कानपुर: पीएम मोदी ने जिस आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में काम करना शुरू किया है. ठीक उसी तर्ज पर अब कानपुर के राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) में छात्रों के लिए एक ऐसा आत्मनिर्भर मॉडल बनाया गया है. जिसके तहत छात्र गन्ना उगाने से लेकर शक्कर बनाने तक की कवायद को कैंपस के अंदर ही सीख सकेंगे. इतना ही नहीं छात्र चीनी बनाने के दौरान होने वाले वायु व जल प्रदूषण से बचाव संबंधी प्रबंधन, गन्ने की खोई से एथेनाल बनाने की जानकारी भी संस्थान के विशेषज्ञ उन्हें देंगे.
एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि उनके कैंपस के फार्मिंग एरिया में एक साल के अंदर 10 हजार क्विंटल गन्ना तैयार होता है. पूरे साल भर में अब छात्रों के बैच बना दिए जाएंगे. जहां हर बैच के छात्रों के लिए प्रायोगिक चीनी मिल में 45 दिनों का सत्र होगा. जिसमें छात्रों को किताबी ज्ञान के साथ ही प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी दी जाएगी. उन्होंने बताया कि संस्थान के विशेषज्ञों ने फार्मिंग एरिया में गन्ने की जो खास किस्म की प्रजातियां तैयार की गई है. उनमें सीओएल के 14201, सीओएस 13235 और सीओ 15023 शामिल हैं. इनके अलावा अन्य प्रजातियों को तैयार करने का काम किया जा रहा है. वहीं, शनिवार को संस्थान में प्रायोगिक चीनी मिल के तहत पहले पेराई सत्र का शुभारंभ किया गया. ऐसे में जब छात्रों ने मशीनों में गन्ना पेराई के दौरान रस निकलते देखा तो वह खुश हो गए.
वहीं, संस्थान के निदेशक ने बताया कि सोमवार को संस्थान में इंडोनेशिया के कई विशेषज्ञ संस्थान के भ्रमण पर आ रहे हैं. उन्हें संस्थान की हर गतिविधि से अवगत कराया जाएगा. साथ ही संस्थान में गन्ना तैयार करने से लेकर शक्कर बनाने तक को चरणबद्ध प्रक्रिया के विषय में बताया जाएगा.