग सेट लगाकर जल निकासी कराई जाती है.

नहीं हो रही कार्रवाई
गांव छोड़कर शहर में आकर बसने का सपना लिए बिजनेसमैन अमित कुमार दुबे ने बताया कि इससे बेहतर तो हमारा गांव ही है. हम शहर की सुख सुविधा के लिए टैक्स देते हैं लेकिन स्थिति गांव से भी बदतर है. इस समस्या को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर प्रधानमंत्री के पोर्टल पर भी शिकायत की गई, लेकिन किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हुई.

पुलिस विभाग में एसआई के पद से रिटायर हुए अच्युतानंद मिश्रा ने बताया कि लगभग 20 वर्ष पहले उन्होंने अपने रिटायरमेंट के पैसे से यहां पर जमीन खरीद कर एक छोटा सा आशियाना बनाया. लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता की वजह से वह सपने पूरी तरीके से चकनाचूर हो गए. न हम घरों से बाहर निकलकर टहल सकते हैं और न ही इस अवस्था में कहीं जा सकते हैं. साल के लगभग 4 से 6 माह तक घरों के बाहर पानी लगा रहता है.

स्थानीय निवासी राहुल पाण्डेय ने बताया कि कई कालोनियों का निर्माण उनके सामने हुआ है. तब से अभी तक यहां पर जलजमाव की समस्या लगातार बनी हुई है. सड़कें खस्ताहाल हैं, कॉलोनी के लोग कई बार जनप्रतिनिधियों से संपर्क किए. यहां तक कि स्थानीय विधायक डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल ने क्षेत्र का निरीक्षण भी किया, लेकिन सिवाय आश्वासन के अभी तक लोगों को कुछ नहीं मिला. अब हम लोगों ने यह सोचा है कि हम लोग अपने मकानों को बेचकर कहीं और शिफ्ट हो जाएंगे.

महीनों से घर पर कैद निर्मला देवी बताते हैं कि शुगर की पेशेंट है और डॉक्टर ने उन्हें टहलने के लिए कहा है लेकिन घर के बाहर पांव रखे हुए महीनों बीत जाते हैं. जहरीले कीड़े-मकोड़ों के डर की वजह से हम लोग निकल नहीं पाते हैं. हम लोग वर्षों से यह समस्या झेल रहे हैं. पेशे से वकील मीरा शुक्ला ने बताया कि साल के लगभग 3 से 4 माह तक कचहरी नहीं जा पाती हैं. जल-जमाव और टूटी हुई सड़क की वजह से घर से बाहर नहीं निकलती. घरों में कैद रहकर यहां के लोग अपने जीवन का गुजर-बसर कर रहे हैं.

विधानसभा में उठाउंगा सवाल
इस मामले पर नगर विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल का कहना है कि शहर के ऐसे बहुत से इलाके, जो नीचे धरातल और गहराई में हैं, वहीं जल भराव की समस्या उत्पन्न हो रही है. हम लोगों के लिए जितना संभव है, हम प्रयास कर रहे हैं. नागरिकों की समस्याओं और नगर विकास के लिए जो संस्था बनाई गई है, वह नगर निगम है. नागरिक अपना महापौर और पार्षद चुनता है. नगर निगम का दायित्व होता है कि वह शहर के सड़कों को बनाए, नाली बनाए, शहर के विकास की योजना बनाए. विधायक के नाते मैं एक प्रेरक की भूमिका निभाता हूं. हम लोगों की निधि केवल दो करोड़ पर होती है, जहां संभव होता है, वहां हम खर्च कर देते हैं. मैं खुद उस क्षेत्र में गया हूं और मोटरसाइकिल पर बैठकर लगभग 6 किलोमीटर तक भ्रमण किया है. काशीपुरम का उद्घाटन भी मैंने ही किया है. हजारों परिवार जलजमाव की समस्या से ग्रसित है. मैं इस मुद्दे को विधानसभा में उठाऊंगा.

गोरखपुर: चिराग तले अंधेरा यह कहावत शांति पुरम कॉलोनी में रहने वाले लोगों के लिए बिल्कुल सटीक बैठती है. हजारों परिवार अपने जीवन भर की जमा पूंजी को लगाकर अपने लिये आशियाने को तैयार करते हैं, लेकिन सरकारी उदासीनता और जनप्रतिनिधियों की हीला हवाली ने लगभग ढाई सौ से तीन सौ घरों के परिवारजनों को घरों में कैद रहने पर मजबूर कर दिया है.

साल के लगभग 4 से 6 महीने तक यहां पर हर जगह जलजमाव की समस्या बनी रहती है. वहीं आए दिन जहरीले कीड़े लोगों के घरों से निकलते हैं. इन सबके बीच रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग अपने घरों से नहीं निकल पाते हैं. जो निकलते हैं, वह भी जान जोखिम में डालकर निकलते हैं.

