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कोरोना महामारी में प्रवासी मजदूरों के लिए वरदान साबित हो रही ट्रेनें

ट्रेनें एक बार फिर कोरोना की महामारी में देश के दूसरे राज्यों में फंसे यात्रियों के लिए बड़ा सहारा बन रही हैं. इस महामारी में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, गुजरात जैसे तमाम बड़े शहरों में जो मजदूर लॉकडाउन की वजह से फंसे हैं, वो ट्रेनों के माध्यम से अपने घरों को लौट रहे हैं.

चलो गांव की ओर
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Published : May 18, 2021, 8:20 AM IST

गोरखपुरः ट्रेन यात्रियों को दोहरा लाभ पहुंचा रही हैं. एक तरफ वो सुरक्षित अपनी यात्रा पूरी कर रहे हैं. दूसरी तरफ लॉकडाउन के परेशानी से मुक्त होकर वो अपने घर परिवार में पहुंच रहें हैं. जहां पर वो अपनों के शादी- विवाह के कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं. ईटीवी भारत की पड़ताल के दौरान जो यात्री गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर मिले, उन्होंने साफ कहा कि ट्रेन में यात्रा करने से उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई. कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए ट्रेन में यात्रा हुई है. ट्रेन में वही यात्री सवार थे, जिनके पास कंफर्म टिकट था. इसलिए ट्रेन में भीड़ भी नहीं थी.

प्रवासी मजदूरों के लिए वरदान साबित हो रही ट्रेनें
महानगरों से घर लौट रहे मजदूर

बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई से लौटने वाले लोग वहां लगने वाले लॉकडाउन से काफी प्रभावित थे. यूपी में वो इस भरोसे घर की तरफ चल दिए कि यहां पर लॉकडाउन की स्थिति नहीं है. हालांकि अब यहां पर भी लॉक डाउन धीरे-धीरे शुरू हो गया है. लेकिन उन्हें घर तक पहुंचाने में जो साधन सबसे बड़ी सहारा बनी है, वो ट्रेन है. कोरोना की महामारी में रेलवे वास्तव में मजदूरों के लिए बेहद मददगार साबित हुआ है. पिछले साल कोरोना संक्रमण काल में 24 मार्च 2020 से लॉक डाउन शुरू हुआ और ट्रेनों के पहिए जहां थे वहीं रुक गए. करीब 39 दिन बाद विशेष ट्रेनों को चलाकर देश के विभिन्न प्रांतों में फंसे हुए यात्रियों को उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई. इस काम में पूर्वोत्तर रेलवे देश के किसी भी रेलवे से काफी आगे निकला और उसने 9 लाख 38 हजार प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाकर उनके चेहरे पर खुशियां लौटाई. सामानों की आपूर्ति में भी माल गाड़ियों का पूर्वोत्तर रेलवे ने जमकर उपयोग किया. ट्रेनों से यात्रा करके अपने घर पहुंचने वाले यात्री भी बेहद खुश नजर आए. हालांकि इस बार मजदूरों के लिए कोई विशेष ट्रेन कोरोना काल में नहीं चलाई गई है. लेकिन जो चल रही है उसमें कोरोना से बचाव की व्यवस्था सुचारू ढंग से की गई है. जिससे यात्री यात्रा कर प्रसन्न दिखे.

घर लौटते प्रवासी मजदूर
घर लौटते प्रवासी मजदूर

इसे भी पढ़ें- हाईकोर्ट ने कहा, गांव की चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे

महिला RPF भी निभा रही है ड्यूटी

दूसरे शहरों में रोजी-रोटी छिन जाने और लॉक डाउन की वजह से अपना व्यापार बंद हो जाने की वजह से ये मजदूर अपने घरों को लौटे हैं. साल 2020 में 911 श्रमिक ट्रेनों को चलाकर पूर्वोत्तर रेलवे 9 लाख 38 हजार मजदूरों को गोरखपुर पहुंचाया था. इसमें सिर्फ गोरखपुर का आंकड़ा 3 लाख एक हजार मजदूरों का था. इस बार विशेष ट्रेनें तो नहीं चलाई जा रही हैं. लेकिन जिन ट्रेनों का पहले से ही संचालन है, उनके फेरों को बढ़ाकर, ग्रीष्मकालीन ट्रेनों का अप्रैल से संचालन शुरू कर मजदूरों को लाने का कार्यक्रम जारी है. पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह के मुताबिक कोरोना काल में सुरक्षा पर रेलवे विशेष ध्यान दे रहा है. 550 महिला प्रशिक्षु रेलवे RPF की सिपाही भी ट्रेनों की सुरक्षा में ड्यूटी कर रही हैं. रेलवे अपने कर्मचारियों का भी इस दौरान विशेष ध्यान रख रहा है. पिछले साल यांत्रिक कारखाना में मास्क, सैनिटाइजर, फेस शील्ड और पीपीई किट भी तैयार किए गए थे. जिसपर इस साल विचार चल रहा है.

