गोरखपुर: देश में अभी 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया गया. कई शिक्षकों को बेहतरीन कार्य के लिए सम्मानित भी किया गया. वहीं, गोरखपुर के 163 मदरसों में तैनात करीब 489 शिक्षकों को पिछले 6 वर्ष से केंद्र सरकार से मिलने वाला वेतन नहीं प्राप्त हुआ है. केंद्र सरकार अपने हिस्से का बजट पिछले 6 वर्ष से नहीं दी है. राज्य सरकार भी दो वर्षों में अपने हिस्से का वेतन नहीं दे रही है. जिसकी वजह से इन शिक्षकों के सामने जीवन जीने की कठिनाई उत्पन्न हो गई है. शिक्षकों ने कई बार धरना-प्रदर्शन और आंदोलन भी किया. बावजूद इसके अभी तक इन शिक्षकों की बात किसी ने नहीं सुनी. ये शिक्षक मदरसा आधुनिकीकरण के तहत मदरसे में अंग्रेजी, हिंदी, गणित, विज्ञान, कंप्यूटर पढ़ाते हैं.
7 से 8 लाख रुपये वेतन शिक्षकों का बकाया: प्रत्येक शिक्षक का लगभग 7 से 8 लाख रुपये केंद्र सरकार पर इस मद में बकाया हो चला है. यह शिक्षक अपने हिस्से के वेतन की आस में परिवार के भरण पोषण के लिए दुकानदारों के कर्जदार हो गए हैं. इन्हें अपना परिवार चलना मुश्किल हो रहा है. कुछ तो रोजगार छोड़कर प्राइवेट ट्यूशन कर रहे हैं. अधिकतर शिक्षक इस उम्मीद में हैं कि उन्होंने जितना समय मदरसे में पढ़ाने के लिए दिया है, उसके लिए उनका जो वेतन बनता है, वह सरकार एक दिन भुगतान जरूर करेगी. लेकिन, अब इतना लंबा समय बीत जाने से इन्हें निराशा और ना उम्मीदी दिखाई देने लगी है.
केंद्र सरकार की ओर से नहीं मिल रहा मानदेयः शिक्षिका गौसिया सुम्बुल ने कहा कि सरकार कई बार मदरसों का सर्वे और जांच करवा चुकी है, फिर भी केंद्र सरकार की ओर से मानदेय नहीं मिल रहा है. राज्य सरकार से मिलने वाले अंशदान से घर नहीं चल सकता. 2014 के बाद से कई गुना महंगाई बढ़ने के बावजूद राज्यांश में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है. दारूल उलूम हुसैनिया इमामबाड़ा दीवान बाजार के शिक्षक मोहम्मद आजम ने कहा कि मदरसे को आधुनिक बनाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने 2017 में कहा कि एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में कंप्यूटर का ज्ञान, मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों के जीवन में बड़ा बदलाव लाएगा. इसके लिए ही मदरसा आधुनिकी करण अभियान के तहत उनके जैसे सैकड़ों शिक्षकों की नियुक्ति हुई. प्रत्येक मदरसे में तीन-तीन शिक्षक तैनात किए गए. इन शिक्षकों को केंद्र सरकार प्रतिमाह 12 हजार और राज्य सरकार 3 हजार वेतन या मानदेय देना सुनिश्चित किया गया था. राज्य सरकार तो कुछ महीनों के अंतराल पर अपना राज्यांश इन्हें दे रही है. लेकिन, अप्रैल 2017 से इन मदरसों में तैनात शिक्षकों को केंद्र सरकार से 12 हजार प्रतिमाह नहीं मिल रहा है. शिक्षक नावेद आलम ने कहा कि मानदेय को लेकर कई बार आंदोलन भी हो चुका है. केंद्र सरकार मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार किया है.
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मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को 6 साल से नहीं मिला वेतन: जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कमलेश कुमार मौर्य ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि 'यह सच्चाई है कि मदरसा आधुनिककरण शिक्षकों को करीब छह वर्ष से केंद्र सरकार द्वारा मिलने वाली धनराशि नहीं मिल रही है. यह क्यों नहीं मिल रही इसकी जानकारी वह भी देने में सक्षम नहीं है. यह केंद्र और राज्य सरकार में ऊपर के पदों पर बैठे हुए अधिकारी ही बता सकते हैं. राज्य सरकार अपने अंश की धनराशि दे रही है. जो पोस्ट ग्रेजुएट और बीएड शिक्षक हैं, उन्हें केंद्र सरकार 12 हजार और राज्य सरकार 3 हजार प्रतिमाह दे रही है. जो सिर्फ ग्रेजुएट हैं, उन्हें केंद्र सरकार 8 हजार और राज्य सरकार 2 हजार प्रतिमाह दे रही है. लेकिन, यह समस्या शिक्षकों के सामने खड़ी है कि उन्हें केंद्र से मिलने वाली धनराशि आखिर मिल क्यों नहीं रही हैं. वह शासन और निदेशालय स्तर पर इस संबंध में पत्राचार ही कर रहे हैं. लेकिन, उन्हें भी कारण से अवगत नहीं कराया गया है. शिक्षकों को इसकी जवाबदेही को लेकर उनके सामने भी बड़ी समस्या बनी हुई है.
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