वार्ड नंबर 13 में जलजमाव की समस्या
मुख्यालय से बमुश्किल 4 से 5 किलोमीटर दूर स्थित बिछिया इलाके के नगर निगम के सबसे बड़े वार्ड नंबर 13 में शांतिपुरम, काशीपुरम सहित कई मुहल्लों में साल के 4 से 6 महीने जलजमाव की समस्या रहती है. जलभराव की समस्या से लगभग हजारों की संख्या में लोग बुरी तरह प्रभावित होते हैं. जलजमाव के कारण लोग अपने घरों में कैद रहते हैं, घरों से बाहर नहीं निकल पाते. वहीं इस वार्ड में टूटी-फूटी सड़कें इस समस्या को और भी भयावह बना देती है. शाम होते ही बुजुर्ग व बच्चे घरों के दरवाजों से नहीं निकल पाते. जहरीले सांप, कीड़े-मकोड़े घरों के बाहर घूमते हुए दिखाई देते हैं. ऐसे में विभिन्न क्षेत्रों से आकर यहां पर बसे लोग पिछले लगभग 15 वर्षों से इस समस्या से ग्रसित हैं.

पंपिंग सेट लगाकर कराई जाती है जल निकासी
वहीं स्थानीय लोगों का मानना है कि इस क्षेत्र से एक बड़ा नाला है, जिसके कारण जलजमाव की समस्या बनी रहती है. जिसकी शिकायत स्थानीय लोगों ने जनप्रतिनिधि, मुख्यमंत्री कार्यालय और संबंधित विभाग के अधिकारियों को दी. लेकिन कोरे आश्वासन के कारण समस्या वर्षों से जस की तस बनी हुई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारी केवल आश्वासन देते हैं. शहर में सीवरेज पाइप लाइन का इंतजाम न होने की वजह जलजमाव की समस्या बनी रहती है. शहर में कई जगहों पर पंपिंग सेट लगाकर जल निकासी कराई जाती है.

नहीं हो रही कार्रवाई
गांव छोड़कर शहर में आकर बसने का सपना लिए बिजनेसमैन अमित कुमार दुबे ने बताया कि इससे बेहतर तो हमारा गांव ही है. हम शहर की सुख सुविधा के लिए टैक्स देते हैं लेकिन स्थिति गांव से भी बदतर है. इस समस्या को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर प्रधानमंत्री के पोर्टल पर भी शिकायत की गई, लेकिन किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हुई.

पुलिस विभाग में एसआई के पद से रिटायर हुए अच्युतानंद मिश्रा ने बताया कि लगभग 20 वर्ष पहले उन्होंने अपने रिटायरमेंट के पैसे से यहां पर जमीन खरीद कर एक छोटा सा आशियाना बनाया. लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता की वजह से वह सपने पूरी तरीके से चकनाचूर हो गए. न हम घरों से बाहर निकलकर टहल सकते हैं और न ही इस अवस्था में कहीं जा सकते हैं. साल के लगभग 4 से 6 माह तक घरों के बाहर पानी लगा रहता है.

स्थानीय निवासी राहुल पाण्डेय ने बताया कि कई कालोनियों का निर्माण उनके सामने हुआ है. तब से अभी तक यहां पर जलजमाव की समस्या लगातार बनी हुई है. सड़कें खस्ताहाल हैं, कॉलोनी के लोग कई बार जनप्रतिनिधियों से संपर्क किए. यहां तक कि स्थानीय विधायक डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल ने क्षेत्र का निरीक्षण भी किया, लेकिन सिवाय आश्वासन के अभी तक लोगों को कुछ नहीं मिला. अब हम लोगों ने यह सोचा है कि हम लोग अपने मकानों को बेचकर कहीं और शिफ्ट हो जाएंगे.

महीनों से घर पर कैद निर्मला देवी बताते हैं कि शुगर की पेशेंट है और डॉक्टर ने उन्हें टहलने के लिए कहा है लेकिन घर के बाहर पांव रखे हुए महीनों बीत जाते हैं. जहरीले कीड़े-मकोड़ों के डर की वजह से हम लोग निकल नहीं पाते हैं. हम लोग वर्षों से यह समस्या झेल रहे हैं. पेशे से वकील मीरा शुक्ला ने बताया कि साल के लगभग 3 से 4 माह तक कचहरी नहीं जा पाती हैं. जल-जमाव और टूटी हुई सड़क की वजह से घर से बाहर नहीं निकलती. घरों में कैद रहकर यहां के लोग अपने जीवन का गुजर-बसर कर रहे हैं.

विधानसभा में उठाउंगा सवाल
इस मामले पर नगर विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल का कहना है कि शहर के ऐसे बहुत से इलाके, जो नीचे धरातल और गहराई में हैं, वहीं जल भराव की समस्या उत्पन्न हो रही है. हम लोगों के लिए जितना संभव है, हम प्रयास कर रहे हैं. नागरिकों की समस्याओं और नगर विकास के लिए जो संस्था बनाई गई है, वह नगर निगम है. नागरिक अपना महापौर और पार्षद चुनता है. नगर निगम का दायित्व होता है कि वह शहर के सड़कों को बनाए, नाली बनाए, शहर के विकास की योजना बनाए. विधायक के नाते मैं एक प्रेरक की भूमिका निभाता हूं. हम लोगों की निधि केवल दो करोड़ पर होती है, जहां संभव होता है, वहां हम खर्च कर देते हैं. मैं खुद उस क्षेत्र में गया हूं और मोटरसाइकिल पर बैठकर लगभग 6 किलोमीटर तक भ्रमण किया है. काशीपुरम का उद्घाटन भी मैंने ही किया है. हजारों परिवार जलजमाव की समस्या से ग्रसित है. मैं इस मुद्दे को विधानसभा में उठाऊंगा.

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