गोरखपुर: माह-ए-रमजान का नूरानी महीना धीरे-धीरे अपने आखिरी मंजिल के करीब पहूंचने वाला है. भीषण गर्मी के बावजूद क्षेत्र के अकीदतमंदों का हौसला बुलंद है. रोजेदार सोमवार को 28 वां रोजा मुकम्मल करेंगे. मंगलवार को अगर 29 रमजान का चांद आसमान पर चमकता दिखाई दिया तो बुधवार को ईद मनाई जायेगी. चांद न दिखाई देने की सूरत में गुरुवार को हर हाल में ईद-उल-फितर की नमाज अदा की जायेगी. त्योहार को लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. बाजारों में बनारसी सेवईयों की जबरदस्त मांग है.
बाजारों में बनारसी सेवईयों की जबरदस्त मांग
ईद के दिन सेवईयों के खाने और खिलाने का रस्म बड़े पैमाने पर अदा की जाती है. गरीब से लेकर अमीर तक सबके घरों में नाना प्रकार की सेवईयां बनाई जाती हैं. सेवईयां खाने खिलाने से आपसी भाईचारे और सौहार्द्र की बुनियाद मजबूत होती है. सेवईयों की खरीदारी इन दिनों जोरों पर चल रही है. सेवईयों का बाजार हर तरफ सजा है. बाजारों में बनारसी सेवईयों की धूम मची है. वैसे तो बजारों में एक से बढ़कर एक सेवईयां उपलब्ध है. कम कीमत से लेकर मंहगे दामों की सेवई खरीदी जा सकती है, लेकिन बनारसी सेवईयों की एक अलग पहचान है.
बाजार में उपलब्ध सेवईयों का रेट
सादी सेवई -- 40 से 80 रू. प्रति किलो ग्राम.
कीमामी सेवई- 75 से 115 रू./ किग्रा.
लच्छेदार देशी सेवई-- 70 से100/ किग्रा.
दूध वाली सेवई-- 80 से100/ किग्रा.
फेनी सेवई-- 130 से 150 / किग्रा.
दूध वाली फेनी सेवई-- 140 से 160/किग्रा.
भूनी कीमामी सेवई-- 90 से 140/ किग्रा.
बनारसी लच्छेदार सेवई-- 80 से 100/किग्रा.
बनारसी कीमामी-- 120 से 150/ किग्रा.
देशी घी फेनी सेवई-- 250 से 300/ किग्रा.
बनारसी सेवईयां वैसे तो रोजमर्रा के खाने में भी सर्वाधिक इस्तेमाल की जाती है. बनारसी लच्छेदार सेवई अन्य सेवईयों की अपेक्षा ज्यादा स्वादिष्ट होती हैं. बहुत पतली और बारीक तथा स्वादिष्ट होती हैं. बाजार में सर्वाधिक मांग बनारसी सेवई की है.
-अब्दुल कादिर, दुकानदार