गोरखपुरः डायबिटीज एक ऐसी बीमारी जो इंसान के शरीर को खोखला बना देती है. इसका दुष्प्रभाव ऐसा है कि शरीर के तमाम अंग जैसे कि लिवर, किडनी और हार्ट भी इससे प्रभावित होकर जानलेवा बन जाते हैं. लेकिन, अब डायबिटीज भी आंखों को भी बुरी तरह प्रभावित कर रही है. इसकी वजह से आंखों की नसें सूख रही हैं. इसका प्रभाव आंखों की रोशनी पर पड़ रहा है. लोगों को न सिर्फ कम दिखाई दे रहा है, बल्कि इससे रेटिना पर बुरा असर हो रहा है. हैरानी की बात है कि यह बीमारी सिर्फ बड़ों ही नहीं बल्कि बच्चों और युवाओं में भी देखने को मिल रही है.
पूर्व आई सर्जन मेडिकल कॉलेज डॉ. रजत कुमार की शोध की मानें तो ओपीडी में आने वाले मरीजों में इस तरह के लक्षण बढ़ रहे हैं. एक समय में जहां 10 मरीजों में इसकी संख्या 2 की थी. वहीं, अब वर्तमान में यह 6 से ज्यादा तक पहुंच चुकी है. उन्होंने इसके बचाव और उपाय के कई तरीके सुझाए हैं. इससे डायबिटीज के मरीजों की आंखों की रोशनी बचाई जा सकती है.
आंखों की नसें हो रही हैं बंदः डॉ. रजत कुमार ने बताया कि इस लक्षण और बीमारी को 'डायबिटिक रेटिनोपैथी' कहते हैं. यह एक ऐसी समस्या है, जो ब्लड शुगर से पीड़ित व्यक्ति की रेटिना को प्रभावित करती है. रेटिना तक पहुंचने वाली पतली नसों के क्षतिग्रस्त होने पर समय से इलाज जरूरी होता है. वरना व्यक्ति अंधेपन का शिकार हो सकता है. उन्होंने कहा कि डायबिटीज होने पर शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करना काफी जरूरी होता है. शुगर की वजह से मरीज की आंखों की नसें बंद हो रही हैं. इसकी वजह से उनकी आंखों से खून का रिसाव होता है.
चली गई आंखों की रोशनीः डॉ. रजत ने बताया कि मरीज बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और निजी अस्पतालों में कई ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं, जिनकी आंखों की रोशनी चली गई है. उन्होंने कहा अब शुगर की बीमारी से ग्रसित मरीजों की संख्या ज्यादा दिखाई दे रही है. भागदौड़ की जिंदगी में तनाव से दूर रहने की लोगों को कोशिश करनी होगी. शुगर से बचाव के उपाय भी अपनाने होंगे. साथ ही जो डायबिटीज के मरीज हैं, उन्हे अपनी जांच भी नियमित अंतराल पर करानी होगी. उन्होंने कहा कि कोविड के बाद ऐसे मामले ज्यादा देखने को मिले हैं.
दो प्रकार की होती है ये बीमारीः डॉ. रजत के अनुसार, इस बीमारी में दो प्रकार के लक्षण देखने को मिलते हैं. प्रालिफिरेटिव डायबिटिक रेटिनोथेरेपी और नॉन प्रालिफिरेटिव डायबिटिक रेटिनोथेरेपी. इनमें प्रालिफिरेटिव डायबिटिक रेटिनोथेरेपी ज्यादा खतरनाक है. इससे आंखों की नसें बंद हो जाती हैं. खून का रिसाव आंखों के पर्दे की नसों से होने लगता है. मरीज समय से इलाज कराने पहुंचता है तो ऑपरेशान कर आंखें बचाई जा सकती हैं. इसमें पर्दे का ऑपरेशन करना पड़ता है.
दिखते हैं ये लक्षणः उन्होंने बताया कि शुगर की वजह से आंखों में मोतियाबिंद हो सकता है. ग्लूकोमा की स्थिति बढ़ सकती है. शुगर की वजह से मुख्य रूप से आंख के पर्दे में कमियां आती हैं. इससे आंखों की रोशनी प्रभावती होती है. पर्दे में खून के निशान पड़ते है, जो बाद में पर्दा निकालने का कारण बन सकता है. किसी भी व्यक्ति को जब आंख में कुछ तैरता- तैरता नजर आए या काले -काले बिंदु दिखे तो, उसे समझ जाना चाहिए कि उसकी आंख प्रभावित हो रही है.
करे ये उपायः डॉ रजत ने कहा आंखों की रोशनी के लिए यह लक्षण खतरा बन सकते हैं. ऐसे में मरीज को तत्काल किसी नेत्र सर्जन से संपर्क करना चाहिए. शुगर के मरीज हों या प्री डायबिटीज ऐसे लोगों को तनाव से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए. मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से बचना चाहिए. जॉगिंग करें, टहलने का नियमित रूप से रहने की कोशिश करें. फिर भी लक्षण दिखें तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं. क्योंकि आपके शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है. आंख जिसके बगैर दुनिया अंधेरे में नजर आती है.
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