गोरखपुरः ट्रेन यात्रियों को दोहरा लाभ पहुंचा रही हैं. एक तरफ वो सुरक्षित अपनी यात्रा पूरी कर रहे हैं. दूसरी तरफ लॉकडाउन के परेशानी से मुक्त होकर वो अपने घर परिवार में पहुंच रहें हैं. जहां पर वो अपनों के शादी- विवाह के कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं. ईटीवी भारत की पड़ताल के दौरान जो यात्री गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर मिले, उन्होंने साफ कहा कि ट्रेन में यात्रा करने से उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई. कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए ट्रेन में यात्रा हुई है. ट्रेन में वही यात्री सवार थे, जिनके पास कंफर्म टिकट था. इसलिए ट्रेन में भीड़ भी नहीं थी.

प्रवासी मजदूरों के लिए वरदान साबित हो रही ट्रेनें
महानगरों से घर लौट रहे मजदूर

बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई से लौटने वाले लोग वहां लगने वाले लॉकडाउन से काफी प्रभावित थे. यूपी में वो इस भरोसे घर की तरफ चल दिए कि यहां पर लॉकडाउन की स्थिति नहीं है. हालांकि अब यहां पर भी लॉक डाउन धीरे-धीरे शुरू हो गया है. लेकिन उन्हें घर तक पहुंचाने में जो साधन सबसे बड़ी सहारा बनी है, वो ट्रेन है. कोरोना की महामारी में रेलवे वास्तव में मजदूरों के लिए बेहद मददगार साबित हुआ है. पिछले साल कोरोना संक्रमण काल में 24 मार्च 2020 से लॉक डाउन शुरू हुआ और ट्रेनों के पहिए जहां थे वहीं रुक गए. करीब 39 दिन बाद विशेष ट्रेनों को चलाकर देश के विभिन्न प्रांतों में फंसे हुए यात्रियों को उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई. इस काम में पूर्वोत्तर रेलवे देश के किसी भी रेलवे से काफी आगे निकला और उसने 9 लाख 38 हजार प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाकर उनके चेहरे पर खुशियां लौटाई. सामानों की आपूर्ति में भी माल गाड़ियों का पूर्वोत्तर रेलवे ने जमकर उपयोग किया. ट्रेनों से यात्रा करके अपने घर पहुंचने वाले यात्री भी बेहद खुश नजर आए. हालांकि इस बार मजदूरों के लिए कोई विशेष ट्रेन कोरोना काल में नहीं चलाई गई है. लेकिन जो चल रही है उसमें कोरोना से बचाव की व्यवस्था सुचारू ढंग से की गई है. जिससे यात्री यात्रा कर प्रसन्न दिखे.

घर लौटते प्रवासी मजदूर
घर लौटते प्रवासी मजदूर

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महिला RPF भी निभा रही है ड्यूटी

दूसरे शहरों में रोजी-रोटी छिन जाने और लॉक डाउन की वजह से अपना व्यापार बंद हो जाने की वजह से ये मजदूर अपने घरों को लौटे हैं. साल 2020 में 911 श्रमिक ट्रेनों को चलाकर पूर्वोत्तर रेलवे 9 लाख 38 हजार मजदूरों को गोरखपुर पहुंचाया था. इसमें सिर्फ गोरखपुर का आंकड़ा 3 लाख एक हजार मजदूरों का था. इस बार विशेष ट्रेनें तो नहीं चलाई जा रही हैं. लेकिन जिन ट्रेनों का पहले से ही संचालन है, उनके फेरों को बढ़ाकर, ग्रीष्मकालीन ट्रेनों का अप्रैल से संचालन शुरू कर मजदूरों को लाने का कार्यक्रम जारी है. पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह के मुताबिक कोरोना काल में सुरक्षा पर रेलवे विशेष ध्यान दे रहा है. 550 महिला प्रशिक्षु रेलवे RPF की सिपाही भी ट्रेनों की सुरक्षा में ड्यूटी कर रही हैं. रेलवे अपने कर्मचारियों का भी इस दौरान विशेष ध्यान रख रहा है. पिछले साल यांत्रिक कारखाना में मास्क, सैनिटाइजर, फेस शील्ड और पीपीई किट भी तैयार किए गए थे. जिसपर इस साल विचार चल रहा है.

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