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गोरखपुर में भी मिले ब्लैक के साथ व्हाइट फंगस के रोगी, स्वास्थ्य विभाग की बढ़ी चिंता

गोरखपुर में वाइट फंगस के तीन संदिग्ध मामले सामने आए हैं. इनका इलाज बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के कोरोना वार्ड में चल रहा है. यह तीनों मरीज कोरोना पॉजिटिव हैं. मरीजों में लक्षण देखने के बाद उनका नमूना जांच के लिए भेजा जा चुका है. वहीं जिले में अब तक 2 मरीजों में ब्लैक फंगस मिलने की पुष्टि हो चुकी है. जबकि ब्लैक फंगस के 28 संदिग्ध मरीजों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं.

गोरखपुर में भी मिले ब्लैक के साथ व्हाइट फंगस के रोगी
गोरखपुर में भी मिले ब्लैक के साथ व्हाइट फंगस के रोगी
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Published : May 24, 2021, 2:21 PM IST

गोरखपुर: जिले में ब्लैक फंगस के रोगी मिलने की शुरुआत के बीच वाइट फंगस के भी तीन संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जिन रोगियों में वाइट फंगस पाया गया है, उनका इलाज बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के कोरोना वार्ड में पहले से ही चल रहा है. यह तीनों मरीज कोरोना पॉजिटिव हैं. जबकि, 15 अन्य मरीजों में ब्लैक फंगस के लक्षण मिले हैं. ऐसा देखने को मिला है कि यह कोविड-19 की महामारी से उबर चुके मरीजों में बीमारी सामने आ रही थी, लेकिन इसकी तादात अब गोरखपुर में भी बढ़ रही है. फिलहाल 2 मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है और 28 मरीजों में लक्षण देखने के बाद उनका नमूना जांच के लिए भेजा जा चुका है. यह जानकारी सीएमओ कार्यालय ने दी है.


लक्षण मिलने के बाद जांच रिपोर्ट का इंतजार
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कोरोना के जिन मरीजों में वाइट फंगस के लक्षण मिले हैं, उनके नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं. कॉलेज के प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ पवन प्रधान ने बताया कि वाइट फंगस के संदिग्ध मरीजों के फेफड़े में संक्रमण के छोटे-छोटे स्पॉट दिखाई दे रहे हैं. इसलिए जब तक फाइनल रिपोर्ट नहीं आ जाती है, कुछ भी कह पाना संभव नहीं है. ब्लैक फंगस के मरीजों की रिपोर्ट शासन को स्वास्थ्य महकमा हर दिन भेज रहा है. पहले चरण की जांच के बाद दूसरे चरण की कल्चर एंड सेंसेटिव जांच रिपोर्ट अभी आनी शेष है. जिसके बाद वास्तविक मरीजों की संख्या का पता लग पाएगा. 8 मरीज ऐसे हैं जिनका निजी अस्पतालों में इलाज चल रहा है. कुछ मरीज लखनऊ के अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं.

ब्लैक फंगस से बचाव की कोई दवा नहीं : डॉ रामकुमार
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ राम कुमार जायसवाल ने बताया कि फिलहाल ब्लैक फंगस से बचाव की कोई दवा नहीं है. यह फंगस हो जाने के बाद ही एंटी फंगल दवाई दी जाती हैं. इस बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि घर की साफ-सफाई करते रहें. कहीं भी नमी न होने दें. अपने शुगर को नियंत्रित रखें. स्टेरॉयड दवा का अनियंत्रित उपयोग हानिकारक हो सकता है. डॉक्टर की सलाह पर यह दवाई लें. प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने की कोशिश करते रहे और हरी साग सब्जियों के साथ फलों का भरपूर सेवन करें. इस बीच ब्लैक फंगस के एक संदिग्ध मरीज की मौत शहर के पेनेशिया हॉस्पिटल में हुई है. वह कोरोना संक्रमित था. ब्लैक फंगस भी कई तरह से संक्रमित कर रहा है गले के रास्ते नाक से होते हुए दांत के जबड़ों को भी प्रभावित करता है और आंख तक भी पहुंच रहा है. चेहरे में सूजन की भी स्थिति इसकी वजह से उत्पन्न हो रही है और चेहरे का कुछ हिस्सा सुन्न भी पड़ रहा है. इसलिए डॉक्टर इस बात की सलाह दे रहे हैं कि, थोड़ा भी लक्षण महसूस हो तो सरकारी और निजी अस्पतालों में तत्काल संपर्क करके सावधानी और इलाज शुरू करें.

