गोरखपुर: दिवाली के अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा होती है और पूजा में फूल का विशेष महत्व होता है, लेकिन फूलों में भी कमल की सबसे ज्यादा डिमांड होती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि बाजार में कोलकाता का कमल सबसे महंगा बिकता है. इसके खरीदार भी विशेष होते हैं, जिन्हें इसके गुण के बारे में जानकारी होती है वही इसको खरीदने पहुंचते हैं. बाकी लोग स्थानीय बाजारों से जो विभिन्न प्रकार के फूल और कमल का फूल खरीद कर घर ले जाते हैं. गोरखपुर के हजारीबाग में दिवाली के अवसर पर लाखों का फूलों का कारोबार होता है वहीं कोलकाता का कमल इस बाजार की रौनक बढ़ाए रखता है. यह अपनी विशेषता के लिए लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है.
ये है इस कमल की खासियत
कमल के फूल को लक्ष्मी माता का आसन माना जाता है. पूजा-पाठ में लोग कमल के फूल पर लक्ष्मी की प्रतिमा को बैठाना शुभ मानते हैं, इसीलिए कमल के फूल की डिमांड होती है. कोलकाता के कमल में जो खासियत है वह यह कि इसमें कुल 108 पंखुड़ियां होती हैं, जबकि गोरखपुर और आसपास में मिलने वाले कमल में पंखुड़ियों की संख्या अधिकतम 8 से 10 होती है, इसलिए कोलकाता के कमल की खासी डिमांड होती है. यह कमल कोलकाता से पहले वाराणसी आता है, फिर वहां से गोरखपुर पहुंचता है. फूल के बड़े कारोबारी जितेंद्र सैनी कहते हैं कि इस फूल की कोलकाता में ही खरीदारी 50 रुपये प्रति पीस है, जो बाजार में आकर 60 से 65 रुपये हो जा रही है, फिर भी जो इसके महत्व को जानता है वह इसे खरीदने के लिए बाजार में पहुंचता ही है.
सीजन में बढ़ जाती है फूलों की कीमत
गोरखपुर में करीब 50 क्विंटल फूल का कारोबार होता है. यहां की मुख्य बाजारों में हजारीपुर, सूरजकुंड, मोहद्दीपुर है जहां पर सैकड़ों दुकानें सजी रहती हैं. कमल का फूल समय के साथ अपने मूल्य भी बढ़ाता जाता है, जबकि गेंदे के फूल की कीमत भी बढ़ जाती है. एक माला 50 रुपये में बिकने लगता है. होटलों के सजावट का भी काम इस दौरान बढ़ता है, लोग घरों को भी फूलों से सजाते हैं. फूल कारोबारियों ने इसका मूल्य भी तय कर रखा है. होटल का प्रवेश द्वार जहां लगभग 20 हजार में सजावट होती है तो वहीं बड़े घरों के लॉन में भी पांच से 10 हजार में सजावट की जाती हैं, लेकिन इस सबके बीच फूलों का राजा बन के जो घूमता है वह कमल ही होता है, जिसके बगैर लोग दिवाली और लक्ष्मी की पूजा अधूरी मानते हैं.