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गोरखपुरः जिला चिकित्सालय हुआ पानी-पानी, लोगों में संक्रमण का खतरा

यूपी के गोरखपुर में सोमवार को हुई बारिश के बाद पूरा जिला चिकत्सालय जलमग्न हो गया है. अस्पताल परिसर में बारिश का पानी भरा हुआ है. मरीज बारिश के पानी के बीच से आने-जाने को मजबूर हैं. ऐसें में संक्रमण का खतरा पैदा हो गया है.

गोरखपुर जिला चिकित्सालय
गोरखपुर जिला चिकित्सालय.
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Published : Jul 7, 2020, 12:09 PM IST

Updated : Jul 7, 2020, 2:56 PM IST

गोरखपुरः मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिला चिकित्सालय पानी-पानी हो गया है. लगभग सभी विभागों में पानी भरा हुआ है. मानसून की दस्तक के बाद हुई भारी बारिश ने जिला चिकित्सालय के दावों की पोल खोल कर रख दी है. जिनके कंधों पर संक्रमण को रोकने की जिम्मेदारी है, वहीं की हालत ठीक नहीं है. संक्रमण के बीच मरीज और तीमारदार इलाज कराने के लिए यहां आने को मजबूर हैं. ऐसे में इस वैश्विक महामारी के बीच संक्रमण को रोकने के साथ दिमागी बुखार पर काबू पाना मुश्किल हो सकता है.

चिकित्सालय में भरा पानी.

जनपद में तेजी से कोविड-19 पांव पसार रहा है. मानसून की दस्तक के बाद दिमागी बुखार के संक्रमण का खतरा और भी बढ़ जाता है. तेजी से मरीजों की संख्या में इजाफा होता है. वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद संक्रमण को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और बैठक कर टास्क फोर्स आदि का गठन करने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में जिला चिकित्सालय खुद संक्रमण के बीच मरीजों और उनके तीमारदारों को कैसे बचा पायेगा, जब खुद गंदे पानी से परिसर भरा हुआ है. संक्रमण के खतरे के बीच लोग मजबूरी में गंदे पानी में से आने-जाने को बेवश हैं.

जिला चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉ. एसके श्रीवास्तव ने बताया कि जिला चिकित्सालय परिसर मुख्य सड़क से लगभग दो-तीन फीट नीचे है. ऐसे में जब भी बारिश होती है तो परिसर में पानी लग जाता है, जिसके लिए यहां पर नगर निगम द्वारा पंपिंग सेट मशीन भी लगाया गया है. बारिश बंद होने के बाद मशीन को शुरू कर दिया जाता है और कुछ ही देर में परिसर पानी से मुक्त हो जाता है, लेकिन संक्रमण के बीच मरीजों का आना-जाना लगा रहता है. ऐसे में ब्लीचिंग पाउडर और अन्य दवाइयों का समय-समय पर छिड़काव परिसर में किया जाता है, ताकि संक्रमण पर काबू पाया जा सके.

गोरखपुरः मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिला चिकित्सालय पानी-पानी हो गया है. लगभग सभी विभागों में पानी भरा हुआ है. मानसून की दस्तक के बाद हुई भारी बारिश ने जिला चिकित्सालय के दावों की पोल खोल कर रख दी है. जिनके कंधों पर संक्रमण को रोकने की जिम्मेदारी है, वहीं की हालत ठीक नहीं है. संक्रमण के बीच मरीज और तीमारदार इलाज कराने के लिए यहां आने को मजबूर हैं. ऐसे में इस वैश्विक महामारी के बीच संक्रमण को रोकने के साथ दिमागी बुखार पर काबू पाना मुश्किल हो सकता है.

चिकित्सालय में भरा पानी.

जनपद में तेजी से कोविड-19 पांव पसार रहा है. मानसून की दस्तक के बाद दिमागी बुखार के संक्रमण का खतरा और भी बढ़ जाता है. तेजी से मरीजों की संख्या में इजाफा होता है. वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद संक्रमण को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और बैठक कर टास्क फोर्स आदि का गठन करने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में जिला चिकित्सालय खुद संक्रमण के बीच मरीजों और उनके तीमारदारों को कैसे बचा पायेगा, जब खुद गंदे पानी से परिसर भरा हुआ है. संक्रमण के खतरे के बीच लोग मजबूरी में गंदे पानी में से आने-जाने को बेवश हैं.

जिला चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉ. एसके श्रीवास्तव ने बताया कि जिला चिकित्सालय परिसर मुख्य सड़क से लगभग दो-तीन फीट नीचे है. ऐसे में जब भी बारिश होती है तो परिसर में पानी लग जाता है, जिसके लिए यहां पर नगर निगम द्वारा पंपिंग सेट मशीन भी लगाया गया है. बारिश बंद होने के बाद मशीन को शुरू कर दिया जाता है और कुछ ही देर में परिसर पानी से मुक्त हो जाता है, लेकिन संक्रमण के बीच मरीजों का आना-जाना लगा रहता है. ऐसे में ब्लीचिंग पाउडर और अन्य दवाइयों का समय-समय पर छिड़काव परिसर में किया जाता है, ताकि संक्रमण पर काबू पाया जा सके.

Last Updated : Jul 7, 2020, 2:56 PM IST
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