गोरखपुर: शासन के निर्देश पर एनएडीसीपी कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद में लगभग 4 लाख से ज्यादा मवेशियों के लिए जिलाधिकारी ने हरी झंडी दिखाकर खुरपका-मुंहपका टीकाकरण का शुभारंभ किया है. यह टीकाकरण जनपद में सबसे पहले बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में किया जाएगा, जहां पर संक्रमण से मवेशियों को सबसे ज्यादा खतरा रहता है. टीकाकरण के बाद किसानों के मवेशी सुरक्षित रहने के साथ ही असमय मौत के गाल में जाने से बच सकेंगे. इस दौरान मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. डीके शर्मा, चीफ वेटनरी फार्मासिस्ट गजेंद्र कुमार मिश्रा, वेटरनरी फार्मासिस्ट विनय कुमार सिंह, दुर्गेश सिंह सहित अन्य कर्मचारी मौजूद रहे.
जनपद में लगभग चार लाख से अधिक गोवंशीय व महिषवंशीय हैं. इनमें से 4.41 लाख मवेशियों को 15 मार्च तक टीके लगने थे, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से यह टीकाकरण 5 माह देरी से शुरू किया गया है. जिलाधिकारी की ओर से हरी झंडी दिखाने के बाद टीकाकरण अभियान के लिए लगाया गया वाहन कलेक्टर परिसर से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रवाना हुआ. इन वाहनों के माध्यम से बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में सबसे पहले मवेशियों को टीकाकरण किया जाएगा.
जिलाधिकारी के विजयेंद्र पांडियन ने बताया कि एनएडीसीपी कार्यक्रम के अंतर्गत खुरपका-मुंहपका टीकाकरण अभियान को कलेक्ट्रेट परिसर से हरी झंडी दिखाकर वाहनों को रवाना किया गया है. जनपद के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के चार लाख से ज्यादा मवेशियों को निशुल्क टीकाकरण का कार्य पशु विभाग द्वारा किया जाएगा. टीकाकरण के लिए वैक्सीन समस्त विकास खंड मुख्यालय पर उपलब्ध करा दी गई है.
उन्होंने बताया कि विकास खंड स्तरीय उप मुख्य पशु चिकित्सालय से पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सा अधिकारी एवं कर्मचारी टीम बनाकर विभागीय बहुद्देशीय पशु चिकित्सा वाहन से गांवों में जाकर पशुपालक के घर पर ही गाय एवं भैसों का टीकाकरण करेंगे. इसके साथ ही उन पशुओं की टैगिंग कर उनकी सूचना इन ऑफ पोर्टल पर अंकित करेंगे. इस टीकाकरण में 8 माह से कम के समस्त गर्वित पशु एवं चार माह की उम्र के ऊपर समस्त पशुओं का टीकाकरण किया जाना है.
वहीं मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. डीके शर्मा ने बताया कि शासन के निर्देश पर एनएडीसीपी कार्यक्रम के अंतर्गत शासन द्वारा प्राप्त निर्देश के अनुसार, जनपद के लगभग चार लाख से ज्यादा पशुओं में निशुल्क को टीकाकरण का कार्य किया जाना है. इस टीकाकरण के माध्यम से मवेशियों को समय रहते खुरपका-मुंहपका जैसी गंभीर व जानलेवा बीमारी से बचाया जा सकता है.