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फेफड़ों में भरा पानी निकलवाने के लिए अब नहीं जाना पड़ेगा लखनऊ, बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हाेगा ऑपरेशन

गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के चेस्ट रोग विभाग में 'प्ल्यूरोस्कोप' मशीन लगा दी गई है. इससे फेफड़ों के मरीजों काे जांच और इलाज में काफी सहूलियत मिल रही है.

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में फेफड़ों के मरीजों काे मिलेगा बेहतर उपचार.
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में फेफड़ों के मरीजों काे मिलेगा बेहतर उपचार.
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Published : Mar 20, 2023, 2:11 PM IST

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में फेफड़ों के मरीजों काे मिलेगा बेहतर उपचार.

गोरखपुर : गोरखपुर क्षेत्र में फेफड़ों में पानी भरने और उसके इलाज के साथ सर्जरी जैसी सुविधा मरीजों को नहीं मिल पा रही थी. इससे मरीजों काे लखनऊ तक की दौड़ लगानी पड़ रही थी. अब बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ही करीब 50 लाख रुपए की लागत से नई तकनीक पर आधारित लेजर मशीन लगा दी गई है. मरीजों काे यहीं पर इलाज की सुविधा मिलेगी. छोटे से ऑपरेशन के जरिए फेफड़े का पानी बाहर निकाल दिया जाएगा. यह मशीन बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के चेस्ट रोग विभाग में स्थापित की गई है. इसका नाम 'प्ल्यूरोस्कोप' मशीन है. दूरबीन से फेफड़े की जांच (थोरेकोस्कोपी) और ऑपरेशन भील आसानी से हो सकेगा।

चेस्ट रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अश्वनी मिश्रा ने इस मशीन की खासियत और उपयोगिता के बारे में ईटीवी भारत काे बताया. कहा कि करीब 50 लाख रुपए की लागत से शासन और प्रशासन की विशेष अनुकंपा से यह मशीन लगाई गई है. जिन मरीजों के फेफड़े में बार-बार पानी इकट्ठा हो जाता है या मवाद बन जाता है, उनकी जांच अब गोरखपुर में ही हो जाएगी. इस पानी काे निकालने की बाद फेफड़े में पानी और मवाद बनने के कारण का भी पता लगाया जा सकेगा. जिससे भविष्य में इससे बचाव भी किया जा सके.

डॉ. अश्वनी मिश्रा ने कहा कि निजी केंद्रों पर थोरेकोस्कोपी का शुल्क ₹35 हजार तक आता है लेकिन, मेडिकल कॉलेज में यह सुविधा बहुत ही कम कीमत पर उपलब्ध है. खास बात यह है कि इससे मरीजों को दौड़भाग नहीं करनी होगी और उनका पैसा भी बचेगा. BRD यह में यह सुविधा हो जाने से इसका लाभ गोरखपुर-बस्ती मंडल के अलावा बिहार और नेपाल के रोगियों को भी मिलेगा.

डॉक्टर अश्वनी मिश्रा के अनुसार इस मशीन से निशुल्क पहला इलाज बिहार की मनीषा नाम की रोगी का किया गया. मनीषा के फेफड़ों में बार-बार पानी भर जा रहा था. इसका कारण बी पता नहीं चल पा रहा था. थोरेस्कोपी करने पर पता चला कि फेफड़े के अंदर बहुत सारी झिल्लियां बन गईं थीं. जिनकी वजह से पानी बन रहा था. मशीन से झिल्लियों को तोड़कर पानी बाहर निकाल दिया गया. इससे मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हाे गई. उसे डिस्चार्ज कर दिया गया. उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में उनके साथ डॉक्टर सुमित प्रकाश, डॉ शिवम पांडेय और डॉक्टर मुन्ना पटेल भी शामिल थे. उन्होंने खुशी जाहिर की कि अब उनके पास ऐसे जाे भी मरीज आएंगे उन्हें नया जीवन देना बेहद आसान हाे सकेगा.

यह भी पढ़ें : आंख का नासूर अब बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर करेगा दूर, जानिए कैसे

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में फेफड़ों के मरीजों काे मिलेगा बेहतर उपचार.

गोरखपुर : गोरखपुर क्षेत्र में फेफड़ों में पानी भरने और उसके इलाज के साथ सर्जरी जैसी सुविधा मरीजों को नहीं मिल पा रही थी. इससे मरीजों काे लखनऊ तक की दौड़ लगानी पड़ रही थी. अब बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ही करीब 50 लाख रुपए की लागत से नई तकनीक पर आधारित लेजर मशीन लगा दी गई है. मरीजों काे यहीं पर इलाज की सुविधा मिलेगी. छोटे से ऑपरेशन के जरिए फेफड़े का पानी बाहर निकाल दिया जाएगा. यह मशीन बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के चेस्ट रोग विभाग में स्थापित की गई है. इसका नाम 'प्ल्यूरोस्कोप' मशीन है. दूरबीन से फेफड़े की जांच (थोरेकोस्कोपी) और ऑपरेशन भील आसानी से हो सकेगा।

चेस्ट रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अश्वनी मिश्रा ने इस मशीन की खासियत और उपयोगिता के बारे में ईटीवी भारत काे बताया. कहा कि करीब 50 लाख रुपए की लागत से शासन और प्रशासन की विशेष अनुकंपा से यह मशीन लगाई गई है. जिन मरीजों के फेफड़े में बार-बार पानी इकट्ठा हो जाता है या मवाद बन जाता है, उनकी जांच अब गोरखपुर में ही हो जाएगी. इस पानी काे निकालने की बाद फेफड़े में पानी और मवाद बनने के कारण का भी पता लगाया जा सकेगा. जिससे भविष्य में इससे बचाव भी किया जा सके.

डॉ. अश्वनी मिश्रा ने कहा कि निजी केंद्रों पर थोरेकोस्कोपी का शुल्क ₹35 हजार तक आता है लेकिन, मेडिकल कॉलेज में यह सुविधा बहुत ही कम कीमत पर उपलब्ध है. खास बात यह है कि इससे मरीजों को दौड़भाग नहीं करनी होगी और उनका पैसा भी बचेगा. BRD यह में यह सुविधा हो जाने से इसका लाभ गोरखपुर-बस्ती मंडल के अलावा बिहार और नेपाल के रोगियों को भी मिलेगा.

डॉक्टर अश्वनी मिश्रा के अनुसार इस मशीन से निशुल्क पहला इलाज बिहार की मनीषा नाम की रोगी का किया गया. मनीषा के फेफड़ों में बार-बार पानी भर जा रहा था. इसका कारण बी पता नहीं चल पा रहा था. थोरेस्कोपी करने पर पता चला कि फेफड़े के अंदर बहुत सारी झिल्लियां बन गईं थीं. जिनकी वजह से पानी बन रहा था. मशीन से झिल्लियों को तोड़कर पानी बाहर निकाल दिया गया. इससे मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हाे गई. उसे डिस्चार्ज कर दिया गया. उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में उनके साथ डॉक्टर सुमित प्रकाश, डॉ शिवम पांडेय और डॉक्टर मुन्ना पटेल भी शामिल थे. उन्होंने खुशी जाहिर की कि अब उनके पास ऐसे जाे भी मरीज आएंगे उन्हें नया जीवन देना बेहद आसान हाे सकेगा.

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