गोरखपुर: जिले में ब्लैक फंगस के रोगी मिलने की शुरुआत के बीच वाइट फंगस के भी तीन संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जिन रोगियों में वाइट फंगस पाया गया है, उनका इलाज बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के कोरोना वार्ड में पहले से ही चल रहा है. यह तीनों मरीज कोरोना पॉजिटिव हैं. जबकि, 15 अन्य मरीजों में ब्लैक फंगस के लक्षण मिले हैं. ऐसा देखने को मिला है कि यह कोविड-19 की महामारी से उबर चुके मरीजों में बीमारी सामने आ रही थी, लेकिन इसकी तादात अब गोरखपुर में भी बढ़ रही है. फिलहाल 2 मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है और 28 मरीजों में लक्षण देखने के बाद उनका नमूना जांच के लिए भेजा जा चुका है. यह जानकारी सीएमओ कार्यालय ने दी है.


लक्षण मिलने के बाद जांच रिपोर्ट का इंतजार
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कोरोना के जिन मरीजों में वाइट फंगस के लक्षण मिले हैं, उनके नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं. कॉलेज के प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ पवन प्रधान ने बताया कि वाइट फंगस के संदिग्ध मरीजों के फेफड़े में संक्रमण के छोटे-छोटे स्पॉट दिखाई दे रहे हैं. इसलिए जब तक फाइनल रिपोर्ट नहीं आ जाती है, कुछ भी कह पाना संभव नहीं है. ब्लैक फंगस के मरीजों की रिपोर्ट शासन को स्वास्थ्य महकमा हर दिन भेज रहा है. पहले चरण की जांच के बाद दूसरे चरण की कल्चर एंड सेंसेटिव जांच रिपोर्ट अभी आनी शेष है. जिसके बाद वास्तविक मरीजों की संख्या का पता लग पाएगा. 8 मरीज ऐसे हैं जिनका निजी अस्पतालों में इलाज चल रहा है. कुछ मरीज लखनऊ के अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं.

ब्लैक फंगस से बचाव की कोई दवा नहीं : डॉ रामकुमार
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ राम कुमार जायसवाल ने बताया कि फिलहाल ब्लैक फंगस से बचाव की कोई दवा नहीं है. यह फंगस हो जाने के बाद ही एंटी फंगल दवाई दी जाती हैं. इस बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि घर की साफ-सफाई करते रहें. कहीं भी नमी न होने दें. अपने शुगर को नियंत्रित रखें. स्टेरॉयड दवा का अनियंत्रित उपयोग हानिकारक हो सकता है. डॉक्टर की सलाह पर यह दवाई लें. प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने की कोशिश करते रहे और हरी साग सब्जियों के साथ फलों का भरपूर सेवन करें. इस बीच ब्लैक फंगस के एक संदिग्ध मरीज की मौत शहर के पेनेशिया हॉस्पिटल में हुई है. वह कोरोना संक्रमित था. ब्लैक फंगस भी कई तरह से संक्रमित कर रहा है गले के रास्ते नाक से होते हुए दांत के जबड़ों को भी प्रभावित करता है और आंख तक भी पहुंच रहा है. चेहरे में सूजन की भी स्थिति इसकी वजह से उत्पन्न हो रही है और चेहरे का कुछ हिस्सा सुन्न भी पड़ रहा है. इसलिए डॉक्टर इस बात की सलाह दे रहे हैं कि, थोड़ा भी लक्षण महसूस हो तो सरकारी और निजी अस्पतालों में तत्काल संपर्क करके सावधानी और इलाज शुरू करें.

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